प्रदेश के 4 औद्योगिक क्लस्टर पर शुरू होगा सीएसटी तकनीक का प्रयोग
मध्यप्रदेश में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नया प्रयोग किया जा रहा है। अब कान्सनट्रेटेड सोलर थर्मल (सीएसटी) तकनीक से सौर ऊर्जा का उत्पादन कर उद्योगों में उपयोग सुनिश्चित किया जायेगा। इंदौर, भोपाल, जबलपुर तथा ग्वालियर औद्योगिक क्लस्टर में इस तकनीक का उपयोग किये जाने का निर्णय लिया गया है।
प्रमुख सचिव नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा श्री मनु श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश में पहले से ही सोलर फोटोवोल्टाइक तकनीक के उपयोग से लगभग 1200 मेगावाट के सौर प्रोजेक्ट की स्थापना की जा चुकी है। लगभग 1100 मेगावॉट के प्रोजेक्ट का कार्य प्रगति पर है। नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अब मध्य प्रदेश में कान्सनट्रेटेड सोलर थर्मल तकनीक (सीएसटी) के प्रयोग से उद्योगों को जोड़ा जायेगा। श्री श्रीवास्तव ने बताया कि सीएसटी तकनीक दर्पणों का उपयोग कर सौर विकिरणों को केन्द्रित करती है और उससे प्राप्त उष्मा को भाप में बदलती है। टेक्सटाइल, पल्प, पेपर, खाद्य प्र-संस्करण तथा रसायन उद्योग में इस प्रकार की गरम भाप का इस्तेमाल किया जाता है। नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग इस क्षेत्र के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर सीएसटी तकनीक की जानकारी उद्योगों को उपलब्ध करायेगा। साथ ही उद्योग संघों जैसे सीआईआई, फिक्की और एसोचैम की भी इस तकनीक के प्रचार में भागीदारी होगी।
प्रमुख सचिव ने बताया कि वर्तमान में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्रालय सौर आधारित प्रणालियों की बेंचमार्क लागत पर 30 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करता है। संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन ऐसी प्रणालियों के लिए सॉफ्ट लोन देता है। यूएन आईडीओ ने 14 उद्योगों की पहचान की है जहाँ सीएसटी तकनीक का उपयोग किया जा सकता है।