मध्यप्रदेश में सक्षम नेतृत्व का नाम है शिवराजसिंह चौहान · डॉ. नरोत्तम मिश्र
किसी ने कहा है – लोगों को उसके कद का अंदाज़ा ना हुआ.. वो आसमां था, जो सर झुका के चलता था.. यह पंक्तियां देश के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान के व्यक्तित्व और कृतित्व से मेल खाती है। यह हकीकत है कि मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने मध्यप्रदेश की तस्वीर बदल दी है। सीहोर जिले के एवं छोटे से गाँव की गलियों से निकलकर सार्वजनिक क्षेत्र में आने और फिर संगठन से लेकर सरकार के मुखिया की जिम्मेदारी निभाने में श्री चौहान की सक्रिय भूमिका सामने आई है। वे सामाजिक उत्थान के कार्यक्रमों को जीवन का मिशन मानते हैं। उन्होंने हर तबके के तरक्की के लिए कदम उठाये हैं। यही वजह है कि देश के मुख्यमंत्रियों में उनकी अलग पहचान भी बनी है। मुख्यमंत्री का दायित्व संभालने के पूर्व उन्होंने एक विधायक और सांसद के रूप में सक्रिय जनप्रतिनिधि का परिचय दिया था। उनकी इस पृष्ठ भूमि से आम जनता भी अवगत रही है। विधायक बनने के पहले उन्होंने भारतीय जनता युवा मोर्चा और मुख्यमंत्री बनने के पहले भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व भी संभाला था। आपातकाल के कठिन दौर में शिवराज जी ने कारावास में भी दिन बिताए। लोकतंत्र को कमजोर करने के तत्कालीन केन्द्र सरकार के उस निंदनीय कदम का सड़क पर आकर विरोध करने वाले शिवराज जी बहुत कम कार्यकर्ताओं और सहयोगियों के बावजूद संघर्ष के मार्ग पर डटे रहे। उनके व्यक्तित्व में धैर्य, परिश्रम, अन्य लोगों की भावनाओं को समझने और समन्वय से कार्य करने के गुण शामिल हैं।
बेटियों को बनाया वरदान
शिवराज जी ने सांसद के रूप में समाज के अभावग्रस्त परिवारों की कन्याओं के हाथ पीले करने का बीड़ा उठाया था। उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद कन्यादान योजना और लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाकर महिलाओं के हित में ऐतिहासिक कार्य कर दिखाया है। सत्ताईस लाख से अधिक बालिकाओं के जीवन में जो उमंग आई है, उसकी प्रसन्नता उन बालिकाओं के परिवार के लोग महसूस करते हैं। मध्यप्रदेश की बालिकाएं वयस्क होते ही लखपति बन जाती है। दिल्ली और कितने ही प्रांतों की सरकारों ने बाद में यह योजना अपने प्रांतों में लागू की। यदि राजाराम मोहन राय के बाद यदि समाज सुधार के क्षेत्र में कोई बड़ी पहल हुई है तो वह शिवराज जी द्वारा बहनों को सक्षम और समर्थ बनाने के रूप में मध्यप्रदेश में हुई है। जहां बेटी के जन्म से लेकर उसकी शिक्षा और विवाह तक आर्थिक रूप से सबल बनाना शामिल है। बेटियों को बोझ समझे जाने की लोगों की मानसिकता में भी परिवर्तन आया है। इसका कारण भी इस तरह की अनूठी योजनाओं पर अमल हो माना जा सकता है। आमतौर पर राजनीति से जुड़े लोग इस तरह के व्यापक समाजोपयोगी कार्यों पर उतना ध्यान नहीं दे पाते। सामाजिक क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों और अनेक नवाचारों को मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सफलता पूर्वक कर दिखाया है। समाज ने भी इस तरह के नवाचारों को अंगीकार किया है। मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन भी पहले मध्यप्रदेश में लागू की गई बाद में छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश और अन्य राज्यों ने इसे शुरू किया। बुजुगों को तीर्थ दर्शन का सुख देने वाली इस योजना के प्रणेता शिवराज जी हैं जो आधुनिक श्रवण कुमार माने जाते है। दूसरे प्रदेश मध्यप्रदेश की अन्य योजनाओं का भी अनुसरण कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज जी ने दायित्व संभालने से लेकर अब तक निरंतर गतिशील रहकर जन-जन का कल्याण सुनिश्चित किया है। ऐसे अनेक अवसर आए जब प्रदेश के किसान अतिवर्षा, बाढ़, दुर्घटनाओं का अनायास शिकार हुए। प्रदेश के नागरिकों की सहायता के लिए जिस ततपरता से मुख्यमंत्री श्री चौहान आगे आते हैं, वो बेमिसाल है।
अन्नदाता की चिंता
मध्यप्रदेश को पाँच बार कृषि कर्मण अवार्ड मिला है। इसके पीछे एक खास वजह मध्यप्रदेश में विकसित सिंचाई सुविधाएं भी हैं। प्रदेश सरकार लगातार किसानों, गरीबों तथा समाज के हर वर्ग के चहुँमुखी विकास के लिये तेजी से कार्य कर रही है। जहाँ पहले प्रदेश में केवल साढ़े सात लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा थी, वहीं अब यह बढ़कर सरकारी स्त्रोतों से लगभग चालीस लाख हेक्टेयर हो गयी है। मध्यप्रदेश में अगले कुछ वर्ष में यह क्षमता 60 लाख हेक्टेयर हो जाएगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान और मध्यप्रदेश सरकार को अन्नदाता किसान दुआ दे रहे हैं। मध्यप्रदेश किसानों को अतिवर्षा, ओलावृष्टि से हुई फसल क्षति पर राहत राशि और फसल बीमा योजना के अंतर्गत राशि दिलवाने वाला अग्रणी राज्य भी मध्यप्रदेश ही है। प्रदेश की कृषि विकास दर प्रतिवर्ष बढ़ रही है। यह उपलब्धि प्राप्त करने वाला मध्यप्रदेश देश का एकमात्र राज्य है।
भावांतर का भाव पहुंचा पूरे देश में
गत वर्ष लागू भावांतर भुगतान योजना किसानों के बेहद उपयोगी सिद्ध हुई है। इसका अध्ययन अनेक राज्यों ने किया है। कुछ राज्य इसे लागू भी कर चुके है। मध्यप्रदेश में सरकार के कल्याणकारी सोच का अन्य प्रांतों तक पहुंचना साधारण बात नहीं है। शिवराज जी ने किसान की पीड़ा को समझा और महसूस किया है। यही वजह है कि उन्हें ब्याज मुक्त ऋण के साथ ही भावांतर योजना जैसी योजनाओं का फायदा दिलवाने पर ध्यान दिया गया, ताकि किसान आर्थिक रूप से इतना सक्षम बन जाए कि उसे कम उत्पादन, मौसम की प्रतिकूलता, बाजार के उतार-चढ़ाव किसी भी कारण से नुकसान न उठाना पड़े।
स्वच्छ भारत के स्वप्न को पूरा करने का जतन
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आव्हान पर प्रारंभ किए गए स्वच्छ भारत अभियान का भी प्रदेश में अच्छा क्रियान्वयन हुआ है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का उद्देश्य दिसंबर 2018 तक पूरे प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र को खुले में शौच की प्रथा से पूरी तरह मुक्त करवाना है। मध्यप्रदेश के दो बड़े नगर इंदौर और भोपाल सार्वजनिक स्वच्छता के नए आयाम स्थापित कर रहे। सार्वजनिक स्वच्छता से सार्वजनिक स्वास्थ्य भी सुनिश्चित होता है और बेहतर परिवेश से अच्छे मन से कार्य होते हैं। जहाँ तक लोगों की व्यक्तिगत सेहत की रक्षा और बड़ी बीमारियों से बचाने का सवाल है, मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर दिखाया। राज्य बीमारी सहायता योजना के बजट में साल-दर-साल वृद्धि होती गई है। योजना का विकेन्द्रीकरण किया गया