किसानों को जैविक खेती एवं कृषि विविधीकरण के लिए प्रेरित करें – कलेक्टर

रीवा 03 अक्टूबर 2022. कलेक्ट्रेट के मोहन सभागार में कृषि विभाग द्वारा संचालित आत्मा परियोजना की जिला स्तरीय गवर्निंग बोर्ड की बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए कलेक्टर मनोज पुष्प ने कहा कि धान और गेंहू की खेती के विकल्प हमें तलाशने होंगे। रासायनिक खाद के अधिक मात्रा में और लगातार उपयोग से मिट्टी पत्थर जैसी होती जा रही है। इसकी उर्वर क्षमता भी तेजी से घट रही है। इस समस्या का हल केवल जैविक खेती एवं कृषि विविधीकरण में है। किसानों को जैविक खेती एवं कृषि विविधीकरण के लिए लगातार प्रेरित करें। इस वर्ष कई किसानों ने प्राकृतिक खेती एवं मोटे अनाजों की खेती को अपनाया है। लगातार प्रयास करके मोटे अनाजों की खेती का विस्तार कराएं।
कलेक्टर ने कहा कि किसानों के मन में यह गलत धारणा है कि जैविक खेती अथवा मोटे अनाजों की खेती से कम लाभ मिलेगा। इनसे उत्पादन अवश्य कम मिलता है लेकिन जैविक अनाज तथा मोटे अनाज गेंहू-चावल की तुलना में दुगने दाम पर बिकते हैं। मिलेट मिशन के अनाज की खेती क्लस्टर में करें। ज्वार, बाजरा, मक्का आदि फसलों को यदि दो चार खेतों में लगाएंगे तो पक्षी पूरी फसल खा जाएंगे। यदि 40-50 हेक्टेयर में इनकी खेती होगी तो पक्षियों से सुरक्षा करना आसान होगा। जिले में कई किसानों ने अच्छे किस्म के कोदो की खेती की है। इसकी मिलिंग के लिए इकाई की स्थापना का प्रस्ताव बैंक में लंबित है। इसका एक सप्ताह में निराकरण करके मिलिंग की व्यवस्था कराएं।

कलेक्टर ने कहा कि मक्का, अलसी, मटर, कोदो, रामतिल, बाजरा, ज्वार आदि की कुछ गांव के समूह में खेती होने पर उनकी देखभाल आसान होगी। व्यापारी आसानी से इन फसलों को खरीद सकेंगे। जैविक खेती के लिए तीन वर्ष में प्रमाण पत्र मिलता है। जो किसान जैविक खेती कर रहे हैं उन्हें प्रमाणीकरण कराने में पूरा सहयोग दिया जाएगा। कलेक्टर ने जैविक खेती की परपंरा को बनाए रखने वाले गांव करियाझर का अन्य गांव के जैविक खेती करने वाले किसानों को भ्रमण कराने के निर्देश दिए। बैठक में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी स्वप्निल वानखेड़े ने कहा कि आत्मा परियोजना से एकीकृत खेती की कार्ययोजना बनाएं। इसमें जैविक खेती के साथ देशी मुर्गी पालन तथा मछली पालन का व्यवसाय शामिल करें। इससे खेती की लागत घटेगी और किसानों की आमदनी बढ़ेगी। जो किसान जैविक खेती को मन से अपनाना चाहते हैं उन्हें ही इसमें शामिल करें।

बैठक में उप संचालक कृषि यूपी बागरी ने बताया कि कृषि विविधीकरण के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इस वर्ष जिले में 490 हेक्टेयर में कोदो, 775 हेक्टेयर में ज्वार की बोनी की गई है। 72 किसानों ने जैविक खेती के लिए पंजीयन कराया है। अब तक जिले में केवल जवा क्षेत्र में ही कोदो की खेती होती थी। इस वर्ष जवा के साथ-साथ सिरमौर तथा गुढ़ के कई गांवों में किसानों ने कोदो की खेती को अपनाया है। बैठक में कृषि वैज्ञानिक डॉ आरपी जोशी ने जैविक खेती के मानदण्डों की जानकारी दी। बैठक में सहायक संचालक प्रीति द्विवेदी ने आत्मा परियोजना की प्रस्तावित कार्ययोजना प्रस्तुत की। बैठक में मोटे अनाजों की खेती कर रहे कई किसानों ने अपने अनुभव साझा किए। बैठक में उपायुक्त सहकारिता अशोक शुक्ला, उप संचालक पशुपालन डॉ राजेश मिश्रा, सहायक संचालक मछली पालन शिवेन्द्र सिंह तथा आत्मा परियोजना गवर्निंग बोर्ड के सदस्य उपस्थित रहे।

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