भौतिकता की अग्नि में दग्ध मानवता को सिंहस्थ एक नया मार्ग दिखायेगा
अ.भा. अखाड़ा परिषद ने मुख्यमंत्री श्री चौहान का किया सम्मान
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भौतिकता की अग्नि में दग्ध मानवता को सिंहस्थ एक नया मार्ग दिखायेगा। उज्जैन में होने वाले वैचारिक-कुंभ में साधु-सन्त विश्व-कल्याण के लिये सन्देश देंगे। वैचारिक-कुंभ के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी शिरकत करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘बिन सत्संग विवेक न होई’ और सन्तों के दर्शन महाकाल की कृपा के बिना नहीं हो सकते। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज तेरह अखाड़ों के श्रीमहन्तों के दर्शन एवं आशीर्वाद से उनका जीवन धन्य हो गया है। श्री चौहान ने यह बात आज सिंहस्थ क्षेत्र में निरंजनी अखाड़े में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा आयोजित आशीर्वाद एवं सम्मान समारोह में कही।
इसके पूर्व परिषद के अध्यक्ष श्री नरेन्द्रगिरि महाराज, महामंत्री श्री हरिगिरि महाराज एवं तेरह अखाड़ों के श्रीमहन्तों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री का सिंहस्थ की व्यापक तैयारियाँ करवाने के लिये अभिनन्दन करते हुए आशीर्वाद दिया गया। श्री चौहान एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह का रूद्राक्ष की माला एवं शाल से अभिनंदन किया गया। अखाड़ा परिषद की ओर से प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्रसिंह, स्कूल शिक्षा मंत्री श्री पारस जैन तथा केन्द्रीय सिंहस्थ समिति के अध्यक्ष श्री माखनसिंह को भी आशीर्वाद दिया गया।
श्री नरेन्द्रगिरि महाराज ने कहा कि सिंहस्थ का शुभारम्भ हो गया है। मेला सकुशल सम्पन्न करवाने के लिये कुशल नेतृत्व की आवश्यकता होती है। मुख्यमंत्री श्री चौहान एवं प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्रसिंह इसके लिये सर्वाधिक उपयुक्त हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में इस बार सिंहस्थ में इतनी अच्छी व्यवस्थाएँ हुई, जितनी पहले कभी नहीं हुई। देश में अन्य स्थानों पर भी कुंभ होते हैं, किन्तु कहीं भी अखाड़ों में स्थायी प्रकृति के काम नहीं होते हैं। उज्जैन में पहली बार ऐसा हुआ है। जहाँ महाकाल विराजते हैं, वहाँ चांडाल योग निष्प्रभावी रहेगा। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी संस्कारों को न भूले, इसी लिये कुंभ आयोजित किये जाते हैं।
श्री भूपेन्द्रसिंह ने कहा कि सुखद संयोग है कि सिंहस्थ प्रारम्भ होने के अवसर पर अखाड़ा परिषद द्वारा मुख्यमंत्री को सिंहस्थ की सफलता के लिये आशीर्वाद दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने सिंहस्थ की तैयारियाँ चार साल पहले ही प्रारम्भ करा दी थीं। मुख्यमंत्री ने सिंहस्थ का प्रचार पूरे विश्व में किया है।
महामंत्री श्री हरिगिरि महाराज ने कहा कि देवीय योग से सिंहस्थ को सफल बनाने के लिये मुख्यमंत्री के रूप में श्री शिवराज सिंह चौहान एवं अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के लिये श्री नरेन्द्रगिरि को चयनित किया गया है।
मुख्यमंत्री का सबसे बड़ा गुण सरलता
श्री नरेन्द्रगिरि ने कहा कि श्री चौहान प्रदेश में विकास के दूत हैं। उनका सबसे बड़ा गुण है, उनकी सरलता। वे पत्थर पर भी चादर बिछाकर बैठ सकते हैं। इतने ही सहज हैं प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्रसिंह। कोई उन्हें गाली देता है तब भी वे कहते हैं ‘जी महाराज’। यह जप, तप, त्याग, परिश्रम का ही फल है कि श्री चौहान मुख्यमंत्री हैं तथा वे दिनों-दिन आगे बढ़ते रहेंगे। श्री नरेन्द्रगिरि ने कहा कि सिंहस्थ कुंभ की परम्परा हमारे ऋषि-मुनियों ने प्रारम्भ की। सिंहस्थ हमारे धर्म एवं संस्कृति का वाहक हैं। ये पर्व इसलिये हैं कि हम अपनी अस्मिता, पहचान, संस्कृति को न भूलें। श्री नरेन्द्रगिरि ने कहा कि उन्होंने पूजा-पाठ कर चांडाल योग का निवारण कर दिया है। यह सिंहस्थ पूरी तरह सफल एवं शान्तिपूर्ण होगा, इसमें चांडाल योग का कुछ भी असर नहीं होगा।
श्री नरेन्द्रगिरि ने कहा कि मुख्यमंत्री ने साधु-समाज को सिंहस्थ में आने का निमंत्रण दिया है। यह अत्यन्त सराहनीय है। वे स्वयं इसके लिये नासिक गये थे। भारत में अन्य किसी कुंभ में यह परम्परा नहीं है।
आज मेरा जीवन सार्थक हो गया
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सन्तों का आशीर्वाद प्राप्त कर कहा कि सन्तों के संग के बिना जीवन अधूरा होता है। सिंहस्थ में सभी आयें और सन्तों के सान्निध्य का लाभ लें। उन्होंने बताया कि सिंहस्थ के बाद उज्जैन के सातों सरोवरों को उनका प्राचीन वैभव प्रदान किया जायेगा।
आशीर्वाद एवं अभिनन्दन समारोह में तेरह अखाड़ों के श्रीमहन्त उपस्थित थे। इनमें श्रीमहन्त श्री नीलकंठगिरि, शक्तिगिरि, जयविजय भारती, गोविंदानंदजी, सुदामानंदजी, दयागिरि, उदयगिरि, प्रेमगिरि, श्यामदासजी, महेश्वरदासजी, भगतरामजी, त्रिवेणीदासजी, गोपालसिंहजी, अवंतीसिंहजी, शिवशंकरदासजी, श्यामकिशोरदासजी, धर्मदासजी, मोहनदासजी, रवीन्द्रदासजी मौजूद थे। संचालन महन्त हरिगिरिजी एवं आभार श्रीमहन्त महेश्वरदासजी ने प्रकट किया। कार्यक्रम में सांसद डॉ. चिन्तामणि मालवीय एवं डॉ.सत्यनारायण जटिया, विधायक सर्वश्री मोहन यादव, दिलीपसिंह शेखावत, बहादुरसिंह चौहान, सतीश मालवीय तथा महापौर श्रीमती मीना जोनवाल मौजूद थे।