भारतीय राजनीति के अटल पुरोधा अटल जी
25 दिसंबर 1924 को कृष्ण बिहारी वाजपेयी तथा कृष्णा वाजपेयी के पुत्र के रूप में शिंदे की छावनी ग्वालियर में जन्मे अटल बिहारी बाजपेयी ने भारतीय राजनीत को सम्मान का पद दिलाया है ।उनको कितना सम्मान मिला है, मिलेगा यह तो महत्वपूर्ण है ही लेकिन उन्होंने अपने व्यक्तित्व कृतित्व से विश्वास हीनता की बीमारी से पीड़ित भारतीय राजनीति को जनसाधारण के बीच में विश्वसनीय बनाए रखा, साथ ही नेता शब्द का सम्मान भी बरकरार रखा ।
कवि ह्रदय अटल जी उत्साह का संचार करने वाली कविताओं से जहां टूटे मन के लोगों को फिर खड़ा होने का सहारा दिया है तो उन्होंने लंबे समय तक पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर इस विधा से देश में अलख जगाने का भी काम किया है।
तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे भारत रत्न अटल जी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य तथा अध्यक्ष रहे ।1957 में बलरामपुर उत्तर प्रदेश से पहली बार जनसंघ से ही सांसद बने। मोरारजी देसाई सरकार में 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे।6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी का निर्माण तथा उसके अध्यक्ष बने। पोखरण में 5 परमाणु परीक्षण के साथ देश को परमाणु शक्ति संपन्न बनाया। स्वर्णिम चतुर्भुज योजना तथा प्रधानमंत्री सड़क योजना से देश के गांव गांव को पक्की सड़क से जोड़ दिया। कावेरी जल विवाद का निपटारा भी इनकी बड़ी उपलब्धि है। कारगिल की घटना भी आप के समय हुई जिसमें मुंह तोड़ जवाब विरोधी को दिया गया ।संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी मे भाषण देने वाले आप पहले नेता बने और राष्ट्रभाषा का मान बढ़ाया ।भारत रत्न अटल जी के कार्यों की पूरी किताब लिखी जा चुकीं हैं । अटल जी व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व की श्रेणी में आने वाले माँ भारती के पुत्र हैं।
भाजपा की जो देश में स्वीकार्यता बनी है वह अटल जी के कारण ही बनी है ।जो भी कुछ उसका स्वरूप आज हम देख रहे हैं उसमें सबसे बड़ा योगदान अटल जी का ही है ।भाजपा सरकार ने अटल जी का जन्मदिन सुशासन दिवस के रूप में मनाना प्रारंभ किया सुशासन सप्ताह मनाया जाता है, सुशासन की शपथ भी दिलाई जाती है ।अभी-अभी मध्य प्रदेश सरकार बदल गई है और भाजपा की जगह कांग्रेस का शासन आ गया है। स्वाभाविक लगा कि नई सरकार हो सकता है कि यह पर्व ना मनाएं लेकिन वर्तमान सरकार के मुखिया कमलनाथ जी ने कहा कि अटलजी सभी के हैं किसी दल विशेष के नहीं उनकी स्वीकार्यता सर्वत्र है और उन्होंने आदेश दिया है कि 24 तारीख को सुशासन की शपथ दिलाई जाएगी तथा सुशासन सप्ताह भी मनाया जाएगा ।
इसे सरकार का एक अच्छा कदम और कार्य तो कहा ही जाएगा लेकिन मेरी नजर से यह एक अच्छी स्पर्धा भी है ।भाजपा ने सरदार पटेल जी को कांग्रेस से चुरा लिया जो सम्मान भाजपा सरदार वल्लभ भाई पटेल जी को दे रही है वह उन्हें कांग्रेस में भी नहीं मिला पाया।भाजपा को इससे लाभ मिला है वही काम कुछ हद तक कांग्रेस करने जा रही है अगर भविष्य में कुछ ज्यादा अटल जी पर इनका स्नेह उमड़े तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।सरदार पटेल जी ने देश के रियासतों को एक कर एक समृद्ध राष्ट्र की परिकल्पना को साकार रूप दिया है तो अटल जी ने कई पार्टियों के गठबंधन से देश की सरकार चला कर देश को एक नए सूत्र में बांधने का कार्य किया है ।
कांग्रेस पर सरदार पटेल जी की उपेक्षा का आरोप लगता है ऐसा ही आरोप कुछ वर्षों से वर्तमान भाजपा नेतृत्व पर अटल जी को नजरअंदाज करने का लगता रहा है । अस्वस्थ होने के बाद अटल जी भाजपा के पोस्टरों से गायब हो गए थे। वर्षों से वर्तमान नेतृत्व तथा भाजपा पर अटल जी की उपेक्षा का आरोप लगा है। इनका स्नेह उन पर उनकी मृत्यु के बाद ही उमड़ा है पार्टी को लगा कि इससे लाभ मिल सकता है ऐसा आरोप विपक्ष और लोग भी लगाते रहे हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस ने अगर सरदार पटेल जी को उपेक्षित किया तो कुछ वर्षों तक भाजपा ने अटल जी को।
अब बात आती है राजनीतिक फायदे की तो जिस तरह से कांग्रेस ने सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेल दिया है उसे अच्छा लाभ भी मिल रहा है तो अगला कदम अटल जी को भाजपा से निकालकर सर्वजन का बनाने का है इस तरह से वह अटल जी के विराट व्यक्तित्व का सम्मान कर अपना पलड़ा भारी कर लेगी। राजनीति के इस अटल पुरोधा अटल जी के लिए तो यह अच्छा है ही पूरे देश के लिए एक अच्छी प्रतियोगिता भी होगी ।
भारत माता के सच्चे सपूत किसी एक पार्टी के हो कर न रहें बल्कि वह जन जन के चहेते हों यही तो लोकतंत्र में होना चाहिए। इस बार कांग्रेस को सवर्ण मतदाताओं का लाभ मिला है अटल जी का सम्मान कर उसने इसको और पुख्ता कर लिया है ।मध्यप्रदेश के साथ संपूर्ण हिंदी भाषी राज्यों में यह लाभ ज्यादा ही रहेगा। राजनैतिक लोग नफा नुकसान सोच कर ही कार्य करते हैं और यह कार्य कांग्रेस के लिए फायदेमंद है ।
अटल जी के लोग घनघोर प्रशंसक हैं। अटलजी ने भारत पुत्रों को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया है उन्होंने इस कार्य के लिए अपने जीवन चरित्र से मंत्र भी दे दिया है ।हे मां भारती की संतानों तुम चाहे जितने मत मतांतर के रहो लेकिन जब देश की बात हो मां भारती के सम्मान की बात हो तो अपने अपने निजी स्वार्थ त्याग कर एक ही न्यूनतम साझा कार्यक्रम जो मां भारती के विराट स्वरूप को और विराट करने का है उसके लिए एक हो जाओ।ऐसे हैं अपने महान अटल जी । भारतीय राजनीति के अटल पुरोधा अटल जी को बारंबार नमन।
अजय नारायण त्रिपाठी ” अलखू “
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