कृषक कल्याण एवं कृषि विकास में अव्वल हुआ मध्यप्रदेश
14 वर्षों में सिंचाई क्षेत्र में हुई 6 गुना वृद्धि
महाराष्ट्र राज्य के पत्रकार दल ने देखी मध्यप्रदेश की प्रगति
मध्यप्रदेश में विकास और जन कल्याण के विभिन्न क्षेत्रों में हुई अभूतपूर्व प्रगति देखने में पड़ोसी राज्य का मीडिया जगत रूचि लेने लगा है। इसी परिप्रेक्ष्य में महाराष्ट्र राज्य के पत्रकारों का एक दल मध्यप्रदेश आया है। इस दल में शामिल वरिष्ठ पत्रकारों ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया, विकास कार्यों को देखा, नवाचारों से अवगत हुए, किसानों और उद्यमियों से मिलकर प्रदेश की माली हालत भी जानी।
जनसंपर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र से आज महाराष्ट्र राज्य के वरिष्ठ पत्रकारों के दल ने उनके निवास पर भेंट की। डॉ. मिश्र ने पत्रकारों का प्रदेश भ्रमण पर स्वागत करते हुए बताया कि मध्यप्रदेश में कृषि, शिक्षा, रोजगार, उद्योग और महिला-बाल विकास जैसी सीधी आम आदमी से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन से उल्लेनीय प्रगति की है। डॉ. नरोत्तम मिश्र ने कहा है कि मध्यप्रदेश में गत 14 वर्ष में 7 लाख हेक्टेयर से 40 लाख हेक्टेयर तक सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। सिंचाई क्षेत्र में 6 गुना वृद्धि के फलस्वरूप ही मध्यप्रदेश लगातार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त कर रहा हैं। हर खेत तक सिंचाई के लिए जल पहुँचाने के कार्य को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने गुजरात की तरह मध्यप्रदेश में विद्युत फीडर सेपरेशन सिस्टम लागू कर हर वर्ग के लिए पर्याप्त विद्युत प्रदाय की व्यवस्था सुनिश्चित की है।
डॉ. मिश्र ने कहा कि मध्यप्रदेश की कई योजनाएं अब अन्य राज्यों में लागू की जा रही है। इनमें प्रमुख रूप से लाड़ली लक्ष्मी योजना, सायकिल प्रदाय योजना, मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना शामिल हैं। जनसंपर्क मंत्री ने कहा कि हाल ही लागू भावांतर भुगतान योजना किसानों को बाजार में उनकी उपज का सम्मानजनक मूल्य दिलवाने में उपयोगी सिद्ध हो रही है। डॉ. मिश्र ने पत्रकारों को प्रदेश में संसदीय कार्य और जनसंपर्क की गतिविधियों की जानकारी दी। विशेष रूप से पत्रकारों के लिए बीमा योजना, श्रद्धानिधि योजना, अधिमान्यता प्रदान करने और विभिन्न क्षेणियों में पुरस्कृत किए जाने के प्रावधानों और योजनाओं की जानकारी दी। जनसम्पर्क मंत्री डॉ. मिश्र को पत्रकारों ने बताया कि उन्हें मध्यप्रदेश विशेष कर भोपाल पहुँचकर प्राकृतिक सुंदरता देखकर खुशी मिली है। विभिन्न संस्थानों के भ्रमण से नई जानकारियां भी प्राप्त हो रही है।
महाराष्ट्र राज्य का यह पत्रकार दल 29 अक्टूबर को मध्यप्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री पी.सी. मीणा और प्रमुख सचिव कृषक कल्याण एवं कृषि विकास डॉ. राजेश राजौरा से मिला। प्रदेश में किसानों के लिये और कृषि के क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा क्रियान्वित योजनाओं की जानकारी ली प्रदेश की उपब्धियाँ जानी। पत्रकारों को कृषि उत्पादन आयुक्त श्री पी.सी. मीणा ने बताया कि मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप किसानों की आय दोगुनी करने के लिये प्रभावी कार्य-योजना बनाकर उस पर अमल किया जा रहा है। प्रदेश को पिछले पाँच वर्षों से लगातार राष्ट्रीय कृषि कर्मण अवार्ड मिल रहे हैं।
