चीनी उत्पाद बहिष्कार के लिए हम सबको होना पड़ेगा निर्वस्त्र 

चीनी उत्पाद बहिष्कार के लिए हम सबको निर्वस्त्र होना पड़ेगा

भारत पाकिस्तान या भारत चीन या कभी-कभी अमेरिका की धमकी या कट्टर धार्मिक देशों की धर्मांधता या यूरोपीय सरकारों के पाप के पापी शुद्धिकरण का जब  वीभत्स रूप  सामने आता है तो हम भारतीयों में विशेषकर समाचार चैनलों में, नेताओं के भाषणों में और स्वयंसेवियों के चंदा आंदोलन में देश प्रेम हिलोरे मारने लगता है ।नेताओं को चीखने चिल्लाने के लिए मंच मिल जाता है चैनलों को तू – तू मैं – मैं सामरिक विश्लेषण के नाम पर अपनी टीआरपी बढ़ाने का मौका और स्वयंसेवी चंदा संस्थाओं को अपने जागरण के लिए चंदा। इन सबसे दूर जो देश के लिए काम कर रहा है वह तबका  अपना सिर नीचे किए राष्ट्र निर्माण में लगा रहता है। उसमें हर स्तर में काम करने वाले लोग हैं। वह किसान है मजदूर है हर विभाग में काम कर रहे कुछ देश के लिए समाज के लिए समर्पित कर्मचारी सैनिक लोग हैं।
 बात अगर वर्तमान की करें तो भारत चीन के साथ युद्ध के हालात है और पाकिस्तान के साथ लगातार युद्ध चल ही रहा। अब सरकारें कोई भी रही होंं सभी के सामने इन देशों की नीच  नापाक हरकतें लगातार जारी रही हैंं लेकिन किसी भी सरकार ने इनके खिलाफ लड़ने के लिए सार्थक और दीर्घकालिक  व्यवस्था व्यूह रचना की हो इसका प्रयास कम और इनसे मित्रता के नाम पर अपना लगातार नुकसान करने का प्रयास ज्यादा हुआ है ।वर्तमान सरकार से लोगों की इस व्यवस्था के खिलाफ लड़ने की उम्मीद है और उसे अब इस उम्मीद मे खरा उतरना पड़ेगा।
 आज भारत-चीन विवाद पर चीनी सामान के बहिष्कार की बात हो रही है लेकिन उससे पहले यह सोचने की बात है आखिर चीनी सामान हमारे  दिनचर्या और हमारी सभी छोटी-बड़ी आवश्यकताओं में घुसा कैसे ? आज आखिर बहिष्कार का रोना क्यों रोना पड़ रहा है। आज सोशल मीडिया के जमाने में जिन मोबाइल स्क्रीनों में चीनी सामान के बायकाट के लिए मुहिम चल रही है उनमें से लगभग 90% तक स्क्रीनें चाइनीज होंगी ।भारत अपने अच्छे मोबाइल क्यों नहीं बना सका ?  कल मैंने कान साफ करने के लिए बड उठाई वह भी चाइनीस थी। जब रुई तक का आइटम चाइनीज है तब आज हम चीनी सामान के बायकॉट की बात कर रहे हैं । गांव देहात से लेकर बड़े शहरों तक सभी आज चीनी सामान के साथ अपनी सुबह की शुरुआत करते हैं और रात में मच्छर मारने के रैकेट के इस्तेमाल, नाइट लैंप ,मच्छरदानी चद्दर बेड तक ।अब कहां तक हम बायकॉट करेंगे हमारे अंतःवस्त्र तक चाइनीज हो चुके हैं बच्चों के डायपर भी। जब हमारे अंतर्वस्त्र तक चाइनीज हो चुके हैं तब हमने बायकॉट की सोची है। अब अगर हम तुरंत बायकॉट करेंगे तो सबसे पहले हम सबको कई स्तरों पर निर्वस्त्र होना पड़ेगा ।
 हमने कल तक एफडीआई का विरोध किया था आज हर जगह 100% है तो चीन कैसे पीछे रहेगा जाने अनजाने उसने हमे ऊपर से नीचे  तक घेर लिया है। कोरोना जैसी महामारी फैलाकर दुनिया से आंखें तरेरना और भारत को युद्ध के लिए उकसाने की हिम्मत उसे  हमने ही दी है ।
आज करोड़ों परिवार चीन के बने सामान बेचकर अपनी जीविका चला रहे हैं छोटा हो या बड़ा शहर हर जगह इनके उत्पादों के शोरूम हैंं टीवी चैनलों को विज्ञापन मिलता है अभिनेताओं को विज्ञापन के लिए पैसा और हमारे ऊपर से लेकर नीचे तक के तंत्र को उद्योग लगाने की सहूलियत देने के नाम पर चीनी कंपनियों से कमीशन। सबका पेट चीन से चल रहा है ।हद तो तब होती है जब चीनी सामान के बहिष्कार का ज्ञान बघारने वाले टी वी चैनल चीनी सामान के बहिष्कार के साथ चीनी कंपनियों का विज्ञापन भी दिखा रहे होते हैं । एक तरफ बहिष्कार का ज्ञान दूसरी तरफ अपनी कमाई के लिए विज्ञापन वाह भाई वाह !ऐसे में बायकॉट सामान्य जनता के लिए केवल गलाकाट चिल्लाहट बस बन के रह जाता है  जब तक कि ऊपर से इसका इलाज नहीं होगा और नीचे से जड़ नहीं काटी जाएगी जिसकी संभावना कम ही है।
चार दिन हम शहीदों की शहादत पर आंसू बहाएंगे फिर चीन की लात खाने के लिए सारी शहादत भूलकर उसकी सिली चड्डी पहनने के लिए तैयार हो जाएंगे। हाँ  अब अगर बार-बार निर्वस्त्र नहीं होना है तो कुछ दिन हम सब देसी पत्ते लपेट  अपने अपने हाथों अपनी इज्जत ढ़क लें और फिर कभी बायकॉट की नौबत ना आए तो आपने हाथों अपनी जरूरतों का सामान बना लें।
अजय नारायण त्रिपाठी ” अलखू “
22जून 2020
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