केवल सड़क सीधी करने के लिए हजारों पेड़ काटना अपराध नही हत्या की श्रेणी में आना चाहिए

उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में कृष्ण गोवर्धन सड़क कार्य को लेकर 3000 पेड़ काटने की अनुमति सरकार ने उच्चतम न्यायालय से मांगी थी। उच्चतम न्यायालय में सरकार द्वारा दलील दी गई कि सड़क सीधी करना है जिससे वाहनों की गति तेज हो सके उच्चतम न्यायालय ने अभी अनुमति नहीं दी है और कहा भी कि  सड़क सीधी करने की आवश्यकता क्या है ? अगर वाहन थोड़ी धीमी गति से चलेंगे तो सड़क हादसे कम होंगे, पेड़ लगे रहेंगे तो पर्यावरण स्वस्थ रहेगा इसलिए केवल सड़क सीधी करने के लिए 3000 पेड़ काटना वह भी पुराने पेड़ काटना उचित नहीं होगा । पेड़ काटना मानवता के लिए भी घातक होगा । सड़कें चौड़ी करने के नाम पर अनावश्यक पेड़ों की कटाई एक गंभीर विषय है जहां आवश्यकता है वहां कुछ एक पेड़ काट कर काम चलाया जा सकता है लेकिन हजारों हजार पेड़ों को काटना किसी बड़े गुनाह और षणयंत्र से कम नहीं है। जहां-जहां सरकारों को सड़कें चौड़ी करनी है वहां वहां वह कहती है कि हम एक पेड़ काटने की जगह 10 नये पेड़ लगाएंगे लेकिन सवाल यह उठता है कि अब जब सड़क किनारे जगह ही नहीं बची है तो फिर पेड़ कहां लगाओगे । जिस तरह सड़क किनारे पेड़ों को बेदर्दी से काटा गया है उसको मैं अपने रीवा, सतना, सीधी ,शहडोल, चाकघाट ,हनुमना ,जबलपुर के आसपास के उदाहरण सहित बता सकता हूं।
 रीवा  के बाईपास को बने 15 वर्ष से ज्यादा हो गया कहां गया था कि एक पेड़ काटने की जगह 10 पेड़ लगाएंगे लेकिन हकीकत में आज तक एक भी पेड़ नहीं लगा है । पूरे बाईपास का किनारा नग्न पड़ा है हमारे रीवा विधायक पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने बहुत प्रयास किया कि पेड़ लग जाए लेकिन कंपनियाँ जिन्होंने सड़क बनाई  है उनके कानों में जूं तक नहीं रेंगी।
 रीवा से चाकघाट बने 5 साल से ऊपर हो गया एक भी पेड़ नहीं लगा, रीवा से हनुमाना का भी यही हाल है । रीवा से सतना के बीच पेड़ काटे गए और रीवा से मैहर होते हुए लखनादौन तक सभी सड़कें लगभग बन चुकी है लेकिन किनारे इनके नग्न हो चुके हैं। आज तक इनके किनारे एक भी पेड़  नहीं लगे हैं ।रीवा से मैहर के बीच 40 से 50 ,60,70 वर्ष पुराने अच्छे मोटे पेड़ पुराने इमली के पेड़ काटे गए लेकिन आज तक एक भी पेड़ नहीं लगा है।
