रीवा और मंदसौर सोलर पॉवर प्लांट की अधोसंरचना विकसित करने हुआ करारनामा

नई दिल्ली में ‘इरेडा’ और रीवा अल्ट्रा मैगा सोलर लिमिटेड ने ऋण के लिए करारनामे पर किये हस्ताक्षर

रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड और इंडियन रिन्यूवल एजेंसी (इरेडा) के बीच रीवा और मंदसौर सोलर पावर प्लांट की अधोसंरचना विकसित करने के लिए करारनामे पर नई दिल्ली में हस्ताक्षर किये गये। करारनामे के अंतर्गत इस कार्य के लिये विश्व बैंक 216 करोड़ रुपये का ऋण देगा। यह ऋण 20 साल में 8.5 प्रतिशत की स्थिर ब्याज दर से वापस करना होगा। इस ऋण में पांच साल का मोरटोरियम पीरिएड होगा। यह करारनामा नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में इरेडा के चेयरमैन श्री के.एस. पोपली और मध्यप्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा श्री मनु श्रीवास्तव की मौजदूगी में किया गया।

इस अवसर पर वर्ल्ड बैंक के श्री साइमन स्टॉप, केन्द्र सरकार के गैर परम्परागत ऊर्जा विभाग के संयुक्त सचिव श्री भानु यादव, रिन्यूवल एनर्जी मंत्रालय के सलाहकार श्री दिलीप निगम, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के महानिदेशक श्री उपेन्द्र त्रिपाठी सहित सौर ऊर्जा से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

ज्ञातव्य है कि विश्व बैंक द्वारा भारत में सौर पार्क के आधारभूत संरचना विकास के लिए 100 मिलियन डॉलर का प्रावधान किया गया है। इसके तहत 75 मिलियन डॉलर का ऋण है, 23 मिलियन डॉलर क्लीन टैक्नोलोजी फंड एवं 2 मिलियन डॉलर तकनीक सहयोग का फंड है। विश्व बैंक के सहयोग से सौर पार्क विकसित करने के लिए ऋण प्राप्त करने वाली मध्यप्रदेश की रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड पहली कम्पनी है जिसने इस तरह के नवाचार का प्रयोग कर नये मापदंड स्थापित किये हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य शासन ने राज्य की संस्था द्वारा क्रय किये जाने वाली विद्युत के भुगतान की सुनिश्चितता के लिए गारंटी का प्रावधान किया है। राज्य में परियोजना स्थापना में गंभीरता की परिचायक की यह पहल कम टैरिफ प्राप्त करने में अति महत्वपूर्ण साबित हुई है।

प्रमुख सचिव नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा श्री मनु श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश में रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना के विकास का एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत किया गया है जिसमें देश में न्यूनतम क्रय दर (टैरिफ) रुपये 2.97 प्रति यूनिट प्राप्त हुई है। उन्होंने बताया कि यह टैरिफ कोयले एवं अन्य स्रोतों द्वारा उत्पन्न की जाने वाली विद्युत से भी कम है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार प्रधानमंत्री के वर्ष 2022 तक देश में एक लाख मेगावॉट क्षमता की सौर ऊर्जा स्थापित करने के संकल्प को पूरा करने में सहयोग प्रदान करने के लिये कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चारअन्य सौर ऊर्जा पार्कों का विकास भी किया जा रहा है जिनकी उत्पादन क्षमता दो हजार मेगावाट लक्षित है।

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