श्री कृष्ण का व्यक्तित्व हमें सकारात्मक सोच के साथ कर्म करने की शक्ति प्रदान करता है – कमिश्नर डॉ. भार्गव

प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी विश्वविद्यालय में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव मनाया गया
रीवा 25 अगस्त 2019. प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय रीवा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कमिश्नर रीवा संभाग डॉ. अशोक कुमार भार्गव शामिल हुए। आयोजन में मुरली मनोहर श्रीकृष्ण के संपूर्ण क्रियाकलापों जैसे रासलीला, बालहठ, माखन चोरी आदि को बड़े ही मनोरम ढंग से प्रस्तुत किया गया। इसके साथ ही वृंदावन एवं गोकुल से जुड़ी हुई श्रीकृष्ण की मनोरम घटनाओं की झलकियों को बहुत ही सुंदर सांस्कृतिक गीत-संगीत के माध्यम से बाल कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम में कमिश्नर डॉ. भार्गव ने अपने उद्बोधन में कहा कि भौतिक मूल्यों की चकाचौंध और नैतिक मूल्यों के संक्रमण के इस दौर में कर्मयोगी श्री कृष्ण ने कुरूक्षेत्र के मैदान में मोहग्रस्त, किंकत्र्तव्यविमूण अर्जुन को अनाशक्त भाव से कुशलतापूर्वक कत्र्तव्य पथ पर कर्म करने का जो अमर संदेश दिया है वह मानव मात्र की कल्पना का पवित्र ग्रंथ है। श्री कृष्ण का बहुआयामी व्यक्तित्व हमें जिंदगी की विपरीत और विषम परिस्थितियों में सकारात्मक सोच के साथ कर्म करने की निर्णायक शक्ति प्रदान करता है। कृष्ण जब कंस का वध करते हैं, कालिया का दमन करते हैं और पूतना का वध करते हैं तो उनके प्रति जनमानस में आस्था का सृजन होता है। जब वे कुरूक्षेत्र के मैदान में योगेश्वर के रूप में अर्जुंन को निष्काम कर्म का संदेश देते हैं तब उनके प्रति अपार श्रद्धा जन्म लेती है। लेकिन जब वे यशोदानन्दन के रूप में यमुना तीरे रास रचाते हैं तब उनके तब उनके प्रति अनुराग भाव प्रस्फुटित होता है। कृष्ण का व्यक्तित्व हमारी संस्कृति के साथ-साथ हमारे मर्यादित संस्कारों को भी रचता है। कृष्ण के मनोहारी व्यक्तित्व ने इस देश को हरी-भरी प्रीतिमय, अनुरागमय कुंज संस्कृति उपहार में दी है जिसे संरक्षित, संवर्धित और पल्लवित करना हमारा प्राथमिक कत्र्तव्य होना चाहिए। हमें गीता के एक-एक शब्द से, मंत्र से जीवन संघर्ष में सदैव आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। अगर जीवन में गीता के महान संदेश को आत्मसात करना है तो धर्म को आचरण में उतारना होगा। रावण महान पंडित, महाज्ञानी और महान विद्वान था फिर भी भगवान राम ने उनका वध किया क्योंकि रावण ने धर्म को अपने आचरण में क्रियान्वित नहीं किया था। इसलिए केवल विषय ज्ञान मायने नहीं रखता जब तक कि ज्ञान आचरण में नहीं उतरे। इसलिए हमें अपने जीवन को गीता के अमर संदेशों से संस्कारित करना चाहिए। कृष्ण का समग्र दर्शन पांच हजार वर्ष पहले भी प्रासंगिक था, आज भी है और युगों-युगों तक प्रासंगिक बना रहेगा।
इस अवसर पर छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कमिश्नर डॉ. भार्गव ने सराहना की। कार्यक्रम में कमिश्नर डॉ. भार्गव की धर्म पत्नी आशा भार्गव, संचालिका प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय बहन बी.के. निर्मला, आयुक्त नगर निगम सभाजीत यादव सहित छात्र-छात्राएं भक्तगण एवं अन्य लोग उपस्थित थे।

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