 इन सड़कों की चौड़ाई पेड़ों को बचाते हुए  भी बढ़ाई जा सकती है लेकिन ऐसा नहीं किया गया । इन सड़कों के किनारे इतना सुंदर वृक्षारोपण था कि कहना ही क्या आम के हजारों पेड़ लगे थे। गर्मी में छाया फल दोनों मिलता था रात के समय जब इन सड़कों से हम निकलते हैं और गाड़ी की रोशनी आगे पड़ती तो ऐसा लगता है जैसे सड़क के दोनों ओर के पेड़ आलिंगन कर रहे हो तोरण द्वार जैसा प्रतीत होता था लेकिन आज एक भी पेड़ नहीं है। गर्मी के दिनों में इन सड़कों से निकलने पर ऐसा लगता है कि मरुभूमि से निकल रहे हैं। सीमेंट कंक्रीट की सड़क गर्म तवे की तरह तपती हैं। मैंने कई बार इन सड़कों के बनने के समय निवेदन किया कि पेड़ों को बीच  में लेकर अगल-बगल सड़क चौड़ीकरण कर ली जाए जिससे सड़क भी चौड़ी हो जाए और पेड़ भी बच जाए ।  सड़क की सुंदरता के साथ राहगीरों को छाया मिल सके फलदार पेड़ खाद्य सुरक्षा का अपना दायित्व पूरा करते रहे और पर्यावरण भी स्वस्थ रहे ।  रीवा विधायक कहते हैं कि वृक्ष पृथ्वी का श्रृंगार है लेकिन उनके सामने ही पृथ्वी को श्रृंगार विहीन कर दिया गया है। कोई सुनने वाला नहीं पेड़ों की बड़ी निर्दयता से कटाई की जा रही है सड़क निर्माण या किसी निर्माण कार्य मे धनपशुओं से पुराने बड़े पेड़ों को बचाना बहुत जरूरी है ।
सरकारें पेड़ लगाने का वादा भी करती हैं तो बीरबल की खिचड़ी जैसे ।राहगीर गुजरेगा सड़क से और पेड़ लगाए जाएंगे जंगल में । जंगल में लगे पेड़ पर्यावरण के लिए जरूरी हैं लेकिन सड़क में चल रहे राहगीर को छाया नहीं देंगे। भट्ठी जैसी तपती सड़क को ठंडा सड़क किनारे लगे पेड़ ही करेंगे जंगल के लगे पेड़ नहीं ।सड़क के किनारे और शहरों मे अंधाधुंध पेड़ काटे जा रहे हैं उसी का परिणाम है कि दिन प्रतिदिन गर्मी बढ़ती जा रही है और मौसम में अनचाहे परिवर्तन आ रहे हैं।
 सड़क सीधी करने जैसे मुद्दे या अनावश्यक सड़क चौड़ी करने के मुद्दों से पेड़ काटने से बचाया जा सकता है। सड़क चौड़ीकरण पेड़ बचाकर भी किया जा सकता है ।मैंने स्वयं भी  2006 में सड़क निर्माण का कार्य किया है मेरे सामने भी ऐसी परिस्थिति आई थी जहां सड़क सीधी करने के लिए पेड़ों को  काटने का फरमान था लगभग 15 से 25 वर्ष पुराने आम के बगीचे 25 के लगभग  पेड़ । सड़क को सीधी करता तो इतने पेड़ काटना पड़ता मैंने यह करना स्वीकार नहीं किया अधिकारियों से बात की उन्होंने कहा कि तब आपको अपने पैसे से यह काम करना होगा कि पेड़ भी बच जाए और सड़क भी  बन जाए।  मेरा कुल ₹25000 ज्यादा खर्चा हुआ लेकिन मैंने पेड़ नहीं काटे और सड़क भी बना दी।  जहां पर  मोड पर पेड़ आते हैं वहां उनके ऊपर या सामने रेडियम रिफ्लेक्टर लगाए जा सकते हैं जिससे पूरी सड़क दूर से ही चिन्हित होकर नजर आने लगती है।
 सर्वोच्च न्यायालय, केंद्र सरकार और प्रदेशों की सरकारों से ऐसे विकास  से लोगों को बचाने का प्रयास करे जहां अनावश्यक पेड़ों को काटना पड़े । पेड़ो को बचाकर विकास करने की आवश्यकता है पेड़ों के विनाश पर विकास पूरी मानवता के विनाश का कारण बनेगा ।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
07 दिसंबर 2020
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