पालतू हो चाहे आवारा गौवंश भारत पर भार नहीं भाग्यविधाता बने

लगभग 20 करोड़ गौवंश वाले भारत को इनको बोझ की तरह देखने की कतई जरूरत नहीं है जैसा कि आज होता है। लगभग 20 करोड़ गौवंश तथा 10 करोड़ महिष वंश के कारण देश दूध उत्पादन में विश्व में प्रथम है।
 देश की इतनी बड़ी आबादी को अगर ज्यादा मात्रा में शुद्ध दूध पहुंचाया जा रहा है तो वह आधार यही पशुधन है। महिष वंश को मांस के लिए उपयोग में लाए जाने पर कोई रोक नहीं है लेकिन गौवंश पर है। गौवंश जहां महत्वपूर्ण है वहीं इसका महत्वपूर्ण होना ही अनुपयोगी अर्थात दुग्ध क्षमता बंद होने पर या नर होने पर खेती के लिए जो आज अनुपयोगी हैं प्रताड़ना का कारण बन जाता है ।
गौवंश भारतीय सनातन परंपरा मे श्रद्धा का विषय है इसलिए इसका देश में बध लगभग  प्रतिबंधित है ।यह होना भी चाहिए लेकिन इसके दुग्ध उत्पादन मे अनुपयोगी होने के बाद इसकी समुचित व्यवस्था नहीं होना जहां इसके आवारा होने पर खेती के लिए कष्टकारी होता है तो किसानों द्वारा इनसे अपनी फसल को बचाने के लिए किए गए कार्य इनके लिए कष्टकारी बन जाते हैं ।जबकि है गोवंश कष्ट नहीं सौभाग्य है इसके लिए सरकार तथा समाज ईमानदारी के साथ आगे आना पड़ेगा ।
  देखा जाए तो विश्व में सर्वाधिक मवेशी भारत में हैं। 19वीं पशु गणना 2012 के अनुसार भारत में कुल 51.20 करोड़ पशु हैं।19वीं पशुधन गणना  वर्ष 2007 में हुई गणना की तुलना में पशुओं की कुल आबादी 3.3% घट गई है।देश में गायों की मान्यता अनुसार 27 नस्लें हैं।  विश्व का कुल गाय बैलों का 14% भारत में है ।गाय बैल पालन में भारत का अग्रणी राज्य उत्तर प्रदेश है जबकि  मध्य प्रदेश का दूसरा स्थान है इसके बाद बिहार महाराष्ट्र राजस्थान आंध्र प्रदेश का नंबर आता है।  बढ़िया नस्ल के अधिकांश दुधारू मालवाहक या मिश्रित उद्देश्य वाले मवेशी पंजाब हरियाणा गुजरात राजस्थान और उत्तर प्रदेश में मिलते हैं। भारत में विश्व की लगभग आधी भैंसे मिलती हैं ।2012 में 299.6 मिलीयन जबकि 2007 में 304.4 मिलीयन गाय बैल 10 करोड़ भैंस वंश ,14 करोड़ बकरियां हैं।
देश के परिपेक्ष्य मे अगर मध्य प्रदेश को देखा जाए इसके 272 नगर पंचायत है, 98 नगर पालिका है,16 नगर निगम है और 22816 ग्राम पंचायत हैं। इन्हीं 22816 ग्राम पंचायतों में गौशाला बनाने का वर्तमान सरकार का संकल्प है।
 वर्षों से यह बात मै कह रहा हूं कि गौशालाएं प्रत्येक पंचायत स्तर पर होनी चाहिए तथा शहरी क्षेत्र में प्रत्येक वार्ड स्तर पर। यह बड़ी और आधुनिक भी होनी चाहिए। गौशाला  जितनी पास पास संभव हो सके  होनी चाहिए जिससे गौवंश हमारे आस-पास ही विचरण करें और गौशालाओं में विश्राम करें।
 मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र जिसे उन्होंने वचन पत्र नाम दिया है उसमें प्रत्येक पंचायत में एक गौशाला बनाने की बात कही है यह स्वागत योग्य कदम है अगर इसमें इमानदारी से अमल कर लिया जाए तो। यह गौशाला इन गांव की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल देंगे  साथ ही देश की तकदीर और तस्वीर ही बदल देंगी। इन गौशाला में बेसहारा  गौवंश के साथ दुधारू गौवंश भी रहे तो गौशाला संचालन में एक अच्छे वातावरण का निर्माण होगा।दुधारू गाय गौशाला को आमदनी तथा वहां पर काम करने वालों को दूध उपलब्ध सुनिश्चित करेंगे तो दुग्ध अनुउत्पादक गोबर और मूत्र के रूप में अपना योगदान देंगे। गोमूत्र से जहां फिनायल जैसा कीटनाशक बनने लगा है वहीं गोबर से बायो गैस का उत्पादन सभी को पता ही है। यही बायो गैस का उत्पादन गौशालाओं को चमत्कारिक भूमिका मे ला सकता है  वहीं गोबर खाद भारत को रासायनिक खाद युक्त खेती से मुक्ति दिलाने का काम करेगा ।
मैं वर्षों से कहता रहा कि इस बायोगैस का इस्तेमाल वाहनों के संचालन में होना चाहिए। बायो सीएनजी के रूप में इसका इस्तेमाल संभव है कई विशेषज्ञों से बात करने पर पता चलता था कि इसको काफी दबाव में से एन जी के रूप में रखा जा सकता है क्योंकि इसमें 90%मिथेन है इसके भंडारण के लिए बनाए जाने वाले सिलेंडर की चद्दर ज्यादा मोटी और मजबूत होनी चाहिए ।
ऐसा करना संभव है अभी कुछ दिन पहले यह समाचार पढ़ने में आया कि भोपाल के एक स्वयंसेवी संगठन ने गौवंश के गोबर से बायो सीएनजी उत्पादन प्रारंभ कर दिया है।स्वयंसेवी संगठन के गौशाला में 345 गौवंश हैं।345 गौवंश के गोबर से प्रतिदिन 34 किलो बायो सीएनजी का उत्पादन हो रहा है ।यहां सीएनजी प्लांट डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से लगाया गया है।एक क्विंटल गोबर से 1 किलो सीएनजी का उत्पादन होता है और इस 1 किलो सीएनजी से एक छोटी कार 30 किलोमीटर तक चलती है ।औसतन एक गौवंश से प्रतिदिन 10 किलो गोबर मिलता है ।भारत में 20 करोड़ गौवंश से तथा 10 करोड़ महिष वंश को भी अगर जोड़ लिया जाए 30 करोड़ जानवर और इनसे मिलेगा 30लाख टन गोबर प्रतिदिन और इससे सीएनजी उत्पादित होगी और यह बायो सीएनजी ₹35 प्रति किलोग्राम की दर से पड़ती है इससे 30 किलोमीटर तक वाहन चलता है। पेट्रोलियम सीएनजी ₹62 प्रति किलो, डीजल ₹65 प्रति लीटर और पेट्रोल ₹73 प्रति लीटर वर्तमान मे है ।जबकि बायो सीएनजी से चलने वाला वाहन एक रुपए में 1 किलोमीटर चलेगा साथ ही यह भारतीय  संस्कृत सभ्यता और पर्यावरण दोनों को स्वस्थ भी रखेका।
 जो जानवर आज अनुपयोगी होने पर लोगों के द्वारा मरने और मारने के लिए छोड़ दिए जाते हैं वह हमारी ईंधन और खाद के अच्छे स्रोत बन जाएंगे ।उनका जीवन भी सम्मानजनक होगा और हमारी तथाकथित सभ्यता की भी जरूरतें भी पूरी होंगी ।देश के अंदर निर्मित होने वाले तनाव भरे वातावरण से भी निजात मिलेगी लेकिन इन सब बातों के बीच आज यह जरूरी है कि वर्तमान सरकार प्रत्येक ग्राम पंचायत में गौशाला तुरंत खोलने का कार्य करे और इन गौशालाओं को इस तरीके से उपयोगी बनाएं जहां से बायो सीएनजी का उत्पादन हो और खाद भी ।हमारी थोड़ी सी ईमानदार कोशिश से गौवंश भारत की आर्थिक उन्नति का सहारा और भाग्य विधाता बन सकता है।
अजय नारायण त्रिपाठी ” अलखू “
8989419249
08-01-2019
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