जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर गृह मंत्री का राज्य सभा में वक्तव्य
माननीय सभापति महोदय,
कश्मीर घाटी में उत्पन्न स्थिति के संबंध में मैंने दिनांक 18 जुलाई को इस सदन को अवगत कराया था।
तत्पश्चात् 23 एवं 24 जुलाई को मैंने श्रीनगर और अनंतनाग का दौरा किया। लगभग 30 विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों से बातचीत की, जिनमें सब्जी-फल उत्पादक, नौका चालक, विभिन्न समुदाय के संगठन, विकास मंचों के प्रतिनिधि, युवा उद्यमी वर्ग के लोग, Chamber of Commerce,कार्यरत एवं सेवानिवृत्त सरकारी कर्मी एवं पर्यटन व्यवसायी शामिल हैं।
माननीय मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल तथा सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों से मिलकर मैंने स्थिति का जायजा लिया।
राजनीतिक आकलन हेतु मैं करीब-करीब सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से भी मिला। लेकिन कांग्रेस पार्टी ने मुझसे मिलने से इंकार किया, जिससे दुर्भाग्यवश उनके प्रतिनिधिमंडल से नहीं मिल सका।
परसों दिनांक 8 अगस्त को जम्मू-कश्मीर की माननीय मुख्यमंत्री से दिल्ली में पुन: चर्चा भी हुई।
कश्मीर घाटी में उत्पन्न स्थिति के बारे में जो आशंकाएं व्यक्त की गई हैं और कदाचित वे आशंकाएं माननीय सदस्यों को भी होंगी, उन पर मैं कुछ कहना चाहूंगा। दिनांक 9 जुलाई से लगातार चल रहे कर्फ्यू से आम जनता को राशन आदि नहीं मिल रहा है, यह एक आशंका है। मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्यों को बताना चाहूंगा कि कश्मीर घाटी में कोई Blanket कर्फ्यू नहीं है। विभिन्न जिलों में, कतिपय स्थानों पर आवश्यकतानुसार कर्फ्यू लगाया गया है, और स्थिति में सुधार होने पर उसको हटाने अथवा उसमें ढील की कार्रवाई की गई है। हां, हो सकता है कि स्थिति अगर पुन: खराब हुई तो कर्फ्यू पुन: लगाया गया हो।
वास्तव में, अगर आम जनता को असुविधा हुई है, तो वह पाकिस्तान से प्रेरित अलगाववादी नेताओं द्वारा दिनांक 9 जुलाई से निरंतर, बिना किसी Break के, हड़ताल का आह्वान है। इससे, जिन शहरों, या जिन स्थानों में, कर्फ्यू नहीं भी होता है, वहां भय से बाजार नहीं खुल पाते हैं। अत: वास्तव में, अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए, अपने आपको Relevant रखने की दृष्टि से, आम जनता को असुविधा पहुंचाने का प्रयास अलगाववादी नेताओं ने किया है। और मैं निश्चितता के साथ कह सकता हूं कि यह पाकिस्तान से प्रेरित है। हड़ताल का कार्यक्रम रावलपिंडी में तय होता है, श्रीनगर में नहीं।
अलगाववादियों की इस अमानवीय Strategy के बावजूद, यह कहना होगा कि राज्य सरकार ने आम जनता की सुविधा हेतु जो कार्य किया है, वह सराहनीय है।
उदाहरणार्थ, इस अवधि में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा स्कीम के तहत लगभग 95 प्रतिशत अनाज का वितरण हुआ है। औसतन बांटे जाने वाली करीब 48 हजार क्विंटल चीनी की तुलना में लगभग 34 हजार क्विंटल का वितरण हो चुका है। इस अवधि में लगभग 3 लाख 10 हजार LPG Cylinders का विक्रय भी हो चुका है।
माननीय सभापति महोदय, घाटी में सभी आवश्यक वस्तुओं का स्टॉक भी उपलब्ध है। उदाहरणार्थ, श्रीनगर में करीब 23 सौ क्विंटल चीनी उपलब्ध है। विभिन्न Petroleum Companies के पास 18 दिन का एलपीजी स्टॉक तथा 19 दिनों के लिए पेट्रोल और 32 दिनों के लिए मिट्टी का तेल भी उपलब्ध है।
इसी प्रकार, घाटी में आम तौर पर उपलब्ध फल-सब्जी का भी क्रय-विक्रय राज्य सरकार समय-समय पर कर्फ्यू में ढील देकर सुनिश्चित कर चुकी है। इसी प्रकार तड़के दूध का वितरण भी कराया गया है। दिनांक 14 जुलाई से लेकर 8 अगस्त तक की अवधि के दौरान आवश्यक वस्तुओं, फल-सब्जी आदि लेकर 5,600 ट्रक घाटी में पहुंच चुके हैं।
मैं यह नहीं कह सकता कि घाटी की जनता बिल्कुल आम जीवन बसर कर रही है। हड़ताल से आर्थिक और वाणिज्यिक गतिविधियां बंद हैं, जिससे कई वर्गों की आमदनी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। लेकिन जो स्थिति घाटी में कुछ Vested interest और Misguided elements ने पैदा की है, उस स्थिति में जो भी आम जनता की सुविधा के लिए किया जा सकता है, वह राज्य सरकार ने किया है, और कर रही है।
