रोहिंग्या मामले पर बोले राजनाथ, देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं
देश में अवैध घुसपैठियों के रूप में घुस आये रोहिंग्या के मसले पर सरकार का कहना है रेफ्यूजी स्टेटस प्राप्त करने का एक प्रॉसेस होता है, जिसका पालन किसी ने भी नहीं किया है
देश सर्वोपरि है और उसकी सुरक्षा से कोई समझौता नही हो सकता… ये बात गृहमंत्री राजनाथ सिहं ने कही। देश में अवैध घुसपैठियों के रूप में घुस आये रोहिंग्या के मसले पर सरकार का कहना है रेफ्यूजी स्टेटस प्राप्त करने का एक प्रॉसेस होता है, जिसका पालन किसी ने भी नहीं किया है। जब म्यांमार इनकोलेने को तैयार है तो वापिस जाने में दिक्कत क्या है।
इन लोगों में बड़ी संख्यां में लोग देश विरोधी ताकतों से मिले हुए है ऐसे में सरकार इनका डिपोर्ट करती हैतो दिक्कत क्या है।
गौरतलब है कि भारत पहले ही अवैध घुसपैठ की समस्या से परेशान है। घुसपैठ से देश में जनसांख्यिकीय अनुपात में बदलाव संभव है ।2012-13 से अबतक करीब 40,000 अवैध रोहिंग्या देश में आ चुके हैं। ऐसी आशंका है कि कुछ रोहिंग्याओं के पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से रिश्ते भी हैं। उग्रवादी पृष्ठभूमि वाले कुछ रोहिंग्या जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद, मेवात में सक्रिय हैं। ऐसे में रोहिंग्या से देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकते हैं।
देश की सुरक्षा के लिये खतरा बने रोहिंग्या अवैध अप्रवासियों को लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया है कि भारत ने यूएन रिफ्यूजी कन्वेंशन साइन नहीं किया है। म्यांमार से आए ये रोहिंग्या रिफ्यूजी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि रोहिंग्या रिफ्यूजी के तौर पर भारत नहीं आए हैं। दिल्ली में NHRC के कार्यक्रम में गृहमंत्री बोले कि रोहिंग्या समुदाय के लोगों से भारत की सुरक्षा को खतरा है। भारत के अंदर जो भी रिसोर्स है उस पर पहले हर भारतीय का अधिकार है। दूसरों के मानवाधिकार की चिंता करने से पहले अपने मानवाधिकारों की बात करनी चाहिए।
भारत में 40 हजार के करीब रोहिंग्या लोग अवैध तरीके से रह रहे है। कुछ रोहिग्या अवैध अप्रवासियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से संपर्क का पता चला है। जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात जैसेइलाको में सक्रिय कुछ रोहिंग्या अप्रवासियों के आईएसआई और आईएसआईएस जैसे आतंकी कनेक्शन होने की भी खुफिया सूचना मिली है ।राजनाथ सिंह ने साफ किया कि शराणार्थियों के संदर्भ में भारत ने1951 और 1967 की संधियों पर दस्तखत नही किये है ऐसे में भारत इन संधियों के तहत बने नियमों को मानने के लिये बाध्य नही है।
रोहिंग्या लोगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने पहले से ही हलफनामा दायर कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट नेभारत में अवैध रूप से रह रहे म्यामांर के रोहिंग्या समुदाय के लोगों पर सरकार से अपनी रणनीति बताने को कहा था। गृह मंत्रालय ने बीती जुलाई में रोहिंग्या समुदाय के अवैध अप्रवासियों को भारत से वापस भेजने के लिए राज्य सरकारों को इनकी पहचान करने के निर्देश दिया था। रोहिंग्या लोगों पर सरकार का रूख साफ है कि देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।