अब ग्राम पंचायतें देंगी रेत उत्खनन की अनुमति
मध्यप्रदेश में रेत खनन का कार्य अब ग्राम पंचायतों के माध्यम से करवाया जाएगा। ग्राम पंचायतें तय करेंगी कि उनकी ग्राम पंचायत में कहॉ-कहॉ और कितना खनन होना है। खनन की अनुमति ग्राम पंचायतें ही देंगी तथा प्राप्त रायल्टी भी ग्राम पंचायत के विकास कार्यों पर ही खर्च की जाएगी। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज रायसेन जिले के सिलवानी तहसील मुख्यालय पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत आयोजित किसान महा-सम्मेलन में यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि इसके लिए विस्तृत नियम बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। उत्पादन लागत घटाने के लिए लगातार कोशिशें की जा रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 सितम्बर से प्रदेश के हर विकासखण्ड मुख्यालय पर संगोष्ठियाँ की जाएंगी। इन संगोष्ठियों में किसान, कृषि वैज्ञानिक और कृषि विभाग का अमला भाग लेगा। संगोष्ठी में तय होगा कि किस क्षेत्र की जमीन पर कौन सी फसल लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि कृषि पर निर्भरता कम करने के लिए दुग्ध उत्पादन, कृषि वानिकी और खाद्य प्र-संस्करण जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जायेगा। खाद्य प्र-संस्करण उद्योग लगाने के लिए किसानों को बैंकों के माध्यम से ऋण दिलाया जाएगा। श्री चौहान ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने में दूध उत्पादन का महत्वपूर्ण योगदान है। सरकार अब गरीब किसानों को पाँच दुधारू पशु मुहैया कराएगी। इन पशुओं के लिये तीन माह का पौष्टिक पशु-आहार भी दिया जाएगा। इससे गरीब किसानों को आय का अतिरिक्त स्त्रोत मिलेगा।
श्री चौहान ने कहा कि 3 माह में अविवादित बँटवारा, सीमांकन और नामांतरण प्रकरणों के निपटारे के लिए प्रदेश में अभियान चलाया जा रहा है। नामांतरण के प्रपत्र घर-घर पहुँचाने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने निर्देश दिए कि फसल कटाई प्रयोग सावधानी से कराये जायें ताकि किसानों को कम वर्षा से फसल खराब होने की स्थिति में नुकसान नहीं हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के लाभ के लिये भावांतर भुगतान योजना शुरू की गई है। यदि किसान अपनी उपज बाजार भाव को देखते हुए कुछ समय बाद बेचना चाहते हैं, तो गोदाम में फसल रखने की स्थिति में गोदाम का किराया भी सरकार देगी।