खेती को लाभ के साथ रोजगार का माध्यम बनायें – पूर्व मंत्री एवं रीवा विधायक राजेन्द्र शुक्ल
रीवा 05 सितंबर 2022. जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र तथा कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के संयुक्त तत्वाधान में संभाग स्तरीय कार्यशाला में कृषि एवं उद्यानिकी उत्पादों के निर्यात के साथ ही जिले में बढ़ते चावल के उत्पाद को निर्यात किये जाने की संभावनाओं पर व्यापक विचार विमर्श किया गया।
कार्यशाला को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए सांसद श्री जनार्दन मिश्र ने कहा कि रीवा जिले को व्यापारिक एवं आर्थिक गतिविधि का केन्द्र बनाया जायेगा। इसके लिये सभी जनप्रतिनिधि समवेत होकर कार्य कर रहे हैं। जिले में फसलों के विविधीकरण के कार्य होने तथा किसानों द्वारा उत्पादित सामग्री के निर्यात से ही आर्थिक उन्नति होगी। उन्होंने कहा कि जरूरी है कि किसान नवीनतम तकनीक का उपयोग कर वैज्ञानिकों से परामर्श करते हुए उत्पाद लें ताकि उसका आसानी से निर्यात हो सके। उन्होंने कहा कि जिले में मुनगे की खेती को बढ़ावा दिया जाय और इसके उत्पादन में वृद्धि से इसकी यूनिट लगाने के लिये भी लोगों को प्रेरित किया जाय। श्री मिश्र ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में जनप्रतिनिधि तथा अधिकारी किसानों का सहयोग करें ताकि उत्पादन बढ़े व रीवा जिला निर्यात में अग्रणी हो।
इस अवसर पर पूर्व मंत्री एवं रीवा विधायक श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि रीवा उत्तर-पूर्व का गेट वे बनने जा रहा है। जिले में अधोसंरचना विकास के अनेक कार्य हुए हैं तथा रीवा अब भारत के हर क्षेत्र से जुड़ गया है। जिले में बाणसागर की नहरों से आने वाले समय में 9 लाख एकड़ क्षेत्र में सिंचाई होने लगेगी। धान उत्पादन में जिला काफी आगे है जरूरत इस बात की है कि राइस मिलरमिलिंग की क्षमता बढ़ायें और नियत समय से पूर्व मिलिंग करें। उन्होंने कहा कि कृषि ही अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। निर्यात देश की उन्नति का मानक होता है अत: उत्पादित सामग्री के निर्यात के सभी प्रयास किये जांय। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए विधायक सिरमौर दिव्यराज सिंह ने कहा कि रीवा के विकास में कार्यशाला उचित माध्यम होगी। जिले में सिंचाई की सुविधाओं के बढ़ने से कृषि का उत्पादन बढ़ा है। उन्होंने जिले में अरहर की खेती को बढ़ावा देने व उसकी पैकेजिंग की बात कही। उन्होंने आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहित कर खेती को उद्यम से जोड़ने पर बल दिया।
रीवा संभाग के कमिश्नर श्री अनिल सुचारी ने कहा कि कार्यशाला में अनुभव व नई बातें सीखने का अवसर मिलेगा जिसका लाभ लेकर किसान व उद्यमी अपना बेहतर उत्पाद निर्यात कर पाने में सक्षम होंगे। उन्होंने जिले में बासमती चावल के उत्पादन को बढ़ावा देने की बात कही साथ ही कोदौ, कुटकी का भी उत्पादन किये जाने पर बल दिया। इस अवसर पर कलेक्टर मनोज पुष्प ने कहा कि जिले के कृषि व उद्यानिकी उत्पादों के निर्यात में कागजी प्रक्रियाओं की पूर्ति करें तभी निर्यातक में रीवा का नाम शामिल होगा। उन्होंने खेती में विविधीकरण करने व दलहन एवं तिलहन फसल उत्पादित करने की बात कही। उद्यानिकी फसलों के साथ सब्जी व फूलों की खेती को बढ़ावा देने की बात कलेक्टर ने कही। उन्होंने अपेक्षा की कि परिवहन की व्यवस्थित सुविधा से यहां उत्पादित चावल का निर्यात संभव हो सकेगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि प्रशासन स्तर से किसानों व उद्यमियों को हर संभव मदद दी जायेगी।
इससे पूर्व अपने स्वागत उद्बोधन में यू.बी. तिवारी महाप्रबंधक उद्योग ने बताया कि यह कार्यशाला चावल व अन्य कृषि उत्पादों के साथ बागवानी, बेकरी तथा कन्फेक्शनरी, डेयरी उत्पाद के निर्यात में सहायक होगी। उन्होंने बताया कि देश में चावल निर्यात के मामले में 40 प्रतिशत के साथ म.प्र. अग्रणी राज्य है। कार्यशाला में एपीडा नई दिल्ली की डीजीएम श्रीमती समिधा गुप्ता ने एपीडा की कार्यप्रणाली व उत्पादित निर्यात सामग्री के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रीवा जिला चावल के निर्यात में अपना स्थान बना सकता है जरूरत है कि अच्छी क्वालिटी का उत्पाद हो। उन्होंने अन्य उत्पादों के निर्यात की संभावनाओं पर भी चर्चा की। क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल के अशोक कुमार बोरा एवं चावल निर्यातक आयुष गोयल रायपुर ने भी अपने विचार व्यक्त किये तथा चावल निर्यातक प्रक्रिया व वित्तीय सहायता एवं अवसर के बारे में बताया। सांईनाथ इंटरनेशनल के कमलेश पटेल ने विन्ध्य में निर्यात की चुनौतियाँ तथा चितरंजन देशना ने कांट्रैक्स फार्मिंग के विषय में जानकारी दी। फूड प्रोसेसिंग बिजनेश एवं निर्यात संभावनाओं के बारे में सीए अनिरूद्ध ने विस्तार से बताया। इस अवसर पर रीवा एवं सतना जिले के चावल निर्माता, उद्यमी, खाद्य उत्पादक एवं किसान उपस्थित रहे। कार्यशाला में विभागीय अधिकारियों सहित सीए प्रशांत जैन तथा उद्योग केन्द्र के अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित रहे।