पहली सूची मे असम के कुल 3 करोड़ 29 लाख आवेदनों में से 1 करोड़ 90 लाख लोग वैध
असम में बीते कई दशकों से चली आ रही अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या के बाद ये मामला न सिर्फ़ राजनीतिक रूप से सुर्खियों में रहा है बल्कि सुप्रीम कोर्ट में भी एक लंबी कानूनी लड़ाई का गवाह रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर एक लंबी प्रकिया के बाद कल रात नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स यानि एनआरसी ने वैध भारतीय नागरिकों का पहला ड्राफ्ट जारी किया है, जिसमें 1 करोड़ 90 लाख लोगों को वैध भारतीय नागरिकों की जानकारी दी गई है हालांकि अभी इस प्रकार के 2 और ड्राफ्ट आने बाकी हैं।
असम में भारत के मूल नागरिकों की पहचान करने की कोशिशों के तहत राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार की ओर से नए साल की शुरुआत पर ही बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर एनआरसी का पहला मसौदा जारी कर दिया गया है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ़ इंडिया शैलेष ने आधी रात को एक संवाददाता सम्मेलन में इस मसौदे को सार्वजनिक किया। इसमें असम के कुल 3 करोड़ 29 लाख आवेदनों में से 1 करोड़ 90 लाख लोगों को कानूनी रूप से भारत का नागरिक माना गया है।
सरकार के मुताबिक यह मसौदे का एक हिस्सा है और बाकी के नामों पर विभिन्न स्तरों पर जांच की जा रही है। पहले चरण के तहत 1 करोड़ 90 लाख लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जिनकी जांच हो चुकी है, बाकी के नामों की कई स्तरों पर जांच चल रही है। राज्य सरकार का कहना है कि जिन लोगों का नाम पहली सूची में शामिल नहीं है, उन्हें चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। सरकार के मुताबिक नामों की जांच एक लंबी प्रक्रिया है और ऐसा हो सकता है कि पहले मसौदे में कई ऐसे नाम छूट सकते हैं जो एक ही परिवार से आते हों।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत ये पूरी प्रक्रिया शुरू की गयी है और कोर्ट की निगरानी में इन दस्तावेजों को तैयार किया जा रहा है। असम में बांग्लादेशियों की बढ़ती जनसंख्या के संकट के मद्देनजर नागरिक सत्यापन की प्रक्रिया दिसंबर 2013 में शुरू हुई थी और मई 2015 में असम राज्य के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। इस दौरान समूचे असम के 68 लाख 27 हज़ार परिवारों से 6 करोड़ 50 लाख दस्तावेज मिले थे।
संपूर्ण प्रक्रिया पर निगरानी रख रहे उच्चतम न्यायालय ने करीब दो करोड़ दावों की जांच के बाद 31 दिसंबर तक एनआरसी का पहला मसौदा प्रकाशित करने का आदेश दिया था। जांच में करीब 38 लाख लोगों के दस्तावेज संदिग्ध मिले थे। पूरी प्रक्रिया वर्ष 2018 के अंदर पूरी कर ली जाएगी।
पहला मसौदा जारी होने के बाद एनआरसी के सेवा केंद्रों पर लोग एक जनवरी को सुबह आठ बजे से ही अपने नाम तलाशने के लिए जुटने लगे। इस घोषणा के बाद माहौल न बिगड़े, इसलिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए. सोशल मीडिया पर भी नजर रखी जा रही है. हालांकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति की ख़बर नहीं है।
विभिन्न संगठनों ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का स्वागत किया है। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानि एनआरसी भारतीय नागरिकों के नाम वाला रजिस्टर है, जो सबसे पहले साल 1951 में तैयार किया गया था। राज्य में लंबे समय से बांग्लादेश से अवैध लोगों का आना लगा रहा है। राज्य में अवैध प्रवासियों को ढूंढ निकालने के लिए इस रजिस्टर को अपडेट किया जा रहा है। एकमात्र ऐसा राज्य है जिसके पास एनआरसी है। यह कदम भारत के मूल नागरिकों की पहचान और असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए उठाया गया है। बीजेपी के घोषणा-पत्र में भी बांग्लादेशी घुसपैठियों के मसले का प्रमुखता से जिक्र था और यही वजह है कि सोनोवाल की सरकार आने के बाद अवैध तौर पर रह रहे लोगों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए ये प्रक्रिया तेज की गई है।