वायु सेना मार्शल श्री अर्जन सिंह को उद्दोग मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने श्रद्धांजलि अर्पित की

भारतीय वायु सेना के मार्शल श्री अर्जन सिंह को  श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये उद्दोग मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि भारत माता के  इन वीर सपूत को देश का बच्चा – बच्चा सदैव याद रखेगा । श्री अर्जन सिंह देश के वह सपूत हैं जिन्हें देश के करोड़ों लोग और आने वाली पीढ़िया सदैव सम्मान के साथ याद और नमन करेंगी । आपकी वीरता के किस्से नवजवानों मे देश प्रेम कि भावना को हमेशा बढ़ाने का काम करेंगे । कल आपकी आत्मा शरीर से अवश्य अलग हुयी है लेकिन आप सारे भारत वाशियों के दिलों मे हमेशा जीवित रहेंगे ।

ज्ञात हो कि कल भारतीय वायु सेना के मार्शल श्री अर्जन सिंह का 98 वर्ष कि उम्र मे निधन हो गया है ।  भारतीय सेना के लिए मिसाल माने जाने वाले सिंह ने 1965 में सबसे युवा वायु सेना प्रमुख के रूप में जिम्मेदारी संभाली थी। उस समय उनकी आयु महज 44 वर्ष थी।

मार्शल अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल, 1919 को अविभाजित भारत में फैसलाबाद स्थित लायलपुर में एक सैन्य परिवार में हुआ था। वो 19 वर्ष की उम्र में ही पायलट ट्रेनिंग कोर्स के लिए चुने गए थे। 1944 में उन्होंने अराकन अभियान और इम्फाल अभियान में स्क्वाड्रन लीडर के तौर पर अपने स्क्वाड्रन का नेतृत्व किया। उनके कुशल नेतृत्व के लिए उन्हें विशिष्ट फ्लाइंग क्रॉस यानि डीएफसी से सम्मानित किया गया।
15 अगस्त, 1947 को मार्शल ने वायु सेना के सौ से भी अधिक विमानों के लाल किले के ऊपर से फ्लाई पास्ट का भी नेतृत्व किया था। चीन के साथ 1962 की लड़ाई के बाद 1963 में उन्हें वायु सेना का उप-प्रमुख बनाया गया। साल 1964 में जब भारतीय वायु सेना अपने आप को नई चुनौतियों के लिए तैयार कर रही थी, उस समय एयर मार्शल के रूप में अर्जन सिंह को इसकी कमान सौंपी गई। महज पैंतालिस साल की आयु में ही वह वायु सेना के प्रमुख बने थे। वह सबसे कम उम्र के वायु सेना प्रमुख बनने वाले अफसर थे।
पाकिस्तान के साथ 1965 की लड़ाई में उन्होंने वायु सेना की अगुआई की और दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए। पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में उनकी भूमिका के बाद वायु सेना प्रमुख के रैंक को बढ़ाकर पहली बार एयर चीफ मार्शल किया गया। इससे पहले तक वायु सेना प्रमुख को चीफ ऑफ़ द एयर फोर्स स्टाफ कहा जाता था। उन्हें नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया। वो सेना के 5 स्टार रैंक अफसर थे।
सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें स्विटजरलैंड का राजदूत बनाया गया। इसके अलावा उन्होंने कीनिया के भी राजदूत के रूप में अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने 1989-90 के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल का पद भी संभाला। उनकी सेवाओं के लिए सरकार ने साल 2002 में उन्हें मार्शल आफ इंडियन एयरफोर्स की पदवी से नवाजा। यह उपलब्धि पाने वाले वह वायु सेना के एकमात्र अधिकारी हैं। मार्शल ऑफ एयर फोर्स, अर्जन सिंह के सम्मान में पश्चिम बंगाल के पानागढ़ एयरबेस को ‘अर्जन सिंह एयरबेस’ नाम दिया गया है।
मार्शल अर्जन सिंह हमेशा अजेय रहे। उनकी कूटनीति और रणनीति से वायु सेना को कभी हार का मुंह नही देखना पड़ा। किसान-पुत्र होने के कारण उनको देश की मिट्टी से अथाह प्रेम था। उन्होंने अपनी मेहनत, कर्तव्य परायणता और देश भक्ति के जज़्बे से भारतीय वायु सेना को सफलता के शिखर पर पहुंचाया। भारतीय सेनाओं के ग्रैंड-ओल्ड मैन कहे जाने वाले अर्जन सिंह अब हमारे बीच भले ही नहीं हैं, लेकिन देश के करोड़ों नौजवानों के लिए वो हमेशा प्रेरणास्रोत बने रहेंगे।

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