प्रमुख सचिव डॉ. राजौरा ने बताया कि मध्यप्रदेश देश में दलहन, तिलहन, चना, मसूर, सोयाबीन, अमरूद, टमाटर और लहसुन उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। गेहूँ , अरहर, सरसों, आंवला, संतरा, मटर और धनिया उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। मध्यप्रदेश का वर्ष 2004-05 में कृषि उत्पादन 2.14 करोड़ मीट्रिक टन था जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 5.44 करोड़ मीट्रिक टन हो गया है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में किसानों की समस्याओं के समाधान तथा कृषि क्षेत्र के विकास के लिये डॉ. स्वामी नाथन आयोग की अनुशंसाओं के क्रियान्वयन को राज्य सरकार ने प्राथमिकता प्रदान की है। किसानों के हित के लिये मध्यप्रदेश में कृषि केबिनेट का गठन किया गया है। डॉ. राजौरा ने बताया कि देश में पहली बार भावान्तर भुगतान योजना सोयाबीन, मुंगफली, तिल, रामतिल, मक्का, मूंग, उड़द और अरहर की फसलों के लिये लागू की गई है। इस योजना में पोर्टल पर किसानों का पंजीयन किया गया है। प्रदेश के 16 लाख से अधिक किसानों ने विभिन्न फसलों का इस योजना में पंजीयन करवाया है। उन्होंने बताया कि किसानों का नि:शुल्क पंजीयन 11 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक किया गया। मध्यप्रदेश की कृषि उपज मंडियों में फसलों की आवक शुरू हो गई है। किसानों के बैंक खाते में न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा घोषित मंडियों की मॉडल विक्रय दल के अन्तर की राशि जमा की जा रही है।
पत्रकारों ने जनजातीय संग्रहालय एवं पुरातत्व संग्रहालय देखा
पत्रकारों के दल ने संस्कृति विभाग के जनजातीय संग्रहालय, पुंरातत्व विभाग के राज्य संग्रहालय और शौर्य स्मारक का भी भ्रमण किया। इस अवसर पर बताया गया कि भौगोलिक रूप से मध्यप्रदेश की भारत के नक्शे में केन्द्रीय स्थिति है। मध्यप्रदेश की सीमायें पाँच राज्यों को स्पर्श करती हैं। मध्य्रप्रदेश की जनजातीय संस्कृति में इन राज्यों की झलक स्वष्ट देखने को मिलती है। संग्रहालय में आदिवासी संस्कारों में जीवन के विभिन्न चरणों रहन सहन, त्यौहारों और विवाह जैसी रस्मों को आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। संग्रहालय की स्थापना का उद्देश्य आदिवासी समाज को समग्रता से देखने और उनकी जीवन को समझने की कोशिश करना है।
महाराष्ट्र के पत्रकारों के दल ने पुरातत्व विभाग के राज्य संग्रहालय का भी भ्रमण किया। संग्रहालय प्रभारी ने बताया कि संग्रहालय में 16 गैलरी हैं। राज्य संग्रहालय का निर्माण 12 करोड़ रूपये की लागत से किया गया है। संग्रहालय की गैलरी में प्रौगेतिहासिक एवं जीवाश्म, उत्खनित सामग्री, धातु प्रतिमा, अभिलेख, प्रतिमाओं, रॉयल कलेक्शन, टेक्सटाईल, स्वाधीतना संग्राम, डाक टिकिट, आफ्टोग्राफस, पांडुलिपियां, लघुरंग चित्रों, मुद्राओं, अस्त्र-शस्त्र आदि को सलीके से प्रदर्शित किया गया है।