भारत मे भारतीय गायों की किलिंग,विदेश मे कडलिंग

भारत में भारतीय गायों की किलिंग विदेशों में कडलिंग

 पूरे देश में गौवंश की हालत बहुत खराब है। भाजपा राज में लोगों को उम्मीद थी कि इनकी दशा सुधरेगी लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं पाया। सभी सरकारें गौवंश की सुरक्षा, संरक्षण, संवर्धन और सार्थक उपयोगिता के नाम पर नाकाम रही हैं। जैविक खेती की बात की जाती है लेकिन जिसके दम पर जैविक खेती होगी उसका ही दम निकला जा रहा है। पता नहीं सरकारों के पास ऐसी कौन सी मजबूरी है जिसके कारण भारत में गोवंश का संरक्षण नहीं हो पा रहा।
 गंगा, गाय और सनातन संस्कृत के नष्ट करने वाली ताकतों ने आज तक जो किया उसके लिए यह कहा जा सकता है कि उनकी ऐसी विचारधारा थी लेकिन वर्तमान भाजपा सरकारें भी यदि इस कार्य में विफल रहती हैं तो इसका सीधा सा अर्थ यही  निकलेगा कि इनकी कथनी और करनी में अंतर रहा है।
 अभी अभी रीवा जिले की घटना ने लोगों का दिल दहला दिया उफनती बीहर नदी में ग्रामीणों ने गोवंश को पीट-पीटकर नदी में गिरा दिया उसके पहले सैकड़ों बार रीवा की नहरों में ग्रामीणों ने गोवंश को मरने के लिए उतार दिया था या फिर सूखे या बहते हुए जलप्रपातों में गिरा कर मार दिया या मरने के लिए मजबूर किया। हजारों की संख्या मे बीच सड़कों या किनारे बैठा गोवंश रोज ट्रक-बस के नीचे आकर काल कालवित हो रहा है।
 गाय जो भारतीय सनातन संस्कृति धर्म में सर्वाधिक पूजनीय है उसकी ही ऐसी दुर्दशा क्यों हो रही है? सनातन धर्म जिस गाय की पूंछ पकड़कर वैतरणी पार करना चाहता है उसको बेदर्दी से क्यों मार रहा है ?आखिर! इन वर्षो में हमारे ऐसे संस्कार कहां से आए हमें कौन सी शिक्षा दी गई कि हम इतने निर्दयी हो गए हैं।अमानवीयता की हदों को पार करने वाला कोई विधर्मी हो तो समझ में आता है लेकिन आज सनातन धर्मी ही जब गोवंश के  साथ घोर निर्ममता के साथ व्यवहार करता है तो दिल दहल जाता है।  आखिर! हम कौन सा सभ्य समाज बनाने चले थे और कहां जा रहे हैं ।
जो भारतीय सनातन समाज गाय को मां और पूजनीय समझता था जिसमें देवी देवताओं का वास बताता है वहीं इनके साथ इतनी निर्ममता  से पेश आ रहा है। जिस सनातन संस्कृत के नाम पर सरकारें बनी हैं वह भी पूर्व सरकारों की भांति  केवल  दूसरी पार्टी बनकर रह गई हैं।
  वहीं दूर आस्ट्रेलिया से प्रेरणादायक खबर आ रही है कि वहां काऊ कडलिंग( गाय को गले लगाना) की जा रही है। गाय को गले लगा कर  रोगों को ठीक किया जा रहा है और विशेष बात यह है कि जिन गायों को गले  लगाकर रोगों को ठीक किया जा रहा है वह भारतीय मूल की गाय हैं क्योंकि  भारतीय  सीधी हैं  शांत हैं।उनमें प्यार अपनत्व का भाव ज्यादा है।आस्ट्रेलिया में काऊ कडलिंग से मानसिक रोगियों का इलाज किया जा रहा है।  इन भारतीय गायों के साथ समय बिताने के लिए इन्हें गले लगाने के लिए लोग पैसा दे रहे हैं ।
ऑस्ट्रेलिया के नार्थ क्विंस लैंड में काऊ कडलिंग  केंद्र बनाए गए हैं जहां मानसिक शांति के लिए लोग गायों को गले लगाने पहुंचते हैं । उनकी सेवा कर रहे हैं उनके साथ समय बिता कर अच्छा महसूस कर रहे हैं और इसके लिए शुल्क भी चुकता कर रहे हैं। यहां की बीमा कंपनियां इस चिकित्सा को अपनी बीमा नियमावली में भी शामिल कर रही हैं ।इस चिकित्सा पद्धति के लिए भारतीय गायों को ही क्यों चुना जा रहा है इस पक्ष में इनका तर्क है क्योंकि यह शांत होती हैं ।पर्सनालिटी डिसऑर्डर, घबराहट और अवसाद से पीड़ित लोग यहां ठीक हो रहे हैं यहां की काऊ थेरेपी केंद्र के संचालक लॉरेंस फॉक्स का कहना है कि मानसिक बीमार यहां ठीक हो रहे हैं और भारतीय गायों के साथ अपने को सहज महसूस करते हैं ।
एक तरफ तो यह समाचार है और दूसरी तरफ भारत में इन्हीं गायों को अमानवीय तरीके से मृत्यु के घाट उतारा जा रहा है ।भारतीय सनातन धर्मावलंबी कहने को तो गाय को माता कहते हैं लेकिन जिस तरीके से इनके साथ व्यवहार हो रहा है वह शर्मसार करने वाला है गोवध पर प्रतिबंध है लेकिन दूसरे तरीके से इनका वध किया जा रहा है ।आज ओवैसी के भाई की जीत हो रही है जिसने कहा था कि हिंदू अपनी मां को तुम्हारे पास स्वयं लाएंगे और कहेंगे कि लो इसे मार कर खा लो।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
30-08-2022
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