गडकरी ने बाराटंग में समुद्री रास्ते का उद्घाटन और अंडमान- निकोबार में परियोजनाओं का शिलान्यास किया
केंद्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह एवं केंद्रीय जहाजरानी, सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कल बाराटंग में समुद्री रास्ते का उद्घाटन किया और अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में पोर्ट ब्लेयर में एक समारोह में पोर्ट ब्लेयर में सूखी गोदी के विस्तार, नील द्वीप में बर्थिंग जलबंधक के साथ होपटाउन में गोदी के विस्तार और एक अतिरिक्त सेतु के निर्माण परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मामले मंत्री श्री हंसराज गंगाराम अहीर और अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के उपराज्यपाल प्रो.जगदीश मुखी भी उपस्थित थे।
अपने संबोधन में गृहमंत्री ने कहा कि 6 महीनों के अवधि के भीतर अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह की यह उनकी दूसरी यात्रा है। उन्होंने कहा कि अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह पर गृह मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति की हाल ही में बैठक हुई थी जिसमें द्वीपसमूह से संबंधित विभिन्न समस्याओं और मुद्दों पर चर्चा की गई थी एवं उनके समाधान के उपयों पर विचार-विमर्श किया गया था। श्री सिंह ने जहाजरानी मंत्री श्री नितिन गडकरी के प्रयासों की सराहना की और कहा कि इस अवसर पर जिस प्रकार की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया है, वे देश की अर्थव्यवस्था के विकास की दिशा में योगदान देते है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व के तहत भारत अब विश्व की शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं में शुमार होने लगा है और यह 2025-30 तक विश्व की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाएगा।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि देश के विकास और सुरक्षा दोनों ही पहलू शीर्ष महत्व के हैं। उन्होंने कहा कि भारत में 7,300 किलोमीटर लम्बी तटीय रेखा है और देश की भौगोलिक स्थिति विशाल है, इसलिए सुरक्षा प्रबंधन बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ‘दीवारों और चारदीवारियों के निर्माण से देश को सुरक्षा नहीं प्राप्त होगी, हमारी असली ताकत समुद्र और वायु में है जिसे मजबूत बनाए जाने की आवश्यकता है।’
श्री राजनाथ सिंह ने यह भी जिक्र किया कि पहले अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में केवल एक राष्ट्रीय राजमार्ग होता था, लेकिन पिछले तीन वर्षों के दौरान अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में 7 राष्ट्रीय राजमार्गों अस्तित्व में आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में फल-फूल रही ‘सामुद्रिक अर्थव्यवस्था’ देश की अर्थव्यवस्था में लगभग एक ट्रिलियन डॉलर का योगदान देती है।
इस अवसर पर श्री गडकरी ने कहा कि नई परियोजनाओं से जहाजों को मरम्मत के लिए बहुत दूर और विदेशी स्थानों, जो बहुत खर्चीली भी साबित होती है, पर भेजने के बजाय, अब इनकी मरम्मत अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में ही हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इन द्वीपसमूहों में जहाज निर्माण एवं जहाज मरम्मत उद्योग की प्रचुर संभावना है। उन्होंने कहा कि नवप्रवर्तन, प्रौद्योगिकी, अनुसंधान एवं उद्यमशीलता आज की अहम आवश्यकता है। उन्होंने द्वीपसमूह में जहाज निर्माण उद्योग के विकास के लिए निजी निवेश का भी आग्रह किया, जिसके लिए जहाजरानी मंत्रालय आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय सागरमाला परियोजना के तहत ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। देश में जहाजों के निर्माण के लिए नई प्रौद्योगिकी लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
