ब्रिटेन का प्रधानमंत्री ऋषि के बनने से सनातन को सम्मान

ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने से सनातन को सम्मान

 आचार्य चतुरसेन ने एक उपन्यास लिखा है “वयं रक्षाम:”  इसकी खास बात यह है कि उन्होंने पूरी दुनिया को एक ही परिवार तार्किक रूप से बना दिया है ।सभी एक से सभी एक हैं इस उपन्यास को पढ़ते हुए पता चलता है। दुनिया का कोई भी व्यक्ति एक दूसरे से अलग नहीं है कहीं ना कहीं सभी के गुणसूत्र एक दूसरे से मिले हुए हैं वह चाहे हजारों वर्ष पूर्व में ही क्यों ना मिले हों। यही भारतीय दर्शन की रहा है भारतीय दर्शन सर्वोच्चता की बात नहीं करता वह कहता है सभी एक। भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन गए हैं नाम ऐसा कि भारतीय से भी ज्यादा भारतीय। ऋषि भी है सुनक भी है। भारतीय संकुचित मानसिकता का कभी नहीं होता इसलिए सुनक भी ऋषि परंपरा के उदारवादी ही रहेंगे जो ब्रिटेन की भलाई के साथ विश्व कल्याण के लिए काम करेंगे।
 लेकिन इनके प्रधानमंत्री बनने से भारतीय विचार और इसकी सनातन संस्कृत को सम्मान प्राप्त हुआ है। जिस संस्कृत को वोट की राजनीति और खुद को केवल सर्वोच्च समझने वाले धार्मिक उन्माद ने हमेशा खत्म करने का  प्रयास किया है । उस सनातन संस्कृति और उसके संरक्षण का काम परोक्ष रूप से सुनक के प्रधानमंत्री बनने से हो गया । मंदिर जाना विश्व कल्याण की बात करना गाय को सम्मान देकर जो भारतीय संस्कृत है उसका सम्मान करना  उनका  विरोध करना कुछ समय से एक बड़े विरोधी वर्ग का काम रह गया था ।
जिसमे विदेशी तो हैं ही उससे ज्यादा भारत के लोग हैं उनके मुंह में एक तमाचे की तरह ऋषि का सनातन धर्म संस्कृति को सम्मान देना है।
 जानकारी के अनुसार सुनक का परिवार अविभाजित भारत के गुजरांवाला का पंजाबी खत्री परिवार है इनके दादा रामदास 1935 में गुजरांवाला से दक्षिण अफ्रीका तत्कालीन समय में विधर्मीयों की कट्टरता से निर्मित हो रही असहज स्थिति के कारण चले गए थे वहां से ब्रिटेन के साउथहैंपटन में बस गए। ऋषि सुनक का जन्म फार्मासिस्ट माँ असोनाक और डॉक्टर पिता सुनक के यहां हुआ। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से शिक्षित ऋषि सुनक का विवाह अक्षता मूर्ति से हुआ है जो इंफोसिस कंपनी के मालिक नारायण मूर्ति की बेटी हैं। और इन दोनों की दो संतान है कृष्णा और अनुष्का। उनका अपनी धार्मिक सांस्कृतिक परंपरा का पालन पूरी ईमानदारी के साथ करते हुए अन्य सभी का सम्मान करना यही बात भारत के पक्ष में स्वभावगत स्वागत योग्य आ गई है। सुनक भारत नही  ब्रिटेन के हित के लिए काम करेंगे लेकिन इसके बिना भी इनका अपनी सनातन परंपरा का पालन करना ही भारत के पक्ष में एक शक्तिवर्धक पेय की तरह हो गया है।
 आज भारत पुनः अपने पुरातन सम्मान संस्कारों को प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। गुलामी की निशानियों को मिटा कर आत्म सम्मान से जीने का प्रयास कर रहा है और उसका यह आत्म सम्मान उसके सनातन संस्कृति के पालक ऋषि सुनक के द्वारा जो  उस संस्कृत के वाहक हैं प्रधानमंत्री बनने से हो रहा है। इसलिए इनका ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनना और भारतीय सनातन परंपरा को सम्मान देना  भारत के लिए हितकर है।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
24- 10- 2022
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