विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत सौदामिनी कॉलेज में कार्यक्रम आयोजित

अच्छे संस्कारों से साकार होती है स्वस्थ समाज की परिकल्पना – कमिश्नर डॉ. भार्गव
विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत सौदामिनी कॉलेज में कार्यक्रम आयोजित
रीवा 02 अगस्त 2019. कमिश्नर रीवा संभाग डॉ. अशोक कुमार भार्गव के मुख्य आतिथ्य में शहर के समीप ग्राम खौर स्थित सौदामिनी इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग एण्ड रिसर्च कॉलेज में विश्व स्तनपान सप्ताह एवं मिशन पिंक हेल्थ विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने स्तनपान एवं मिशन पिंक हेल्थ पर प्रकाश डालते हुए नर्सिंग छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज के बदलते हुए परिवेश में आपने ऐसा कैरियर बनाने का निर्णय लिया है, जहां परोपकार, समर्पण एवं निष्ठा की सेवा भावना रहती है। मानवीय कल्याण के इतिहास में नर्सिंग का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हर संभव परिस्थितियों में लोगों का स्वास्थ्य अच्छा बनाये रखने में नर्सिंग स्टॉफ की अहम भूमिका होती है, इसलिए आप सब उपलब्धियों के सोपान गढ़ें, स्वप्न को साकार करें। मरीजों के प्रति सेवा भाव रखकर उनकी मदद करें। क्योंकि अच्छे संस्कारों से ही स्वस्थ समाज की परिकल्पना साकार होती है। कमिश्नर श्री भार्गव ने कहा कि पिंक मिशन और स्तनपान सप्ताह दोनों ऐसे विषय हैं जिस पर कोई व्यक्ति खुलकर चर्चा नहीं करना चाहता। स्वास्थ्य से जुड़ा एक बुनियादी पहलू यह है कि हर चौथी महिला में से हर तीसरी महिला खून की कमी से पीड़ित है। गर्भवती महिला खून की कमी से कुपोषण का शिकार हो जाती है और आने वाला नन्हा मेहमान भी इससे ग्रसित हो जाता है। उन्होंनेे कहा कि संसाधनों की कमी नहीं है, कमी है साधना और इच्छाशक्ति के पहल की। हम सबको समाज में चेतना जागृत करने की आवश्यकता है। अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष तथा पुरूषार्थ तभी पूरा कर सकते हैं जब हमारा स्वास्थ्य ठीक हो। बीमारी जब विकराल रूप धारण करती है तब मनुष्य भगवान व डॉक्टर को याद करता है, और जैसे ही दुख दूर होता है तो वह इनको भूल जाता है।
संभागायुक्त ने बताया कि शासन की ओर से कई योजनाएं संचालित है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना द्वारा गर्भवती माताओं को राशि प्रदान की जाती है। आंगनवाड़ियों में किशोरी बालिकाओं को शिक्षण देने की व्यवस्था है। गर्भवती महिला का पंजीयन होने पर आयरन एवं फोलिक एसिड की गोलियां दी जाती हैं। आयरन की गोलियों को पचाने के लिए विटामिन-सी की भी जरूरत होती है।
कमिश्नर श्री भार्गव ने कहा कि स्तनपान को लेकर समाज में जागृति पैदान करने की आवश्यकता है। स्तनपान को लेकर समाज में उतनी चेतना नहीं है जितनी होनी चाहिए। आज भी बहुत क्षेत्र ऐसे हैं जहां हमें चेतना जागृत करने के लिए बताना पड़ता है। उन्होंने कहा कि कुपोषण से समय और पैसा दोनों बर्बाद हो जाता है। गर्भवती माता को पर्याप्त आहार एवं पोषण मिले। जन्म लेने के बाद बच्चे को एक घण्टे के अंदर माँ का दूध पिलायें। मासिक धर्म के दौरान कैसे ध्यान रखें। ऐसी छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर समाज के भविष्य को उज्जवल बनाया जा सकता है।
कमिश्नर भार्गव ने कहा कि पिंक हेल्थ मिशन को कामयाब बनाने के लिए आप संदेशवाहक के रूप में काम करें। समाज में फैली भ्रांतियों एवं बेकार की धारणाओं को भुलाकर बच्चे को एक घंटे के भीतर मां का स्तनपान कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक घण्टे के भीतर स्तनपान कराने का प्रतिशत काफी कम है, अगर हर मां अपने बच्चे को एक घण्टे के भीतर स्तनपान कराये तो संस्थागत प्रसव में स्तनपान से शत-प्रतिशत वृद्धि हो जायेगी। मां का गाढ़ा पीला दूध तीन दिन तक बच्चे को पिलाने से डायबिटीज, दस्त, उच्च ब्लडप्रेशन, कमजोरी नहीं होती है। बोतल से दूध पिलाने से इंफेक्शन की संभावना रहती है। मां का दूध पोष्टिकता से भरपूर होता है। छ: माह तक मां का दूध मिलना चाहिए। इसके बाद अन्य खाद्य पदार्थ दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को दो वर्ष तक स्तनपान जरूर करायें। भोजन की थाली में सभी पोषक तत्व होना चाहिए। गर्भवती महिला की प्रारंभ से जांच हो और सम्पूर्ण टीकाकरण हो। मां को गर्भाषय और स्तन का कैंसर होने की संभावना खत्म होती है। बच्चे और मां के बीच भावनात्मक रिश्ता बनता है। आत्मीयता का अनुभव होता है। दुनिया में सिर्फ मां को ही यह क्षमता दी है कि वह यदि पागत भी हो जाये तो मां अपने बच्चे को पहचान लेती है। मां खुश या गुस्से में होकर दूध पिलाती है तो उसका मनोवैज्ञानिक असर बच्चे पर पड़ता है।
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि कामयाबी हम तभी हासिल करते हैं जब निरंतर हम अपने ज्ञान को अपडेट करते हैं। महिलाओं-बच्चों के मनोविज्ञान को समझें। जिंदगी गूंज की तरह है हम जैसा देते हैं वैसा ही फल पाते हैं। बीमारियों का असर हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर होता है। इसलिए स्वस्थ्य समाज की कल्पना को साकार करने के लिए अपने संस्कार नहीं भूलें।
इस अवसर पर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्योति सिंह ने कहा कि जब शरीर स्वस्थ रहता है तभी हम कुछ कर सकते हैं। इसलिए शरीर का ध्यान रखना जरूरी है। मिशन पिंक का मतलब है महिलाएं एवं लड़कियां खून की कमी दूर करने के लिए आयरन-फोलिक ऐसिड की गोलियां नियमित खाएं। राष्ट्रभक्ति करने के लिए अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है। उन्होंने एक गोली विटामिन बी-12 की रोज खाने की सलाह दी।
कार्यक्रम में कॉलेज की चेयरमैन प्रज्ञा त्रिपाठी, प्राचार्य डॉ. सुमन सिंह, डॉ. मोहिना पाण्डेय, डॉ. सौरभ पटेल सहित कॉलेज के प्राध्यापकगण एवं नार्सिंग की छात्राएं उपस्थित थीं। कार्यक्रम के पश्चात कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कॉलेज परिसर में पौधा रोपण भी किया।

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