पुरुष शासकीय कर्मचारियों को भी दो वर्ष का पितृत्व अवकाश मिले न्यायालय निर्णय
पुरुष शासकीय कर्मचारियों को भी दो वर्ष का पितृत्व अवकाश मिले न्यायालय निर्णय

कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपने एक निर्णय मे कहा है कि पुरुष शासकीय कर्मचारियों को भी 2 वर्ष का पितृत्व अवकाश महिला शासकीय कर्मचारियों की तरह मिले।
यह अवकाश अभी तक केवल महिला कर्मचारियों को दिया जा रहा है । न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने एक स्कूल शिक्षक के आवेदन पर सुनवाई के समय बंगाल सरकार को 3 महीने में इस पर फैसला लेने को कहा है।
न्यायालय ने कहा कि समानता तथा लिंग भेद को ध्यान में रखते हुए पुरुष कर्मचारियों को भी 730 दिनों की चाइल्ड केयर लीव देने का निर्णय लेना चाहिए।
आवेदक की पत्नी की मृत्यु हो गई थी और उसको अपने दो छोटी बेटियों की देखभाल के लिए चाइल्ड केयर लीव चाहिए थी। अभी पुरुष शासकीय कर्मचारियों को 30 और महिला कर्मचारियों को 730 दिनों तक चाइल्ड केयर लीव का प्रावधान है ।
यह चाइल्ड केयर लीव का उद्देश्य बच्चों की अच्छी देखभाल को लेकर है ।सरकार का मानना है की अच्छी परवरिश से अच्छे संस्कार से बच्चा या बच्ची देश की एक जिम्मेदार नागरिक बनेगा या बनेगी।
जैसा कि अभी तक यह छुट्टी महिला कर्मचारियों को मिलती थी तो पुरुष कर्मचारियों को भी मिलनी चाहिए। जिससे यह अपनी संतानों का पालन पोषण अच्छे से कर सकें ।यह चाइल्ड केयर लीव कर्मचारी बच्चों के 18 वर्ष की आयु होने तक कभी भी ले सकता है ।एक साथ या टुकड़े में भी इस सुविधा का लाभ वह ले सकता है ।
ऐसी चाइल्ड केयर लीव पुरुषों को भी मिले यह न्यायालय का निर्णय स्वागत योग है क्योंकि अब परिवार छोटे से छोटे हो रहे हैं या कहें कि एकल हो गए हैं ऐसे में बच्चों का लालन पालन माता-पिता द्वारा ही होता है अगर दोनों नौकरी पैसा है तो बच्चों को डे केयर सेंटर आदमी छोड़ना पड़ता है। परवरिश के दौरान अध्यापन आदि में कुछ समय ऐसा आता है कि अभिभावक को अपने बच्चों के पास रहना चाहिए उसकी मदद करनी चाहिए जिससे वह आवश्यक समय पर अपने स्वास्थ्य की देखभाल तथा अध्यापन अच्छी तरह से पूर्ण कर सके। कभी-कभी ऐसा होता है की माता-पिता दोनों की आवश्यकता बच्चों के लिए बनी रहती है ऐसे में भी जरूरी है कि पुरुष तथा महिला दोनों कर्मचारियों को चाइल्ड केयर लीव मिले। सरकार की मंशा के साथ समाज की भी मंशा यही रहती है कि उसके राज्य का युवक युवती संस्कारी हो। उसका लालन पालन अच्छा होगा तो उसका जीवन सुखमय और स्वस्थ होगा और वह देश की उन्नत में सहायक बन सकेगा।
आने वाली पीढ़ी कानून को मानने वाली हो संवेदनशील हो जिससे राज्य अपनी जनहितैषी तथा विकास कार्यों को अच्छे से पूर्ण कर सके। इसलिए न्यायालय का यह निर्णय स्वागत योग्य है और यह निर्णय पूरे देश में लागू होना चाहिए।
12 अगस्त 2024
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