डेढ़ लाख से अधिक पंजीकृत किसानों को 22 नवम्बर तक 248.30 करोड़ की भावांतर राशि का भुगतान होगा
योजना में अब तक कुल 509619.39 मी. टन फसलों की आवक
भांवातर भुगतान योजना में 1 लाख 55 हजार 942 पंजीकृत किसानों को 22 नवम्बर तक 248 करोड़ 30 लाख रूपये का भुगतान कर दिया जाएगा। यह भुगतान सीधे उनके खाते में किया जाएगा। किसानों को बैंक तथा भुगतान के संबंध में 2 एस.एम.एस प्रेषित किये जा रहे हैं। जिसके द्वारा बेची गई सामग्री तथा भुगतान योग्य राशि की जानकारी किसानों को दी जाएगी। यह जानकारी आज प्रमुख सचिव किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजौरा और म.प्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड के प्रबंध संचालक श्री फैज अहमद किदवई ने दी। डॉ. राजौरा ने बताया कि योजना में 1 लाख 55 हजार से अधिक किसानों का डाटाबेस तैयार हो चुका है। इससे मंडियो में आने वाली उपज की मात्रा में वृद्वि होगी और किसानों को फसल का बेहतर मूल्य मिलेगा। उन्होंने बताया कि पड़ोसी राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश में सोयाबीन का बेहतर भाव मिल रहा है। योजना क्रियान्वयन के बारे में उत्तरप्रदेश, राजस्थान, उडीसा सहित 12 राज्यों ने जानकारी ली है। योजना क्रियान्वयन के पहले तथा क्रियान्वयन के बाद की दरों की तुलना से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि भावांतर भुगतान योजना से बाजार में स्थायित्व आया है और किसानों को लाभ हुआ है। किसानों में योजना के लिए उत्सुकता है।
श्री राजौरा ने बताया कि 16 से 30 अक्टूबर 2017 के मध्य समर्थन मूल्य और मॉडल विक्रय दर के अंतर की राशि सोयाबीन में 470 रूपये प्रति क्विंटल, मक्का में 235 रूपये प्रति क्विंटल, मूंग में 1455 रूपये प्रति क्विंटल, मूंगफली में 730 रूपये प्रति क्विंटल और उड़द में 2400 रूपये प्रति क्विंटल रही। योजना के अंतर्गत अधिसूचित मंडियों में सोयाबीन की मात्रा 4 लाख 44 हजार 260 मीट्रिक टन, मक्का 38 हजार 361 मीट्रिक टन, उड़द 26 हजार 210 मीट्रिक टन, मूंगफली 652.48 मीट्रिक टन और 134.47 मीट्रिक टन मूंग की आवक हुई है।
किसानों की सुविधा के लिए अनुसूचित जनजाति बहुल जिलों में सुविधाजनक स्थानों पर मंडी सुविधा उपलब्ध करवायी गई है। कई जिलों में उपमंडियाँ भी संचालित की जा रही हैं। किसानो को मंडियों तथा फसल के भावों की जानकारी देने के लिए आकाशवाणी सहित अन्य प्रचार माध्यमों का सहयोग भी लिया जा रहा है। योजना में विभिन्न फसलों पर देय राशि की गणना की प्रक्रिया और जानकारी देने के लिए किसानों को विभाग की ओर से पेम्फलेट भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। कृषकों की समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए कंट्रोल रूम भी लगातार सक्रिय है।