अगले वर्ष तक सड़कों को पशु मुक्त करने का प्रयास

गौ-संरक्षण के उपाय समिति की बैठक में हुए महत्वपूर्ण निर्णय
समिति मुख्यमंत्री को सौंपेगी अनुसंशाएँ

पशुपालन के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने, देशी गौवंश का नस्ल उन्नयन, गौ दुग्ध उत्पादन वृद्धि और बेसहारा गौवंश के संरक्षण आदि के लिये गठित ‘गौवंश संरक्षण के उपाय’ समिति की आज बैठक हुई। पशु पालन मंत्री श्री अंतर सिंह आर्य की अध्यक्षता में हुई बैठक में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये। समिति अपनी अनुसंशाएँ अगले हफ्ते होने वाली बैठक में मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत करेंगी। मध्यप्रदेश में देश का 10.27 प्रतिशत (एक करोड़ 96 लाख) गौ-वंश है, जो देश में सर्वाधिक है।

बैठक में गौ-संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष महामण्डलेश्वर श्री अखिलेश्वरानंद, स्टेट माइनिंग कार्पोरेंशन के अध्यक्ष श्री शिव कुमार चौबे, जन-अभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप पाण्डेय, अपर मुख्य सचिव श्री दीपक खाण्ड़ेकर, प्रमुख सचिव पशु-पालन श्री अजीत केसरी, प्रमुख सचिव सहकारिता श्री के.सी. गुप्ता, आयुक्त नगरीय विकास एवं पर्यावरण श्री विवेक अग्रवाल, प्रबंध संचालक स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन श्रीमती अरूणा गुप्ता, अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक डॉ. संजय अग्रवाल और संचालक श्री रोकड़े भी बैठक में उपस्थित थे।

समिति की अनुसंशाएँ

  • आचार्य विद्यासागर गौ-संवर्धन योजना की अधिकतम इकाई लागत 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख हो।

  • प्रत्येक विकासखण्ड में दुग्ध संयंत्र स्थापित हों।

  • प्रत्येक जिले में मृत गाय की त्वचा, सींग आदि के पुन: उपयोग के लिए केन्द्र बनें।

  • अनुपयोगी पशुओं का बधियाकरण करते हुए उपयोगी गौवंश नस्लों का संरक्षण किया जाए।

  • गौवंश मार्गों पर न बैठे, इसके लिए गौठान, गौ-वन्यविहार और गौ-अभ्यारण्य विकसित किए जायेंगे। अगले वर्ष तक सड़कों को पशुमुक्त करने का होगा प्रयास।

  • पाँच ग्राम पंचायतों के बीच में एक गौशाला बनेगी।

  • इच्छुक स्वयंसेवी संस्थाओं को गौशाला खोलने के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी। गौ-संवर्धन बोर्ड चारा-भूसा के लिए अनुदान देगा।

  • गाय के दूध एवं उत्पादों का अलग से विपणन होगा।

  • गौ-शालाओं को गोबर, गौमूत्र, दूध आदि उत्पादों से आय बढ़ाकर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।

  • गौ-वंश के पुनर्वास के लिए प्रत्येक जिले में एक गौशाला का निर्माण किया जाएगा। अभी प्रदेश में 1248 पंजीकृत गौशालाएँ हैं, जिनमें 604 क्रियाशील हैं।

  • निराश्रित गौवंश में से अच्छे बैल का चयन कर शासन अनुसूचित-जनजाति क्षेत्रों में किसानों को नि:शुल्क बैल जोड़ी भेजेगा।

  • गौवंश संरक्षण अधिनियम का पालन न करने पर जुर्माना होगा।

  • गोपाल पुरस्कार योजना का विस्तार विकासखण्ड स्तर से ग्राम पंचायत स्तर तक हो।

  • गौवंश संरक्षण, जैविक खाद एवं पंचगव्य उत्पादों के प्रचार-प्रसार के लिए संगोष्ठियाँ हों।

  • चरनोई भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए।

  • भूसे की पर्याप्त उपलब्धता के लिए हॉर्वेस्टर के साथ स्ट्रा रीपर की अनिवार्यता हो और नरवाई जलाने पर कार्यवाही हो।

  • हरा चारा उत्पादन बढ़ाने किसानों को किट प्रदाय किया जाए।

  • गोबर खाद एवं जैविक कीटनाशक की ग्रेडिंग और मानक स्थापित करने के साथ विपणन नीति तैयार हो।

  • भूसा जलाना अपराध की श्रेणी में शामिल हो।

  • पशु चिकित्सा एवं आयुर्वेदिक महाविद्यालयों में गौमूत्र औषधियों से संबंधित शोध को बढ़ावा दिया जाए।

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