प्रयागराज में प्रधानमंत्री ने सफाई कर्मचारियों का किया पैर धोकर सम्मान

प्रधानमंत्री ने कुंभ के पवित्र मौक़े पर संगम तट पर स्नान,ध्यान किया। विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और तीर्थराज प्रयाग को प्रणाम किया।  संगम तट पर पहुंचे प्रधानमंत्री ने वो मिसाल कायम की जो शायद ही आज से पहले किसी ने न देखी और न ही सुनी हो। प्रधानमंत्री ने ख़ुद  सफाई कर्मचारियों के चरण पखार कर एक नई नज़ीर पेश कर दी।

स्वच्छाग्रहियों ने करोड़ों कदमों के लिए मेले का हर-एक कोना स्वच्छ और सुंदर बनाया। कर्मयोगियों के सम्मान का पल भी इतिहास में दर्ज़ हो गया। प्रयागराज की महिमा है और प्रधानमंत्री का स्वच्छता के प्रति आग्रह दोनों ने मिलकर स्वच्छता का संदेश देश भर में दिया और एक अपील भी कि स्वच्छता के कुंभ में हर-एक व्यक्ति योगदान दे सकता है।

देश का हर-एक नागरिक अगर अपने हिस्से की गंदगी ना फैलाए तो सेवा में लगे करोड़ो स्वच्छाग्रहियों का सम्मान ही होगा। स्वच्छताकर्मियों की सेवा ठीक वैसे ही है जैसे कोई मां अपने बच्चे को बिना किसी शिकन के रोज़ नहा-धुला कर साफ-सुथरा बना देती है। तीर्थराज की धरती पर प्रधानमंत्री ने कर्म की प्रधानता का सम्मान कर प्रभु-श्रीराम और केवटराज संवाद की भी याद दिलाई।

संगमतट का पौराणिक माहत्म्य क्या है ये प्रधानमंत्री अच्छी तरह से जानते हैं वजह यही रही कि उन्होने ख़ुद स्नान ध्यान करने का पल नहीं गंवाया। संगम में पवित्र डुबकी लगाई और पूरे तन्मयता के साथ विधि पूर्वक पूजा-अर्चना भी की। युगों-युगों से भारतभारती की सेवा करने वाली जीवनदायिनी गंगा अपने नीर से इस शस्यश्यामला को यूं ही सिंचिंत करती रहो। हे भागीरथी देश के किसानों के भंडार अन्न से भरती रहो शायद यही कामना लिए प्रधानमंत्री सदानीरा को शीश नवाते रहे और 130 करोड़ भारतीयों के लिए आशीष मांगते रहे

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