रीवा- राजकपूर और राजेन्द्र
रीवा- राजकपूर और राजेन्द्र
विन्ध्य के कला प्रेमियों, रंगकर्मियों, रचनाधर्मियों, समाजसेवियों के साथ जनता को म0प्र0 शासन के ऊर्जा, खनिज ,वं जनसंपर्क मंत्री राजेन्द्र शुक्ला द्वारा म0प्र0 शासन के मुखिया माननीय शिवराज सिंह चैहान की अगुवाई में बड़ा ही अनुपम उपहार ‘‘द ग्रेट शोमैन’’ स्व0 राजकूपर जी को श्रद्दांजलि के साथ उनके स्मृति नाम पर लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत वाला ‘‘स्व0 राजकपूर स्मृति आॅडिटोरियम एवं कल्चरल सेंटर’’ का निर्माण कर दिया जाने वाला है।
आॅडिटोरियम रीवा की आवश्यकता थी राजेन्द्र शुक्ल ने रीवा के विकास कार्यो में इसे भी अपनी प्राथमिकता में रखा है और स्व0 राजकपूर जी की स्मृति में इसका नामकरण कर आपने इसे देश की नजरों में ला दिया है। हमारा विन्ध्य जितना प्राकृतिक संशाधनों और सुंदरताओं को अपने में संजोये है ,ऐसा और कहीं नहीं है लेकिन प्रचार-प्रसार की कमी और सुविधाविहीनता के कारण इसका नाम और पहचान जितनी मात्रा में देश दुनिया के सामने होना चाहिये उतना कभी नही हो पाया। अब जबकि हमारे प्रदेश के मंत्री और रीवा के विधायक राजेन्द्र शुक्ल की जन्मस्थली और कर्मस्थली यही रीवा है तो आपने अपने रीवा, हम सबके रीवा को प्रदेश नहीं, देश नहीं विश्व में गौरवान्वित पहचान दिलवाने का संकल्प लिया है और इसे मूर्त रूप भी दिया जा रहा है। रीवा में ,ऐसे विकास के कार्य हो रहे हैं जिससे रीवा का नाम देश, दुनिया में हो रहा है। पर्यटन सुविधाओं का विकास हो रहा है और इन सब विकास कार्यो की माला में यह आॅडिटोरियम का मोती भी पिरोया जा रहा है। मैं इस लेख में रीवा-राजकपूर और राजेन्द्र की बात कर रहा हूं विस्तार से बात तो और आगे होगी लेकिन अभी संक्षेप में मैं यहां उस ‘‘आह’’ फिल्म का जिक्र करूंगा जिसमें राजकपूर जी की रीवा के प्रति रोमांचकारी लगाव की अभिव्यक्ति प्रदर्शित होती है। वस्तुतः ‘‘आह’’ फिल्म राजकपूर जी के व्यक्तिगत जीवन के करीब की फिल्म है। फिल्म के नायक राजकपूर जी को तपेदिक (टी0बी0) से पीड़ित दिखाया जाता है और राजकपूर स्वयं भी सांस (अस्थमा) के मरीज थे। राजकपूर जी अस्थमा की गंभीर अवस्था के बाद में शिकार हुये और यही अस्थमा आपकी मृत्यु का कारण बना। ‘‘आधी हकीकत आधा फसाना’’ बात की तरह यह ‘‘आह’’ फिल्म राजकपूर के जीवन की कहानी की भी ‘‘आधी हकीकत बयां करती है। सबसे बड़ी बात इस फिल्म में राजकपूर जी ने अपने ‘‘रीवा’’ लगाव को प्रदर्शित किया है। पूरी फिल्म में ‘‘11’’ बार रीवा का नाम आता है। ‘‘1’’ बार सतना का नाम भी लिया जाता है। ‘‘मुझे हर हाल में रीवा पहुंचना है’’ कहकर फिल्म के नायक के रूप में स्व0 श्री राजकपूर रीवा के प्रति अपने उत्कंठार्पूण लगाव का प्रदर्शन करते हैं। रीवा जाने की बेचैनी का जिस अंदाज से राजकपूर जी फिल्म में फिल्मांकन करते हैं वह रीवा के प्रति उनके आदर मान-सम्मान और प्रेमर्पूण लगाव की अनकही आदरांजली को प्रस्तुत करता है जो उनको अपनी जीवन साथी कृष्णा कपूर को पाने के बाद धन्यवाद ज्ञापित करने वाली है। ‘‘आह’’ की नायिका की तरह ही निजी जीवन में