जहाजरानी क्षेत्र के बारे में बोलते हुए, श्री गडकरी ने कहा कि अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में अधिकांश जहाज पुराने हैं और उनकी जगह नये जहाज लाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने घोषणा की कि 2020 तक अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में 14 नये जहाज लाए जाएंगे। मंत्री महोदय ने यह भी बताया कि सागरमाला परियोजना के तहत लगभग 4 लाख करोड़ रुपये बंदरगाह-सड़क संपर्क, बंदरगाह-रेल संपर्क, बंदरगाहों का आधुनिकीकरण एवं यांत्रिकीकरण के लिए निर्धारित किए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की 7,300 किलोमीटर लंबी तटीय रेखा और नदियों में किफायती जल मार्ग परिवहन के बड़े पैमाने पर विकास की संभावना है , जिससे लॉजिस्टिक लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी और यह परिवहन का भी सुविधाजनक प्रकार है।
अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में बिजली उत्पादन के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि डीजल से उत्पादित बिजली से पर्यावरण में प्रदूषण पैदा होता है और इसे विस्थापित किए जाने की आवश्यकता है। इसकी जगह अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में पनबिजली, सौर ऊर्जा और पवन बिजली के विकास की संभावनाओं की तलाश की जानी चाहिए। डीजल से उत्पादित बिजली द्वारा उत्पन्न प्रदूषण को कम करने के लिए द्वीपसमूह में एलएनजी एवं सीएनजी आधारित बिजली संयंत्र स्थापित किए जाएंगे।
श्री गडकरी ने यह भी कहा कि क्रूज टर्मिनलों के विकास से अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने निजी क्षेत्र के निवेशकों से द्वीपसमूह में क्रूज पर्यटन विकसित करने का आग्रह किया। मंत्री महोदय ने कहा कि सागरमाला परियोजना के माध्यम से पर्यटन को और बढ़ावा दिया जाएगा जिससे अंततोगत्वा रोजगार सृजन होगा। उन्होंने क्रूज पर्यटन को सागरमाला परियोजना का एक हिस्सा बनाने की संभावनाएं तलाशने का भी आश्वासन दिया। इसके अतिरिक्त, श्री गडकरी ने कहा कि द्वीपसमूह के लिए स्थल एवं जल दोनों जगह उपयोग में आने वाले वाहनों की सेवाओं का विकास आदर्श रहेगा। उन्होंने इस दिशा में पहल करने का आग्रह किया।
श्री गडकरी ने समुद्र में एवं गहरे समुद्र में मछली पालन, मात्स्यिकी प्रसंस्करण और मछली निर्यात के लाभ के लिए आरंभ की गई योजनाओं का भी जिक्र किया जो अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में फलने-फूलने वाली ‘सामु्द्रिक अर्थव्यवस्था’ को प्रोत्साहित करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वीपसमूहों के बुनियादी ढांचे एवं समग्र विकास, रोजगार सृजन और कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं जो देश की मुख्य भूमि से दूर स्थित है।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्री हंसराज गंगाराम अहीर ने अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के विकास की दिशा में केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
बाराटंग के लिए समुद्री रास्ते का आज उद्घाटन हुआ जो राष्ट्रीय राजमार्ग-4 रुट का एक विकल्प उपलब्ध कराएगा जो जारवा जनजातीय अभ्यारण्य से होकर गुजरता है और बाराटंग को पोर्ट ब्लेयर से जोड़ता है। इस प्रकार यह समुद्री रास्ता जनजातीय क्षेत्रों को असुविधा पहुंचाए बगैर पर्यटन को बढ़ावा देगा।
होप टाउन में गोदी के विस्तार की परियोजना से फिलहाल बड़े पोतों की बर्थिंग की सुविधा मिलेगी। गोदी का उपयोग पेट्रोलियम उत्पादों की आवाजाही के लिए किया जाता है और बड़े पोतों की बर्थिंग से इन उत्पादों की उपलब्धता बढ़ेगी और लॉजिस्टिक लागत में कमी आएगी। इस परियोजना के फरवरी 2018 तक संपन्न हो जाने की उम्मीद है।
अतिरिक्त अप्रोच सेतु (जेट्टी) के निर्माण एवं नील द्वीपसमूह में वर्तमान सेतु के विस्तार से एक से अधिक जहाजों को समायोजित करने में मदद मिलेगी जो पहले संभव नहीं था। इस परियोजना के मार्च 2018 तक संपन्न हो जाने की उम्मीद है।
पोर्ट ब्लेयर में सूखी गोदी-2 के विस्तार से उपलब्ध जहाज निर्माण एवं जहाज मरम्मत सुविधाओं के संवर्द्धन में सुविधा मिलेगी। इस परियोजना के सितंबर 2019 तक संपन्न हो जाने की उम्मीद है।