दिवालिया क़ानून में बदलाव को राष्ट्रपति की मंज़ूरी

सरकार ने इंसाल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड-2016 के संभावित दुरुपयोग पर लगाम लगाने के उद्देश्य से इस कोड में संशोधन को लेकर अध्यादेश गुरुवार को जारी कर दिया. केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में इस कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने का निर्णय लिया गया था. अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिलने पर सरकार ने अब इसे लागू कर दिया है.

इंसाल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड-2016 का उद्देश्य अनैतिक तथा बेइमान लोगों द्वारा इस क़ानून के दुरुपयोग को रोकना है. साथ ही मंशा ये भी है कि इस क़ानून का फायदा ईमानदार कारोबारियों को मिल सके. इन संशोधनों के बाद अब किसी कंपनी की इंसाल्वेंसी प्रक्रिया से उन लागों को बाहर रखा जा सकेगा, जिन्होंने जानबूझकर बैंकों का कर्ज़ नहीं चुकाया है या एनपीए परिसंपत्तियों से जुड़े हैं. सरकार ने अध्यादेश में मौजूदा क़ानून के कुछ प्रावधानों को संशोधित किया है और एक नई धारा जोड़कर निविदा से संबंधित दिशा-निर्देशों को कठोर बना दिया है  ।
विलफुल डिफॉल्टर और धोखेबाज प्रमोटर दिवालिया होने जा रही कंपनियों के लिए बोली नहीं लगा पाएंगे. इसके तहत एक साल से भी अधिक समय तक फंसे कर्ज के लिए जिम्मेदार इरादतन चूककर्ताओं के फिर से दिवालिया कंपनी के अधिग्रहण करने पर रोक लगा दी गई है. धोखाधड़ी वाले लेनदेन में शामिल प्रवर्तकों को भी बोली लगाने की अनुमति नहीं होगी. तरजीही या बाजार कीमत से कम पर लेनदेन करने वालों को भी बोली प्रक्रिया से दूर रखा जाएगा. नए नियम लागू होने के बाद ऋणदाताओं की समिति के लिए यह आवश्यक होगा कि दिवालिया कंपनियों के समाधान ये जुड़ी योजना को मंज़ूरी देने से पहले योजना की कार्यशीलता और उसका सफलतापूर्वक लागू होने की संभावना को सुनिश्चित करें. इस अध्यादेश से दिवालिया एवं शोधन बोर्ड आईबीबीआई को अतिरिक्त शक्तिया भी मिल गई हैं ।
यह अध्यादेश लाना इसलिए ज़रूरी हो गया था क्योंकि संसद का शीतकालीन सत्र दिसंबर के मध्य में शुरू होगा लेकिन उससे पहले कई दिवालिया कंपनियों पर बोली प्रक्रिया शुरू होनी है. संशोधन तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं. जानकार मानते हैं कि संशोधन सही समय पर आया है, क्योंकि इससे यह बहस खत्म हो जाएगी कि दिवालिया होने जा रही कंपनी के मौजूदा प्रमोटरों को को बोली लगाने की अनुमति दी जाए या नहीं ।

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