कृष्णा कपूर जी ने राजकपूर जी का हमेशा प्रेमर्पूण, स्वार्थरहित, त्यागमयी, जीवनसंगनी बनकर ख्याल रखा है। यथार्थतः श्रीमती कृष्णा कपूर जी राजकपूर जी के जीवन और कृतत्व के स्तंभ स्वरूप हैं। ‘‘आह’’ फिल्म बनाकर रीवा और कृष्णा कपूर जी की याद को राजकपूर जी ने चिरस्थाई बना दिया है। रीवा-राजकपूर और राजेन्द्र का जो मंगलकारी संयोग बना है वह भी रचनाधर्मियों के साथ सभी के लिये मंगलकारी बन चिरस्थायी हो। शम्मी कपूर जी का यहां उल्लेख करना जरूरी है क्योंकि शम्मी कपूर जी ने रीवा में काफी समय बिताया था और शम्मी कपूर जी उन दिनों को काफी गर्व से बताते हैं। शम्मी कपूर जी ने तैराकी व घुड़सवारी रीवा में ही सीखी थी। शम्मी कपूर जी कहते हैं कि मुझमें जो आत्म विश्वास का विकास हुआ है वह रीवा की देन है शम्मी कपूर जी यहां तक कहते हैं कि दुनिया जो आज शम्मी कपूर का स्वरूप देख रही है उसका निर्माण रीवा में ही हुआ है। शम्मी कपूर जी ने रीवा को दिल से सराहा है आपने रीवा को , खूबसूरत और बेहतरीन जगह बताया है। रीवा का अपनापन उनके तन, मन में रचा-बसा था और वे भी उसी बंगले में रहे जहां पर राजकपूर जी की बारात आई थी और राजकपूर और कृष्णा जी का विवाह संपन्न हुआ था। क्योंकि शम्मी कपूर जी शादी के बाद अपनी भाभी कृष्णा कपूर के साथ बम्बई से आये थे राजेन्द्रनाथ उनके मित्र थे और साथ में उन्होनें यहा काफी समय बिताया और उनका यहां खूब मन लगा था। शम्मी कपूर जी ने उस समय के रीवा के आवोहवा यहां की सुंदर चैड़ी सड़कों तथा सुंदर बंगलों की और पर्यावरणीय खूबसूरती की बड़ी तारीफ की है
कृष्णा कपूर जी रीवा को ‘‘रेवा’’ कहती हैं और उनके सामने रीवा नाम ले लिया जाय तो वह रोमांच से भर जाती हैं। उन्हें अपने ‘‘रेवा’’ से बड़ा प्यार है और राजकपूर जी को अपनी कृष्णा के ‘‘रेवा’’ से प्यार था। उन्होनें जब ‘‘आह’’ फिल्म का निर्माण किया तो रीवा को सहज ही अपने जीवंत फिल्मी पर्दे पर उतारते हुये अमर कर दिया। सतना से रीवा के सफर को उन्होनें अपने फिल्मी जीवन में यादगार बना दिया। वस्तुतः इस ‘‘आह’’ फिल्म के बारे में मुझे मेरी भाभी श्रीमती अनीता त्रिपाठी जी ने बर्षो पहले बताया था। 1984 के समय के रीवा को हम सब अपने स्मृति पटल पर लायें और 1984 के रीवा के गली चैराहों नदी घाट, सरकारी बंगलों और निजी भवनों को याद करें यहां के यातायात और पर्यावरण को याद करें । अब जब स्व0 राजकपूर स्मृति आॅडिटोरियम बनाने की बात माननीय मंत्री राजेन्द्र शुक्ल तथा म0प्र0 सरकार के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चैहान घोषित हुई है तो स्वतः वह स्मृतियां मानस पटल पर आने लगी हैं। राजकपूर जी से जुड़ी बातें आंगे भी कहता रहूंगा इस आॅडिटोरियम के निर्माण में वर्ष भर का समय और लगभग 20 करोड़ रुपये खर्च होंगे। विश्वस्तरीय यह आॅडिटोरियम विन्ध्य के कलाधर्मियों, रचनाधर्मियों, रंगकर्मियों के साथ जनता को माननीय मंत्री राजेन्द्र शुक्ल द्वारा अनुपम उपहार और स्व0 राजकपूर जी तथा ‘‘रेवा’’ के नाम से रोमांचित होने वाली आदरणीया श्रीमती कृष्णा कपूर जी के प्रति सम्मान होगा।
अजय नारायण त्रिपाठी ‘‘अलखू’’