प्रधानमंत्री सड़कें बनने से ग्रामीणों को साहूकारों से मिली मुक्ति
प्रदेश के आदिवासी अंचल में प्रधानमंत्री सड़क जनजातीय समाज की आर्थिक आजादी का सबब बन रही है। इन अंचलों में रहने वाले गरीब परिवार अब स्थानीय साहूकारों के चंगुल से निकल कर शहरों में अपनी फसल बेच रहे हैं। कुछ ऐसा ही नजारा है छिंदवाड़ा और उमरिया के जिले का।
उमरिया जिले के करकेली विकासखण्ड मुख्यालय से लगभग 50 कि.मी. दूर निर्मित की गई चार प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क बनने से 17 ग्रामों की 15 हजार से अधिक अनुसूचित जनजाति वर्ग की आबादी को स्थानीय साहूकारों और दलालों के चुंगल से मुक्ति मिल गई है। ग्राम घोघरी से छतैनी, मगर, गाजर, हर्रवाह, से बुढ़िया, केरपानी, मझौली, बिलासपुर से जलधरा गाजर तथा कल्दा से बिछिया ग्रामों को बारहमासी बढ़िया सड़क मिली है।
दूरस्थ आदिवासी अंचल में बसे इन ग्रामों में विकास की रोशनी अब आने लगी है। ग्रामों में 108 जननी एक्सप्रेस, एम्बुलेंस और यात्रा के लिये बसों तथा छोटी ट्रेवल्स गाड़ियों का आना-जाना तेज हो गया है। बच्चों को स्कूल आने-जाने की सुविधा मिली है। इस पिछड़े क्षेत्र के किसान अब अपनी फसलों को कृषि उपज मंडी में लाकर बेचने लगे हैं। पहले शहरों से व्यापारी आता था और अपनी मर्जी की दरों पर फसल खरीदकर ले जाता था। इन सड़कों के बन जाने से किसानों को फसल का मनचाहा दाम भी मिल रहा है।
छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा विकासखण्ड के ग्राम बेलगांव दवामी में 78.09 लाख रूपये लागत से बनाई गई प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क ने 450 से अधिक ग्रामवासियों के जीवन में विकास की नई रोशनी पैदा कर दी है। पाढुर्णा बेलगांव दवामी के जाम नदी पर पुल और 1.80 कि.मी. डामरीकृत सड़क ने गाँव में स्वास्थ, शिक्षा, व्यापार के नये मार्ग खोल दिए हैं। अब शासन की योजनाओं का लाभ गाँव के लोगों को मिल रहा है। किसानों की फसलें भी आसानी से पाढुर्णा गल्ला मड़ी पहुँच रही है। यह क्षेत्र कपास, संतरा के उत्पादन के लिए पहचाना जाता है। प्रधानमंत्री सड़क बेलगाँव दवामी के निवासियों की आर्थिक उन्नति का मार्ग बन गई है।