मध्यप्रदेश में मिला दुर्लभ यूरेशियन ऊदबिलाव

070616n10

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के स्वच्छ जल के झरनों में अत्यंत दुर्लभ यूरेशियन ऊदबिलाव पाया गया है। इसके पहले मध्य भारत भू-भाग पर यह प्रजाति कभी नहीं मिली थी। मुख्य रूप से यूरोप, अफ्रीका और एशिया के कुछ भाग में पाया जाने वाला यह ऊदबिलाव भारत में हिमालयी और सुदूर दक्षिणी क्षेत्र के कुछ ही इलाकों में मिलता है। मध्यप्रदेश वन विभाग की वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट के साथ मिलकर की गई यह खोज इसलिये महत्वपूर्ण हो जाती है कि यूरेशियन ऊदबिलाव को प्रकृति संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) ने घटती संख्या के कारण विलुप्तप्राय श्रेणी में रखा है।

राज्य वन विभाग और डब्ल्यूसीटी ने बाघ, पर्यावरण और जैव-विविधता की सुरक्षा, संरक्षण और अध्ययन के उद्देश्य से पहली बार सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और कान्हा पेंच कॉरिडोर के 5800 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में केमरे लगाये थे। क्षेत्र में कुछ स्थान पर न केवल यूरे‍शियन ऊदबिलाव की उपस्थिति बल्कि भारत में इस प्रजाति के पहली बार प्रमाणिक फोटोग्राफिक साक्ष्य भी उपलब्ध हुए। भारत में ऊदबिलाव की तीन प्रजाति पायी जाती हैं, जिसमें से स्मूथ कोटेड ऊदबिलाव अक्सर और एशियन स्मॉल कलॉड हिमालय की तराई, भारत के पूर्वी और दक्षिणी-पश्चिमी घाटों में पाया जाता है। तीसरी प्रजाति यूरेशियन ऊदबिलाव है, जो हिमालयी और सुदूर दक्षिणी क्षेत्र के कुछ इलाकों में मिलती है। केमरा ट्रेपिंग के दौरान सतपुड़ा और कान्हा-पेंच कॉरिडोर में कई स्थान पर स्मूथ कोटेड और यूरेशियन ऊदबिलाव मिले।

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में यूरेशियन ऊदबिलाव की उपस्थिति का श्रेय ग्राम विस्थापन को जाता है। पूर्व में कई पुरस्कार के साथ इसे इस वर्ष प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से भी पुरस्कार मिला है। ऊदबिलाव जमीन और जल में समान रूप से रहने वाला प्राणी है, जिसे गाँव खाली होने से यहाँ भोजन और प्रजनन की पर्याप्त सुरक्षा मिली। ऊदबिलाव में क्षेत्रीयता की प्रवृत्ति होती है। इसका मुख्य भोजन मछली है। यूरेशियन ऊदबिलाव का जीवन-काल मात्र 4 वर्ष का होता है और ये 3-4 बच्चे ही देते हैं। यह क्षेत्र महाशीर मछली प्रजनन का भी आदर्श वास-स्थल है।

कान्हा-पेंच कॉरिडोर 16 हजार वर्ग किलोमीटर में नागपुर, सिवनी, बालाघाट और मण्डला जिले में फैला हुआ है। पहली बार देश में मध्यप्रदेश वन विभाग ने कॉरिडोर के लिये प्रबंधन योजना तैयार की है। कॉरिडोर गौर, जंगली कुत्ते, भेड़िये, बाघ और टाइगर को वंशानुगत राह तो दिखाता ही था, अब यूरेशियन ऊदबिलाव का भी घर बन गया है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व विशेष भौगोलिक स्थिति एवं जलवायु विविध-वनस्पतिक-वन्य-प्राणी प्रजातियों का आश्रय-स्थल है। यहाँ 26 हिमालयी, 42 नीलगिरि क्षेत्र की वानस्पतिक प्रजातियों के अलावा उड़न गिलहरी, मालाबार बड़ी गिलहरी, जंगली मुर्गे की दोनों प्रजाति, बाघ, तेन्दुआ, सियार, चील, सांभर, चीतल आदि पाये जाते हैं।

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *