भ्रष्टाचार रोकने मे मोदी सरकार डाल – डाल दो भ्रष्टाचारी पात – पात
सर्वे में निकल कर आया है कि भारत में ऊपर के स्तर में मतलब प्रधानमंत्री से लेकर उनके मंत्रियों और उस स्तर के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार में कमी आई है तो निचले स्तर में काफी बढ़ा है और भारत इस वृद्धि के साथ विश्व में चौथे स्थान पर आ गया है।
यह बात सोलह आने सच है उदाहरण तो बहुत हैं विभाग भी सभी तरह के हैं लेकिन मैं इस बात को दो उदहारणों के साथ बताना चाहता हूं । एक प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना , दूसरी प्रधानमंत्री सोलर पंप सिंचाई योजना । दोनों योजनाएं बड़ी अच्छी हैंं । दोनों योजनाएं ऐसी हैं जो कृषि और किसान को मजबूती प्रदान करेंगे और इससे पूरा देश मजबूत होगा ।
इस समय किसानों का आंदोलन भी चल रहा है इसलिए इन्हीं दो योजनाओं में बात कर लेते हैं ।पहली योजना में पटवारी और उसका कंप्यूटर ऑपरेटर प्रधानमंत्री से भी बड़ा है पटवारी मनचाही फीस के बिना कंप्यूटर ऑपरेटर को किसान की सही जानकारी नहीं देता और जब तक अपने फीस का पूरा हिस्सा कंप्यूटर ऑपरेटर पटवारी या किसान से नहीं पा जाता तब तक जानकारी नहीं भरता जिससे किसान को प्रधानमंत्री सम्मान निधि प्राप्त हो सके। कंप्यूटर ऑपरेटर या पटवारी जब तक मनचाहा हिस्सा नही पा लेंगे तब तक किसान चक्कर पर चक्कर लगाता रहेगा कहीं कोई निराकरण नहीं होगा चाहे वह प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत करे या सीएम हेल्पलाइन का सहारा ही क्यों न ले ले। जब तक वह इन पटवारी और कंप्यूटर आपरेटर दोनों को चढ़ौत्री नहीं चढ़ा देगा तब तक उसका आवेदन गलत ही रहेगा ।
कई किसानों के प्रकरण में मैंने यह देखा कि पटवारी द्वारा कहीं किसान का खाता नंबर गलत डाल दिया जाता है, कहीं गांव का नाम कहीं मोबाइल नंबर तो कहीं पिता का नाम आदि। मैंने तो यहां तक देखा कि मोबाइल नंबर पटवारी अपना ही डाल देता है गांव का नाम ऐसा डालते हैं जो उस जिले में हो ही ना। एक बैंक खाता 2 लोगों के खाते में भर देते हैं जिससे न इसको पैसा मिले न उसको।
किसान और देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सोलर पंप योजना है ।सरकार सोलर पंप लगाने के लिए किसान को छूट के साथ सोलर पंप देती है। लेकिन इस छूट पर विभाग और उसके ठेकेदारों की गिद्ध दृष्टि लगी रहती है। उनको यह लगता है कि यह लाभ और पैसा जो किसान को मिला है उसमे से उन्हें भी कमीशन मिलना चाहिए। जबकि सरकार कंपनी को पैसा देती है और कमीशन अक्षय ऊर्जा के अधिकारी और ठेकेदार पा ही जाते हैं । फिर भी यह किसान से पैसा लिए बिना काम नहीं करना चाहते ।किसान को इतना तंग करते हैं कि वह कुछ न कुछ पैसा इनको दे। किसान को तंग किया जाता है परेशान किया जाता है उसको विभाग और ठेकेदार द्वारा अपने खर्चे बताए जाते हैं वाटर पंप लगाने में उसको इतना अधिक परेशान किया जाता है कि वह विवश होकर इनको चढ़ौत्री चढ़ाने मे मजबूर हो जाता है ।जब तक विभाग और ठेकेदार अपने गुर्गों के माध्यम से अपना कमीशन नहीं पा जाते तब तक सोलर पंप सही ढंग से नही लगता है चाहे आप कितना भी आवेदन निवेदन शिकायत कर लेंं।
वैसे ऐसी परेशानी तो सभी विभागों मे है लेकिन इन दो मुद्दों को मैंने अभी के दिनों मे काफी करीब से देखा है।
कुल मिलाकर गंगोत्री साफ है बाकी गंगा तो नाले में बदल गई है यह सच्चाई है ।भारत आज भ्रष्टाचार के मामले में चौथे स्थान पर पहुंचा है शीघ्र ही पहले स्थान पर भी आएगा। क्योंकि आज का भारत पुराना भारत नहीं है आज हर कार्य में विश्व में प्रथम आने की होड़ है । डिजिटल इंडिया मे कंप्यूटर ऑपरेटर प्रधानमंत्री से भी ज्यादा प्रधान है और पटवारी के कहने ही क्या वह तो सदाबहार नम्बर वन है।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू ”
03 दिसंबर 2020
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