देशी गौवंश पालन को प्रोत्साहित करने के लिये लागू है गोपाल पुरस्कार योजना

रीवा 21 अप्रैल 2022. देशी यानी भारतीय गौवंश का दूध सर्वाधिक पौष्टिक तथा गुणकारी होता है। इसमें कई विशिष्ट गुण पाये जाते हैं। भारतीय नस्ल की गाय तथा भैंस पालन को प्रोत्साहित करने के लिये गोपाल पुरस्कार योजना लागू की गई है। यह योजना पशु चिकित्सा सेवायें विभाग द्वारा लागू की गई है। इस योजना के तहत विकासखण्ड स्तर, जिला स्तर तथा राज्य स्तर पर प्रतियोगितायें आयोजित की जाती हैं। इन प्रतियोगिताओं में सर्वाधिक दूध देने वाली गाय भैंस के पालकों को नगर पुरस्कार दिया जाता है। विकासखण्ड स्तर पर प्रथम पुरस्कार दस हजार रूपये, द्वितीय पुरस्कार 7500 रूपये तथा तृतीय पुरस्कार पांच हजार रूपये दिये जाते हैं।
इसी तरह जिला स्तर पर प्रथम पुरस्कार के रूप में 50 हजार रूपये, द्वितीय पुरस्कार 25 हजार रूपये, तृतीय पुरस्कार 15 हजार रूपये तथा पांच हजार रूपये के सात सांत्वना पुरस्कार दिये जाते हैं। राज्य स्तर पर सर्वाधिक दूध देने वाले गौवंश के लिये प्रथम पुरस्कार के रूप में दो लाख रूपये, द्वितीय पुरस्कार एक लाख रूपये तथा तृतीय पुरस्कार के रूप में 50 हजार रूपये की राशि दी जाती है। राज्य स्तर पर 10-10 हजार रूपये के सात सांत्वना पुरस्कार भी दिये जाते हैं। दुधारू पशु से तीन बार दूध निकालकर उसकी औसत मात्रा के आधार पर विजेता का निर्धारण किया जाता है। प्रतियोगिता में केवल देशी नस्ल के गाय तथा भैंस पालक भाग लेते हैं।

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