दूसरी आशंका यह व्यक्त की जाती है कि पर्याप्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है। कश्मीर में हो रही हिंसा में 2656 मरीज विभिन्न अस्पताल पहुंचे, जिनमें से 2564 को इलाज के बाद Discharge किया जा चुका है। अब करीब 100 मरीज भर्ती हैं, जिनमें से 51 ऐसे हैं जिनकी आंखों में चोटें आई हैं। दुर्भाग्यवश Stone pelting से करीब 100 Ambulances क्षतिग्रस्त होने के बावजूद, इस अवधि में 400 से अधिक Ambulances कार्यशील रहीं।
इस अवधि में करीब 5 लाख सामान्य मरीजों का भी OPD में इलाज किया गया, जिनमें से करीब 33 हजार Indoor Patients थे। लगभग 8 हजार छोटी-बड़ी Surgeries इस अवधि में की गई हैं और जहां आवश्यक हुआ है, मरीजों को दिल्ली में भी इलाज हेतु लाया गया है। दिल्ली के AIIMS तथा मुम्बई के आदित्य ज्योति अस्पताल के Eye-Surgery करने वाले दल श्रीनगर होकर आए, और उन्होंने वहां चल रहे इलाज पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की है।
माननीय सभापति महोदय, पेलेट गन्स की चर्चा पिछली बार इस सदन में हो चुकी है। जैसा कि मैंने पहले बताया, इस Weapon को 2010 में Non-lethal मानकर Introduce किया गया था। जैसा कि मैंने लोकसभा में आश्वस्त किया था, अन्य Viable Non-lethal Technologies की संभावनाओं पर गौर करने हेतु मैंने वरिष्ठ अधिकारियों की एक Committee गठित कर दी है।
माननीय सभापति महोदय, दिनांक 18 जुलाई को, जब इस सम्माननीय सदन में इस मुद्दे पर पहले चर्चा हुई थी, तब वर्तमान Agitation में 567 घटनाएं हो चुकी थीं। इन घटनाओं में 33 Civilians की एवं 01 सुरक्षाकर्मी की मृत्यु हुई थी। 1948 Civilians तथा 1739 सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे। तत्पश्चात्, दिनांक 08 अगस्त तक, 451 घटनाएं और हो चुकी हैं। इनमें 10 Civilians और 01 सुरक्षाकर्मी की मृत्यु हुई है। 1408 Civilians और 2776 सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं।
माननीय सभापति, कश्मीर भारत का ताज है। हमने आजादी धर्मनिरपेक्षता और Equality for all के आधार पर जीती है और इन्हीं को हमारे संविधान का केंद्र बिंदु बनाया है। हमारे नापाक पड़ोसी से भिन्न, हमारा समाज एकता और समानता की आधारशिला पर खड़ा है। कश्मीरियों के लिए हमारा दिल उतना ही धड़कता है, जितना कि उड़ीसा या असम के लिए, तमिलनाडु या केरल के लिए, गुजरात या राजस्थान के लिए। हमारे मन में न कोई भेद है, न भाव। मानवता हमारी भारतीयता की पहचान है। हमारे घर के किसी भी सदस्य को कोई शिकायत हो, तो हम उसको मिल-बैठकर सुलझा सकते हैं, और सुलझाना चाहते हैं। बातचीत हेतु हमारे दरवाजे भारत के हर नागरिक के लिए हमेशा खुले हैं। जैसा कि प्रधानमंत्री जी ने कल कहा, अन्य बच्चों के माफिक कश्मीरी बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं, किताबें होनी चाहिए, कलम होनी चाहिए, Bat-ball होना चाहिए। ऐसा हम अपनी ईमानदारी से, अपने Good Intent से, अपनी मेहनत से और आपसी बातचीत से सुनिश्चित करेंगे।
कुछ हफ्ता-दो हफ्ता पूर्व पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा था कि उनको उस दिन का इंतजार है, जब कश्मीर उनका होगा। मैं उनको, और उनके पीछे असली पावर रखने वालों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि उनके लिए यह इंतजार अनन्त होगा। कश्मीर हमारा था, हमारा है और हमारा रहेगा। पाकिस्तान तो क्या, दुनिया की कोई भी ताकत कश्मीर को भारत से अलग नहीं कर सकती है।
माननीय सभापति महोदय, पाकिस्तान द्वारा बार-बार कहा जाता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर एक Issue है। मैं जिम्मेदारी से वही बात कहना चाहूंगा, जो कि 22 फरवरी, 1994 को इस संसद ने एक आवाज़ से कहा था- कश्मीर का मुद्दा सिर्फ एक है, और वह है PoK की वापसी। उस वापसी तक हम चैन से नहीं बैठेंगे। इस संसद के 1994 Resolution की पूर्ति करके ही रहेंगे।