जनरल बिपिन रावत ने भारतीय सेना के 27वें थलसेनाध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला
थलसेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह ने अपने चार दशकों से अधिक समय के शानदार कैरियर के बाद आज साउथ ब्लॉक में आयोजित एक समारोह में अपनी कमान जनरल बिपिन रावत को सौंप दी। अपनी कई उपलब्धियों के बीच, जनरल दलबीर सिंह अपने कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण रूप से सक्रिय रहे और उन्होंने जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व में अभियानों में उच्च गति में बनाए रखी। जनरल दलबीर सिंह ने अमर जवान ज्योति पर पुष्पांजलि अर्पित की और थलसेनाध्यक्ष के रूप में अपना पदभार पूर्ण करने से पूर्व उन्हें साउथ ब्लॉक उद्यान में गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया।
जनरल बिपिन रावत ने 27वें थलसेना प्रमुख के रूप में पदभार संभाल लिया है। जनरल ऑफिसर 01 सितंबर 2016 से भारतीय सेना के उपाध्यक्ष के तौर पर नियुक्त थे।
जनरल बिपिन रावत को भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से दिसम्बर 1978 में ग्यारह गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में नियुक्त किया गया था, जहां उन्हें ‘सोर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया गया था। जनरल रावत को ऊँचे पर्वतीय स्थलों में युद्ध और आतंकवाद विरोधी अभियानों का व्यापक अनुभव है। उन्होंने पूर्वी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इन्फैंट्री बटालियन और कश्मीर घाटी में राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर और एक इन्फैंट्री डिवीजन, ईस्टर्न थियेटर में एक कॉर्प्स और दक्षिणी कमान का नेतृत्व किया है।
लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत ने सैन्य अभियान महानिदेशालय और सेना मुख्यालय में सैन्य सचिव की शाखा में भी महत्वपूर्ण पदों पर कार्यभार सँभाला है । वह पूर्वी कमान के मुख्यालय में मेजर जनरल जनरल स्टाफ (एमजीजीएस) भी रहे हैं। जनरल रावत ने कांगों में चैप्टर VII मिशन में एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की भी कमान सँभाली। संयुक्त राष्ट्र में सेवा प्रदान करने के रूप में, उन्हें दो बार सेना कमांडर की प्रशस्ति से सम्मानित किया गया।
अकादमिक झुकाव के रूप में उन्होंने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ और ‘नेतृत्व’ पर अनेक लेख लिखे हैं जिन्हें विभिन्न पत्रिकाओं और प्रकाशनों में प्रकाशित किया गया है। उन्हें मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में एमफिल की उपाधि से सम्मानित किया गया। उन्होंने प्रबंधन और कम्प्यूटर अध्ययन में डिप्लोमा किया है। लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत ने भी सैन्य मीडिया सामरिक अध्ययन पर अपना शोध पूरा किया गया और 2011 में उन्हें मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि से सम्मानित किया।