प्रदेश में पर्यटन को आकर्षित करने के लिये सुविधाजनक नीति का आगाज
भोपाल : बुधवार, अक्टूबर 9, 2019
इंदौर में 18 अक्टूबर को होने जा रहे निवेश सम्मेलन ‘मेगनीफिसेंट मध्यप्रदेश-2019’ के दृष्टिगत राज्य शासन द्वारा पर्यटन विभाग की नीतियों को अधिक सक्षम एवं निवेश आकर्षक बनाया गया है। पर्यटन नीति 2016 में संशोधन 2019 के अलावा ब्रांडेड होटल्स की स्थापना को प्रोत्साहन देने के लिये भी नीति बनाई गई है।
पर्यटन नीति-2016 संशोधन-2019
प्रदेश में रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रदेश में पर्यटन नीति का लाभ प्राप्त करने वाले होटल्स में अब 70 प्रतिशत रोजगार प्रदेश के लोगों को देना जरूरी होगा। संशोधित नीति का लाभ लेने वाली 10 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं को प्रदेश के कम से कम 50 लोगों को, 50 करोड़ रुपये से अधिक निवेश होने पर 100 लोगों और 100 करोड़ रुपये से अधिक निवेश होने पर 200 लोगों को रोजगार देने की शर्त लागू की गई है। संशोधित नीति में ग्रामीण एवं कृषि पर्यटन, साहसिक पर्यटन, जल पर्यटन के क्षेत्र में स्व-सहायता समूह एवं सहकारी समितियों को पर्यटन परियोजनाएँ स्थापित करने के लिये भी अवसर दिये गये हैं।
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ की वाइल्ड लाइफ रिसॉर्ट संचालकों के साथ हुई बैठक में लिये गये निर्णयों के अनुरूप वन क्षेत्रों का श्रेणीकरण किया गया है। अब वाइल्ड लाइफ रिसॉर्ट स्थापना पर 20 प्रतिशत पूँजीगत अनुदान दिया जायेगा। अभी जहाँ वाइल्ड लाइफ रिसॉर्ट पर विकास नहीं हुआ है, वहाँ अनुदान की सीमा 3 करोड़ रुपये तक होगी। वृहद, मेगा एवं अल्ट्रा मेगा टूरिज्म प्रोजेक्ट को स्थाई पूँजी निवेश पर 30 प्रतिशत निवेश प्रोत्साहन सहायता 4 किश्तों में दी जायेगी। इसकी सीमा 15 करोड़ से 90 करोड़ रुपये तक होगी। दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों में पर्यटन इकाइयों की स्थापना पर 5 प्रतिशत अतिरिक्त लागत पूँजी अनुदान दिया जायेगा। संशोधित नीति अनुसार अब प्रदेश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के उद्यमियों को पर्यटन इकाइयाँ लगाने पर 5 प्रतिशत अतिरिक्त पूँजी अनुदान दिया जायेगा।
हेरिटेज होटल्स का पंजीयन अब पर्यटन विभाग करेगा
प्रदेश में स्थापित होने वाले हेरिटेज होटल्स का पंजीयन अब पर्यटन विभाग द्वारा किया जायेगा। साथ ही भारत शासन के ‘होटल एवं रेस्टॉरेन्ट अप्रूवल एवं क्लासिफिकेशन कमेटी” (HRACC) के प्रमाणीकरण की बाध्यता समाप्त कर दी गई है। विद्यमान होटल के जीर्णोद्धार एवं पुनस्थापना पर 10 करोड़ रुपये से अधिक पर निवेश, नीति लागू होने के दिनांक के बाद से, करने पर नई इकाइयों के समान पूँजी अनुदान की पात्रता होगी। अनुदान प्राप्त इकाइयों को अनुदान प्राप्त करने के बाद कम से कम 3 वर्ष तक इकाई का संचालन अनिवार्य किया गया है। ऐसा न करने पर अनुदान की वापसी के प्रावधान लागू किये गये हैं।
निवेश प्रस्तावों के लिये हेण्ड होल्डिंग प्रक्रिया
टूरिज्म बोर्ड द्वारा निवेशकों के प्रस्तावों पर विभिन्न अनुमतियाँ/अनापत्ति आदि प्रदान कराने के लिये व्यक्तिश: अनुसरण (हेण्ड होल्डिंग) की प्रक्रिया लागू की जायेगी। पर्यावरण मित्र इकाइयों को ईको टूरिज्म सोसायटी ऑफ इण्डिया से प्रमाण-पत्र प्राप्त करने पर एक लाख रुपये तक के व्यय की प्रतिपूर्ति की जायेगी। नवीन या विद्यमान इकाइयों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के मापदण्डों के अनुसार 10 लाख रुपये एवं उससे अधिक व्यय करने पर प्रदूषण उपचार संयंत्र स्थापना पर 25 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग इवेन्ट्स में भाग लेने वाली इकाइयों को प्रति कार्यक्रम 50 हजार से एक लाख रुपये तक की सहायता दी जायेगी। सांस्कृतिक, खान-पान, पारम्परिक वस्त्र, हस्तशिल्प आदि गतिविधियों में संलग्न स्व-सहायता समूहों/मण्डलों एवं सहकारी समितियों को मार्केटिंग के लिये राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इवेन्ट्स में भाग लेने पर प्रति कार्यक्रम एक लाख रुपये की सहायता दी जायेगी।
अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट को अब 90 वर्ष की लीज पर भूमि
अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट, अर्थात 100 करोड़ रुपये से अधिक की स्थाई पूँजी निवेश परियोजना को उपलब्धता अनुसार शासकीय भूमियाँ पर्यटन विभाग द्वारा कलेक्टर गाइड-लाइन रेट पर 90 वर्ष की लीज पर उपलब्ध कराई जायेगी। पर्यटन स्थलों पर कार्यरत शासकीय कर्मचारियों एवं सर्विस प्रोवाइडर्स को पर्यटक संवेदनशील एवं जिम्मेदार व्यवहार के लिये प्रशिक्षित किया जायेगा। धार्मिक एवं हेरिटेज पर्यटन स्थलों को पर्यटन सुविधाएँ निर्मित कर पर्यटन अनुकूल बनाया जायेगा एवं उनका प्रचार-प्रसार किया जायेगा। मेले, स्थानीय व्यंजन, संस्कृति, लोक कला, हस्तकला आदि के प्रदर्शन एवं मार्केटिंग को प्रोत्साहित किया जायेगा। पर्यटक स्थलों पर नि:शक्तजन सुगमतापूर्वक भ्रमण कर सकें, ऐसी अधोसंरचनाएँ विकसित की जायेंगी।
ब्रॉण्डेड होटल प्रोत्साहन नीति-2019
मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने ब्रॉण्ड होटल की स्थापना पर इस तरह की नीति बनाई है। अनुमान है कि इस नीति से प्रदेश में अगले 5 वर्षों में कम से कम 1000 लग्जरी एवं विश्वस्तरीय नवीन कक्ष स्थापित हो सकेंगे।
नवीन ब्रॉण्ड होटल की न्यूनतम 100 करोड़ रूपये अथवा उससे अधिक के निवेश से स्थापना पर उनके द्वारा होटल कक्षों के किराये से प्राप्त टर्न ओवर के 20 से 30 प्रतिशत तक अनुदान 3 वर्षों तक दिया जाएगा। इसकी अधिकतम सीमा 3 करोड़ रूपये होगी। इसी प्रकार ब्रॉण्ड रिसॉर्ट एवं ब्रॉण्ड हेरिटेज होटल को 3 वर्षों तक प्रतिवर्ष 2 करोड़ रूपये तक संचालन अनुदान दिया जाएगा। ब्रॉण्ड होटल को दिये जाने वाला यह अनुदान उन्हें नीति के अंतर्गत प्राप्त होने वाले पूंजी अनुदान के अतिरिक्त होगा।
ब्रॉण्ड चयन के लिये मापदण्ड निर्धारित
क्र. |
आधार |
ब्रॉण्ड होटल |
ब्रॉण्ड रिसोर्ट |
ब्रॉण्ड हेरिटेज होटल |
1. |
ग्रुप की नेटवर्थ |
100 करोड़ रू. |
50 करोड़ रू. |
50 करोड़ रू. |
2. |
टर्न ओवर (वार्षिक विगत वित्तीय वर्ष) |
150 करोड़ रू. |
100 करोड़ रू. |
100 करोड़ रू. |
3. |
संचालित कक्षों की न्यूनतम संख्या |
750 |
70 |
100 |
4. |
संचालित इकाइयों की न्यूनतम संख्या |
10 |
5 |
5 |
5. |
ब्रॉण्ड/निवेशक द्वारा न्यूनतम प्रस्तावित निवेश |
100 करोड़ रू |
30 करोड़ रू. |
30 करोड़ रू. |
मार्ग सुविधा केन्द्र नीति 2016 में संशोधन
मार्ग सुविधा केन्द्रों की स्थापना अब यात्री सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए किसी भी उपयुक्त स्थल पर की जा सकेगी और दो मार्ग सुविधा केन्द्रों के बीच 50 कि.मी. की दूरी का बंधन अब नहीं रहेगा।
शिक्षित बेरोजगारों को मार्ग सुविधा केन्द्र भवन एवं मार्ग सुविधा केन्द्र स्थापना के लिये भूमि आवंटन की निविदाओं में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। केन्द्र के सतत् संचालन पर जो लीज अभी 30 वर्षों के लिए दी जाती है उसे लीज रेंट वृद्धि के साथ अगले 30 वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकेगा।
प्राकृतिक आपदा से नष्ट हुए अथवा रोड अलाइनमेंट बदल जाने से संपर्कहीन मार्ग सुविधा केन्द्रों की लीज अब परस्पर सहमति से समाप्त की जा सकेगी एवं निवेशकों द्वारा जमा की गई लीज राशि लौटाई जा सकेगी। मार्ग सुविधा केन्द्र के 3 वर्ष तक सफल संचालन के बाद लीजधारक को लीज हस्तांतरण की सुविधा दी जाएगी बशर्तें कि नये निवेशक द्वारा गतिविधि पहले की तरह संचालित रखी जाए।
मार्ग सुविधा केन्द्रों के लिये आवंटित लीज भूमि पर पेट्रोल पंप स्थापना की अनुमति दी जाएगी। इसके लिये ऑयल कंपनियों को भूमि का हिस्सा सब लीज करने की अनुमति दी जाएगी।