फसल अवशेष नरवाई न जलायें, यह जैविक खाद बनाने में है उपयोगी – उप संचालक

रीवा 07 नवम्बर 2021. उप संचालक कृषि ने जिले के किसानों से नरवाई न जलाने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि फसल काटने के बाद बचे हुए अवशेष (नरवाई) न जलाएं। नरवाई जलाने से एक ओर जहां खेतों में अग्नि दुर्घटना की आशंका रहती है, वहीं मिट्टी की उर्वरकता पर भी विपरीत असर पड़ता है। इसके साथ ही धुएँ से कार्बन डाईआक्साइड से तापमान बढ़ता है ओर वायु प्रदूषण भी होता है। मिट्टी की उर्वरा लगभग 6 इंच की ऊपरी सतह पर ही होती है। इसमें खेती के लिए लाभदायक मित्र जीवाणु उपस्थित रहते हैं। नरवाई जलाने से यह नष्ट हो जाते हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति को नुकसान होता है। नरवाई जलाने के बजाए यदि फसल अवशेषों को एकत्रित करके जैविक खाद बनाने में उपयोग किये जाय तो यह बहुत लाभदायक होगा। नाडेप तथा वर्मी विधि से नरवाई से जैविक खाद आसानी से बनाई जा सकती है। इस खाद में फसलों के लिए पर्याप्त पोषक तत्व रहते हैं। इसके आलावा खेत में रोटावेटर अथवा डिस्क हैरो चलाकर भी फसल के बचे हुए भाग को मिट्टी में मिला देने से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है।

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