एक महीने मे नरवाई से भूसा बनाकर रीता सिंह ने कमाये एक लाख 23 हजार “सफलता की कहानी”

निजी कस्टम हायरिंग के क्षेत्र में महिलायें भी आगे आई

जिले में खेतिहर मजदूर कम मिलने की समस्या के चलते अक्सर बडे किसान रबी की फसल की कटाई हार्वेस्टर से कराकर नरवाई खेतो मे ही छोड देते है और बहुधा खेतो की सफाई के लिये नरवाई मे आग लगा देते है। इस नासमझी के कार्य से गॉवो मे अग्नि दुर्घटनाए हो जाती है तथा गौवंश पशुओ को भूसा और चारे की कमी भी बनी रहती है। कृषि के क्षेत्र मे शासन की कृषि अभियांत्रिकी विभाग की निजी कस्टम हायरिंग योजना का लाभ उठाकर रामपुर बघेलान तहसील के ग्राम घटबेलवा निवासी रीता सिंह ने स्ट्रारीपर से लगभग 205 ट्राली भूसा एक माह में बनाकर एक लाख 23 हजार का शुद्ध लाभ कमाया है।
पढी लिखी बेरोजगार महिला रीता सिंह ने वर्ष 2016-17 मे निजी कस्टम हायरिंग योजना से 21 लाख 21 हजार रूपये का प्रोजेक्ट बनाकर बैंक से स्वीकृत कराया। उन्हे योजना के तहत 8 लाख 48 हजार की सब्सिडी भी प्राप्त हुई। मार्च 2017 मे अपना कस्टम हायरिंग केन्द्र स्थापित करने के साथ ही गेंहू की फसल कटाई और खेतो की नरवाई से भूसा बनाने का काम प्रमुखता से लिया। एक माह के भीतर ही रीता सिंह ने रीपर कम वाईन्डर मशीन से 165 घंण्टे गेंहू कटाई का कार्य किया। प्रति घंटा कटाई की दर 1200 रूपये के हिसाब से उन्हे एक लाख 98 हजार की आय हुई। सभी खर्चे काटकर उन्हे गेंहू कटाई कार्य मे एक लाख 15 हजार 500 रूपये की शुद्ध आय हुई। इसी प्रकार स्ट्रारीपर मशीनो से 205 ट्राली भूसा बनाकर 1600 रूपये प्रति ट्राली बेचने पर 3 लाख 28 हजार रूपये की आय हुई। सभी खर्चे काटकर उन्हे एक लाख 23 हजार रूपये की शुद्ध आय हुई। इस प्रकार एक माह मे निजी कस्टम हायरिंग केन्द्र से 2 लाख 38 हजार रूपये की आमदनी प्राप्त कर रीता सिंह आश्चर्य चकित और प्रसन्न है।
कृषि उद्यमी रीता सिंह का कहना है कि भूसा बनाने के उपकरण अधिक आमदनी के स्त्रोत है और इससे किसानो की खेती की जमीन का मृदा संरक्षण होने के साथ ही गौवंश संरक्षण के लिये पशुओ के भोजन का प्र्रबंध और नरवाई से अग्नि दुर्घटना रोकने के कार्य मे मदद मिलती है। उन्होने बताया कि उनके निजी कस्टम हायरिंग केन्द्र द्वारा भूसा बनाने का कार्य जारी है। ग्रीष्मकाल में खेतो की गहरी जुताई फिर इसके बाद खरीफ फसलो की तैयारी उन्नत कृषि यंत्रो से की जायेगी। निजी कस्टम हायरिंग केन्द्र मे जीरो टिलेज सीड कम फर्टिलाईजर ड्रिल रेज्डबेडप्लांटर एवं रोटा सीडर कृषि यंत्र उपलब्ध है। रीता सिंह का कहना है कि शासन की स्वरोजगार की योजनाओ से महिलायें भी पुरूषो की तरह हर क्षेत्र मे उद्यमी बनने आगे आ सकती है। शासन की योजनाओ के सहयोग से कृषि क्षेत्र मे सफल महिला उद्यमी बनने का उनका सपना साकार हुआ है। सहायक यंत्री कृषि अभियांत्रिकी जी.पी.पाण्डेय ने बताया कि 18 से 40 वर्ष के 12 वीं उत्तीर्ण महिला अथवा पुरूष उम्मीदवार योजना के लिये ऑनलाईन आवेदन कर सकते है। योजना के तहत 10 लाख से 25 लाख रूपये तक की सहायता उपलब्ध कराई जाती है। जिसमें सामान्य के लिये 40 प्रतिशत और अनुसूचित जाति जनजाति के लिये 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है।

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