है। अब जिला स्तर पर कलेक्टर विभिन्न रोगों के इलाज के लिए सहायता मंजूर करते हैं। जिलों में स्वास्थ्य शिविर लगाकर रोगों की पहचान और उनके इलाज का पुण्य कार्य भी किया गया है। छोटे नगरों में बड़े चिकित्सा संस्थानों के विशेषज्ञ पहुँचकर सेवा कार्य करते हैं। प्रदेश में अनेक नए मेडीकल कॉलेज शुरू हो रहे हैं। नर्मदा सेवा यात्रा से मध्यप्रदेश के नागरिकों को पर्यावरण बचाने का संदेया दिया गया। गाँवों कस्बों में लोग नदी बचाओं संकल्प ले रहे है।
हर वर्ग को खुशी देने के प्रयास
नए उद्योगों के माध्यम से प्रदेश में निवेश बढ़ाना हो, युवाओं को रोजगार देना हो या शासकीय सेवकों को सातवां वेतनमान देने की बात हो अथवा राज्य में कौशल विकास को बढ़ाना हो, शिवराज जी ने मनोयोग से यह कार्य करवाए हैं। मुख्यमंत्री के रूप में श्री चौहान ने अपनी सहज, सरल व्यक्ति की छवि को बनाए रखा है। उनका मानना है कि राज्य का हर नागरिक खुश हो, खुशहाल हो। उनका यह भी मानना है कि प्रसन्नता का संबंध पद या पैसे से नहीं होता। इसी अवधारणा के आधार पर नए आनंद विभाग के गठन का फैसला लिया गया। हाल ही में भूटान के डॉ. साम्दु चेत्री ने सार्वजनिक रूप से कहा कि मध्यप्रदेश में आनंद विभाग बनाकर मानवता के पक्ष में बहुत अच्छा कदम उठाया गया है। इसी तरह मध्यप्रदेश के पर्यटन को नया आयाम देने, सांस्कृतिक क्षेत्र में आंचलिक कलाकारों को भी प्रोत्साहन देने के लिए प्रदेश में लगातार कार्य किया गया है।
मध्यप्रदेश में जनता को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ने की दिशा में नर्मदा सेवा यात्रा प्रारंभ की गई। यह एक अनूठी पहल है। इसी तरह पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के जन्मशताब्दी वर्ष में गरीबों के लिए भोजन की सुविधा एक महत्वपूर्ण कदम है। सर्वधर्म समभाव और जागृति का संदेश जन-जन तक पहुंचा। एकात्म यात्रा से भी आमजन को शंकराचार्य जी के दर्शन से अवगत करवाया गया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ऐसी शख्सियत हैं जिनके सोच, विचार और चिंतन में हमेशा प्रदेश का नागरिक रहता है। जिनके जहन में आम व्यक्ति का कल्याण सदैव विद्यमान रहता है।
राज्य में शिवराज जी मानवीय दृष्टिकोण के लिए भी जाने जाते हैं। मध्यप्रदेश में इस सप्ताह मंजूर बजट भी बहुत अभिनव स्वरूप लिए हुए हैं। इस बजट से गरीब व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान आएगी। विशेष रूप से कृषि, सिंचाई, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में अनेक अभिनव कार्यक्रमों का क्रियान्वयन शुरू हो रहा है। यह मुख्यमंत्री श्री चौहान की ही विशेषता मानी जाएगी कि मध्यप्रदेश के हर व्यक्ति के मन में अपने प्रदेश की भावना को विकसित करने में वह सफल रहे हैं। मध्यप्रदेश का अपना गान है, साथ ही अब मध्यप्रदेश की नई पहचान है। जो राज्य कभी बीमारू कहलाता था, वह अब सड़क, पानी, बिजली जैसी जरूरतों की पूर्ति करने में स्वयं सक्षम हो गया है। संभवत: अपने सरल और आम नागरिक की तरह जीवन जीने के स्वभाव के कारण ही मुख्यमंत्री श्री चौहान के लिए किसी रचनाकार की ये पंक्तियां सटीक बैठती हैं
सिर्फ आसमान छू लेना ही कामयाबी नहीं होती,
असली कामयाबी तो वो होती है कि आसमान भी छू लो
और पाँव भी जमीन पर रहें।
(मंत्री, जनसंपर्क, जल संसाधन और संसदीय कार्य)