खाद्यान्न उत्पादन में देश में मध्यप्रदेश का वर्चस्व कायम खाद्यान्न भण्डारण क्षमता में देश में सबसे आगे

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खाद्यान्न उत्पादन में मध्यप्रदेश ने देश में अपना वर्चस्व कायम रखा है। किसानों को मिल रही सुविधाओं और किसान हितैषी निर्णयों से मध्यप्रदेश ने कृषि क्षेत्र में उच्च वृद्धि दर हासिल की है। यही कारण है कि प्रदेश को लगातार चौथी बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है।

वर्ष 2014-15 में खाद्यान्न उत्पादन 320.43 लाख टन हुआ है जो वर्ष 2013 -14 में हुए खाद्यान्न उत्पादन 242.40 लाख टन का 32.19 प्रतिशत ज्यादा है। विगत एक दशक में खाद्यान्न उत्पादन लगातार बढ़ा है। वर्ष 2004-05 में 142.95 लाख टन था। इसके बाद के वर्षों में लगातार खाद्यान्न उत्पादन बढ़ता गया।

इसी प्रकार गेहूँ उत्पादन में भी मध्यप्रदेश ने पंजाब और हरियाणा की बराबरी कर ली है। वर्ष 2003-04 में मात्र 73.65 लाख टन उत्पादन होता था जो वर्ष 2014-15 में बढ़कर 184.84 लाख टन हो गया है। यह वर्ष 2013-14 में हुए गेहूँ उत्पादन 139.30 लाख टन का 32.66 प्रतिशत है। गेहूँ उत्पादकता में भी मध्यप्रदेश ने शानदार प्रदर्शन किया है। वर्ष 2013-14 में गेहूँ की उत्पादकता 2405 किलो प्रति हेक्टेयर थी जो वर्ष 2014-15 में बढ़कर 3079 किलो प्रति हेक्टेयर हो गई है।

चावल उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी करते हुए किसानों ने वर्ष 2014-15 में 54.38 लाख टन चावल का उत्पादन किया। यह वर्ष 2013-14 में हुए 27.70 लाख टन से 95 प्रतिशत ज्यादा है। खाद्यान्न उत्पादन बढ़ने के साथ ही भण्डारण क्षमता भी बढ़ गई है। भण्डारण क्षमता बढ़कर 158 लाख मीट्रिक टन हो गई है जो देश में सबसे ज्यादा है। पाँच साल पहले वर्ष 2010 में भण्डारण क्षमता केवल 79 लाख मीट्रिक टन थी।

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