कुपोषण मिटाने के लिए 9000 करोड़ से ज़्यादा का बजट
केंद्रीय मंत्रिमंडल में राष्ट्रीय पोषण मिशन की स्थापना को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कल केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 9046.17 करोड़ रूपये के तीन वर्ष के बजट के साथ 2017-18 से शुरू होने वाले राष्ट्रीय पोषण मिशन (एनएनएम) की स्थापना को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।
महत्वपूर्ण बात ये है की इसके तहत जहाँ बच्चों और महिलाओं से जुड़ी विभिन्न मंत्रालयों की योजनाओं के बीच समन्वय स्थापित होगा तो वहीं ज़मीनी स्तर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्ट फोन और टॅबलेट दिए जाएँगे ताकि वास्तविक समय पर उनकी निगरानी की जा सके, यानी मज़बूत क्रियान्वयन और कड़ी निगरानी के साथ आगे बढ़ेगा ये राष्ट्रीय पोषण मिशन।
बच्चे राष्ट्र का भविष्य होते हैं, हमारे देश के इस भविष्य को कुपोषण के साये से बचाना एक बड़ी चुनौती रही है। इसी के मद्देनज़र गुरुवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 3 साल के लिए 9046.17 करोड़ के बजट के साथ राष्ट्रीय पोषण मिशन (एनएनएम) की स्थापना को मंजूरी दे दी गई, शुक्रवार को इसकी घोषणा की गई।
इस मिशन से जुड़ी बड़ी बातों पर एक नज़र डालें तो मिशन का लक्ष्य जन्म के समय बच्चे का वज़न कम होना और अल्प पोषाहार को हर साल 2% कम करना, ठिगनेपन को 2022 तक लगभग 38.4% से 25% तक लाना, बच्चों, किशोरियों और महिलाओं में रक्त की कमी के मामलों को हर साल 3% तक कम करना है।
इस मिशन से 10 करोड़ से अधिक लोगों का लाभ मिलेगा, लक्ष्य प्राप्ति के लिए नीति आयोग की अध्यक्षता में पोषण परिषद का गठन होगा जो विभिन्न मंत्रालयों के कार्यक्रमों और योजनाओं में समन्वय स्थापित कर लक्ष्य तय करेगा। इस मिशन को चरणबद्ध तरीके से 2017-18 में 315 ज़िलों, 2018-19 में 235 ज़िले और 2019-20 तक देश के सभी ज़िलों में लागू किया जाएगा।
इसके मिशन के तहत तकनीक का प्रयोग करते हुए वास्तविक समय में सभी आंगनवाड़ियों की निगरानी की जाएगी। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को स्मार्ट मोबाइल फोन और सुपरवाइजर को टेबलेट्स दिए जाएंगे और प्रौद्योगिकी के प्रयोग पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को पुरस्कृत किया जाएगा।
इस पूरे मिशन को पारदर्शी बनाने के लिए लाभार्थियों को आधार से जोडा जाएगा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को आधार बनवाने के लिए प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी, हर कुपोषित बच्चे पर उसकी पहचान के ज़रिए नज़र रखी जाएगी। पोषण संसाधन केंद्र बनाए जाएंगे ताकि आम जन को इस मुद्दे से जोड़कर एक जनआंदोलन शुरू हो सके।
इस मिशन के महत्व का अंदाज़ा इन आंकड़ों से स्पष्ट हो जाता है, राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार: 2015-16 में 5 साल से कम उम्र के 35.7% बच्चे सामान्य से कम वज़न के थे, 38.4% अविकसित और 58.4% में रक्त की कमी थी
15 से 19 साल की 53% किशोरियों में रक्त की कमी थी।
देश में छह वर्ष से कम आयु के बच्चों और महिलाओं में कुपोषण से निपटने के लिए योजनाएं तो बहुत हैं लेकिन इनके बीच बेहतर समन्वय की कमी थी अब राष्ट्रीय पोषण मिशन इन योजनाओं को जोड़कर कुपोषण के खिलाफ जंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है..स्वस्थ भारत का सफ़र लंबा ज़रूर है लेकिन इस दिशा में उठाया गया ये कदम विशवास देता है की ये जंग हम ज़रूर जीतेंगे