सीएम हेल्पलाइन सरकार के प्रति गुस्से का प्रेसर रिलीज वाल्व

सीएम हेल्पलाइन सरकार के प्रति गुस्से का प्रेसर रिलीज वाल्व  है

 ब्रिटिश शासन काल में एक ब्रिटिश ने ही भारतीयों के सहयोग से कांग्रेस पार्टी बनाई थी जिसका काम था सरकार के प्रति जनता के आक्रोश को शांत करना। कांग्रेस जनता की समस्या को सरकार के समक्ष रखती सरकार उस पर विचार करती और समस्या सुलझाने में समय लगाती इस तरह से जनता को लगता  कि हमारी समस्या सुलझाई जा रही है। जनता को अच्छा महसूस होता और सरकार को जनता के आक्रोश से राहत मिलती। जो दर्द दे रहा था वही दवा दे रहा था यही हाल सीएम हेल्पलाइन का है।
 यह जनता की समस्या सुलझाने का अच्छा तरीका है मदद की उम्मीद है मदद मिलती भी है लेकिन जो दर्द दे रहा वही दवा देता है जिसमें दर्द देने वाले की  मर्जी ही आखिर मे चलती है। दर्द देने वाला जब  दवा देना चाहता है तभी मरीज को आराम मिलता है। योजना अच्छी है जब तक कि बीमार  संतुष्टि प्रमाण पत्र जारी ना कर दे कह न दे कि वह अच्छा हो गया तब तक दवा जारी रहती है। लेकिन अब तो संतुष्टि जबरदस्ती ले ली जाती है न्यायालय में भी ऐसे प्रकरण गए हैं। असली मरीजों को उपचार ना मिले तो दर्द देने वाले फर्जी बीमार गढ़ लेते हैं और सरकार को दिखाने के लिए कि हम इतने मरीज ठीक किए हैं अपने बनाए फर्जी मरीजों का रिकॉर्ड तंदुरुस्त कर देते हैं। असली बीमार कराहता ही रह जाता है।
 मेरा स्वयं का भी अनुभव यही है । मैंने पांच सीएम हेल्पलाइन  की उनमें से चार को परेशान होकर संतुष्टि होने का प्रमाण पत्र देकर बंद करवाया एक चल रही है। जिसको चलते हुए दो साल हो गए कोई निराकरण नहीं।  शिकायत  उच्च स्तर पर होने के बाद भी बार-बार यह संदेश आता है कि  आपकी शिकायत का निराकरण हो गया क्या आप संतुष्ट है शिकायत बंद करना चाहते हैं परेशान करने वाला संदेश रहता है। दूसरा शिकायत का निराकरण नहीं हो रहा है क्योंकि जिन्हें करना है जिन्होंने समस्या दी है जिसने दर्द दिया है उसको ही  दवा देना है।
सरकार के प्रति गुस्से को कम करने के लिए हेल्पलाइन प्रेसर रिलीज वाल्व का काम कर रही हैं ।समस्याओं से ग्रसित जनता को कम से कम यह तो लगता है कि उसकी समस्या का निराकरण हो रहा है  चाहे उसको अधिकारी के दरवाजे दरवाजे भटकना ही क्यों न पड़ रहा हो।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
18 नवंबर 2022
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