बातचीत एवं आपसी सामजंस्य से प्रकरण सुलझायें जा सकते हैं – जिला एवं सत्र न्यायाधीश

रीवा 14 सितंबर 2019. राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ कर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ए.के. सिंह ने कहा कि लोक अदालत आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य आपसी समझौतें एवं सामजंस्य से प्रकरणों का निराकरण करना है। उन्होंने कहा कि समाज को विकसित करने के लिए शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है जब हम शिक्षित होंगे तभी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगे। जैसे ही समाज में समृद्धि आती है वह राष्ट्र, समाज एवं परिवार के लिए ऊर्जा का स्त्रोत विकसित करती है। लोक अदालत में पक्षकारों को समझाने के लिए आपसी सूझबूझ की समझ होनी चाहिए तभी प्रकरणों में समझौते होंगे। आप किसी को सुख देंगे तो आप से बड़ा पुण्यआत्मा कोई नहीं है। हमारा लक्ष्य समाज की सेवा करना है। लोक अदालत में समस्यायें एक जैसी हो सकती हैं लेकिन उस व्यक्ति की कठिनाई अलग होगी जो हमारे सामने आता है। जब हम अशांत रहेंगे तब सुख की कल्पना नहीं की जा सकती। हम सबका दायित्व है कि भले ही थोड़ा करें लेकिन अच्छा करें।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अरूण कुमार सिंह ने जिला न्यायालय परिसर में स्थिति एडीआर भवन में दीप प्रज्ज्वलन कर राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ किया। इस अवसर पर कलेक्टर ओ.पी. श्रीवास्तव, पुलिस अधीक्षक आबिद खान, नगर निगम कमिश्नर सभाजीत सिंह यादव, प्रधान न्यायाधीश वाचस्पति मिश्रा, विशेष न्यायाधीश उमेश पांडव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव राघवेन्द्र सिंह, प्रथम अपर जिला न्यायाधीश गिरीश दीक्षित, द्वितीय अतिरिक्त न्यायाधीश संजीव सिंघल, तृतीय अतिरिक्त न्यायाधीश सुधीर सिंह राठौर, चतुर्थ अतिरिक्त न्यायाधीश विपिन कुमार लावनिया, पंचम अपर जिला न्यायाधीश ताजिंदर सिंह अजमानी, षष्ठम अपर जिला न्यायाधीश हितेन्द्र कुमार मिश्रा, नवम अपर जिला न्यायाधीश नरेन्द्र कुमार गुप्ता, ग्यारहवे अपर जिला न्यायाधीश मुकेश यादव, बारहवे अपर जिला न्यायाधीश महिमा कछवाहा, तेरहवे अपर जिला न्यायाधीश उपेन्द्र देशवाल, सी.जे.एम. सुबोध कुमार विश्वकर्मा, जिला रजिस्टार योगीराज पाण्डेय, रामप्रकाश अहिरवार, कमलनाथ जयसिंहपुरे, महेन्द्र कुमार उईके, शशांक सिंह, अनुपम तिवारी, सुश्री रीतिका शर्मा, श्वेता परते अधिवक्ता एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
कलेक्टर ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि विकसित एवं शिक्षित समाज में नागरिक अपने आप अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाता है। उन्होंने बताया कि वे आईटी के प्रशिक्षण में लिवोनिया राष्ट्र गये थे यह राष्ट्र बहुत छोटा है यहां जनसंख्य 10 लाख है लेकिन अदालतों में 6 लाख केस दर्ज हैं। इसका मुख्य कारण उनके बीच कोई आपसी सामजंस्य नहीं है जैसे-जैसे समृद्धि आती है जागरूकता बढ़ती जाती है। उन्होंने कहा कि रीवा जिले में शिक्षा के विकास के लिए शिक्षा की गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम 3500 स्कूलों में चलाया गया है। इन स्कूलों में निश्चित किया गया है कि प्रतिदिन शिक्षक नियमित रूप से स्कूल आयें। वे अपनी डायरी बनाये डायरी में लेशनप्लान लिखें प्रतिदिन बच्चों को होमवर्क दें। होमवर्क चेक करें हर दूसरे शनिवार को पालक शिक्षक संघ की बैठक आयोजित करें। अभिभावक अपने बच्चों का होमवर्क चेक करें इससे जिले में शिक्षा की गुणवत्ता में विकास होगा।
पुलिस अधीक्षक आबिद खान ने कहा कि हम अपने व्यक्तिगत मामलों को तो न्यायालय में प्रकरण दर्ज कर लड़ते हैं लेकिन न्यायालय के बाहर आपसी बातचीत के माध्यम से लड़ाई झगड़े सुलझायें जा सकते हैं। हमें अपने आप में वह कला विकसित करनी होगी जिससे सामने वाले व्यक्ति को प्रभावी ढंग से समझाकर उसे समझौता करने के लिए तैयार किया जांय। उन्होंने कहा कि स्वस्थ्य न्याय तभी संभव है जब लोगों को बातचीत से समझाया जा सके।
कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन तृतीय अपर न्यायाधीश सुधीर सिंह राठौर ने किया। आज आयोजित लोक अदालत में कुल 1889 प्रकरणों में 6 करोड़ 36 लाख 97 हजार 962 रूपये के अवार्ड पारित किये हैं। जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने बताया कि चेक बाउंस के 83 प्रकरणों में एक करोड़ 31 लाख 53 हजार 734 रूपये अवार्ड पारित किये हैं। 90 मोटर क्लेम प्रकरणों में एक करोड़ 72 लाख 67 हजार, 27 सिविल प्रकरणों में 8 लाख 48 हजार 203 रूपये, 130 विद्युत प्रकरणों में 24 लाख 87 हजार 775 रूपये की समझौता राशि निश्चित की गई है। 622 विद्युत प्रीलिटिगेशन प्रकरणों में 44 लाख 40 हजार, 7 श्रम प्रकरण में 37 लाख 80 हजार, 625 बैंक प्रीलिटिगेशन प्रकरण में 2 करोड़ 11 लाख 69 हजार 536 रूपये और 242 जलकर के प्रीलिटिगेशन प्रकरण में 5 लाख 51 हजार 707 रूपये की समझौता राशि निश्चित की गई है। लोक अदालत में 57 दण्डिक प्रकरण, 13 परिवारिक विवाद के प्रकरणों का निराकरण किया गया है।

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