जलमार्ग के विकास पर केंद्र सरकार का जोर
हवाई, रेल और सड़क यात्रा के साथ-साथ सरकार जलमार्ग के विकास की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे पास हर जगह हवाईअड्डे नहीं हो सकते, इसलिए हमारी सरकार ने सी-प्लेन लाने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि जल मार्ग एक बेहतर, कम लागत वाला और पर्यावरण के अनुकूल माल एवं यात्री परिवहन का माध्यम है।
भारत के पास 7500 किलोमीटर से ज्यादा तटीय क्षेत्र है जबकि14,500 किमी से ऊपर नदी मार्ग है। खास कर ऐसी नदियां जिनमें साल भर पानी बहता है। दरअसल भारत को प्रकृति से अपार जल समुद्र का उपहार मिला हुआ है, लेकिन हम इसका उपयोग नहीं कर सके और समय के साथ इनकी क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई। लेकिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अब जल परिवहन पर खास ध्यान दे रही है।
देश में विभिन्न माध्यमों से होने वाली कुल माल ढुलाई में जल परिवहन का हिस्सा वर्तमान में महज 6 फीसद है, उसे हाल ही में जहाजरानी मंत्रालय ने सागरमाला परियोजना के तहत 2025 तक बढ़ाकर 12 फीसद यानी दोगुना करने का लक्ष्य प्रस्तुत किया है। सरकार की योजना जल मार्ग को एक बेहतर, कम लागत वाला और पर्यावरण के अनुकूल माल एवं यात्री परिवहन का माध्यम बनाने की है ।
सरकार सागरमाला परियोजना और राष्ट्रीय जल मार्ग कानून के तहत 20,275 किलोमीटर लंबे 111 नए नदी मार्ग को राष्ट्रीय जल मार्ग के रूप में विकसित कर रही है। गंगा नदी पर 1620 कि.मी. लम्बा राष्ट्रीय जलमार्ग एक हल्दिया और इलाहाबाद के बीच है। ब्रहमपुत्र नदी पर 891 किलोमीटर लंबा राष्ट्रीय जलमार्ग दो सदिया और धुबरी के बीच है। इसके अलावा केरल तट की पश्चिम तटीय नहरों तथा महाराष्ट्र और गोवा में राष्ट्रीय जलमार्ग तीन विकसित किया जा रहा है। इन सभी पर तटीय कार्गो परिवहन विकसित किया जा रहा है ।
ये तो थी मालवाहक मार्गों के विकास की बात। सरकार इन मार्गों पर लोगों की यात्रा के साथ ही पर्यटन को विकसित करने के भी अवसर तैयार कर रही है। इसके लिए सी प्लेन की उडानों की तैयारी है। जमीन और पानी दोनों से उड़ान भरने तथा उतरने की क्षमता वाले एंफीबियन विमानों या सी-प्लेन को मंजूरी से पहले नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने तीन दिन पहले इसकी परीक्षण फ्लाइट में उड़ान भरी। विमान ने मुंबई हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी और चौपाटी बीच पर समुद्र में इसे उतारा गया। सीमित निवेश से ही हवाई यात्रा की संभावना का द्वार सी-प्लेन से खुलता है। इससे कम से कम समय में हवाई सेवा शुरू करनी संभव होगी।
पीएम ने सी प्लेन के फायदे गिनाते हुए टवीट किया- भारत में पर्यटन के विकास की असीम संभावनाओं को ध्यान में रखकर सी-प्लेन जैसा प्रयोग पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकता है। आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं में भी सी-प्लेन उपयोगी हो सकता है। खास तौर पर अंडमान एवं निकोबार और लक्षद्वीप जैसे द्वीप समूह, समुद्र तट, पूर्वोत्तर के प्रदेश, साल भर बहने वाली नदियों, बड़े बांध और जलाशयों के ऊपर सी-प्लेन से यात्रा की सुविधा अच्छी तरह से विकसित की जा सकती है।
नदियों के जरिए इस नई परिवहन व्यवस्था को विकसित किया जा सकता है। इस प्लेन की टॉप स्पीड करीब 350 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह केवल 300 मीटर के रन वे पर उतर और उडान भर सकता है। इसमें 10 से 12 लोग यात्रा कर सकते हैं। इसके जरिए यमुना नदी के जरिए पर्यटक दिल्ली और आगरा के बीच आवाजाही कर सकेंगे। इसके जरिए छोटे शहरों में भी हवाई यात्रा मुहैया कराई जा सकेगी। दुनिया के तमाम देशों में ये सेवा पहले से लोकप्रिय है।
जलपरिवहन के फायदों को बात करें तो-
जलमार्गों के द्वारा कच्चे माल से लेकर तैयार अंतिम उत्पादों की ढुलाई कम खर्चीला है क्योंकि नदियां, नहरें और समुद्र में उपलब्ध पानी की गहराई प्राकृतिक है। जिसे तैयार करने के लिए किसी पूंजीगत निवेश की आवश्यकता नहीं है। यानी जलपरिवहन में तुलनात्मक लागत कम होती है। साथ ही सभी आकार-प्रकार के सामानों की ढुलाई संभव होती है। इसमें कम ईंधन के खर्च के कारण पर्यावरण संरक्षण भी होता है। इसके द्वारा पदार्थों की क्षति कम होती है। सड़क मार्ग के जरिए माल परिवहन में दुर्घटनाओं से 55 हजार करोड़ रुपये के कुल आर्थिक नुकसान की तुलना में जलमार्गों के जरिए कार्गो परिवहन एक सुरक्षित विकल्प है। सड़कों पर बढ़ते जाम और वाहनों के दबाव को भी ये दूर कर सकता है।
जलमार्ग पर्यावरण मित्र और किफायती होने के बाद भी भारत इसका अपेक्षित लाभ नहीं उठा पाया है. ऐसे में इस समय केन्द्र सरकार आंतरिक माल ढुलाई को तेजी से प्रोत्साहन देकर भारी दबाव से जूझ रहे सड़क और रेल परिवहन तंत्र को राहत देने की रणनीति पर बढ़ती दिखाई दे रही है. ।