रक्षा विश्‍वविद्यालय विधेयक का प्रारूप ऑनलाइन उपलब्‍ध होगा

Manohar-Parrikar

राष्‍ट्रीय रक्षा विश्‍वविद्यालय स्‍थापित करने का विचार सर्वप्रथम 1967 में सामने आया था। बाद में सन् 2000 में कारगिल समीक्षा समिति और मंत्रियों के समूह ने भी इसे स्‍थापित करने की सिफारिश की थी। रक्षा विश्‍वविद्यालय स्‍थापित करने के लिए सितंबर 2012 में गुड़गांव जिले के मानेसर में भूमि का अधिग्रहण किया था।

अधिग्रहीत भूमि पर दिसंबर 2015 में ढांचागत विकास का काम भी शुरू हुआ था। भारतीय राष्‍ट्रीय रक्षाविश्‍वविद्यालय का सपना अब हकीकत में बदलने जा रहा हे। सरकार भारतीय राष्‍ट्रीय विश्‍वविद्यालयविधेयक -2015 के प्रारूप पर जनता के विचार जानने के लिए इसे छह सप्‍ताह के लिए MyGov.in पोर्टल और रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर डालने जा रही है। इस विधेयक में रक्ष मंत्रालय के अधीन राष्‍ट्रीय महत्‍व का एक स्‍वायत्‍त प्राप्‍त विश्‍व स्‍तरीय संस्‍था स्‍थापित करने का प्रस्‍ताव है। तीनों सेवाओं की वर्तमान संस्‍थाएं इस विश्‍वविद्यालय से सबद्ध होंगी और साथ ही यह विश्‍वविद्यालय राष्‍ट्रीय सुरक्षा, रक्षा प्रबंधन और रक्षा तकनीक से संबंधित उच्‍च शिक्षा को बढ़ावा देगी। इसके अलावा आंतरिक और बाहरी सुरक्षा से सभी पहलुओं पर नीति आधारित अनुसंधान को भी यह विश्‍वविद्यालय बढ़ावा देगी। दूर-दराज क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए मुक्‍त एवं दूरस्‍थ पाठ्यक्रम चलाने का भी प्रावधान इस विधेयक में है। विश्‍व के अन्‍य देशों में मौजूदा रक्षा विश्‍वविद्यालयों की तरह राष्‍ट्रीय रक्षा विश्‍वविद्यालय को खुद के नियमों द्वारा संचालित करने का प्रस्‍ताव है। प्रस्‍तावित विश्‍वविद्यालयमित्र राष्‍ट्र सहित अन्‍य सरकारी एजेंसियों के बीच समन्‍वय स्‍थापित करेगी।

मसौदा विधेयक पर जनता की प्रतिक्रियाओं एवं सलाह की मंत्रालय समीक्षा करेगा। इसके बाद मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए जरूरी प्रक्रिया शुरू की जाएगी इसे पारित कराने के लिए संसद में पेश किया जाएगा।

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