दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम की रीवा तथा शहडोल संभाग की एक दिवसीय संभागीय कार्यशाला संपन्न
रीवा 07 फरवरी 2020. कलेक्ट्रेट सभागार में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 की रीवा तथा शहडोल संभाग की एक दिवसीय संभागीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए रीवा संभाग के कमिश्नर डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने कहा कि दिव्यांगता एक चुनौती है। दिव्यांग के प्रति समाज का दृष्टिकोण बदलेगा तभी दिव्यांग समाज की मुख्य धारा से जुड़ पायेंगे। दिव्यांगों के प्रति समाज में तिरस्कार का भाव होने से उन्हें परिवार तथा समाज में उपेक्षा एवं मानसिक व्यथा का सामना करना पड़ता है। दिव्यांगों के प्रति मानवीयता सभ्य समाज की कसौटी है। दिव्यांगों को यदि उचित सम्मान और प्रोत्साहन मिले तो वे देश के विकास में योगदान दे सकते हैं। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम में दिव्यांगों के कल्याण, पुनर्वास, वैधानिक अधिकार, रोजगार के अवसर सहित अनेक प्रभावी प्रावधान दिये गये हैं। सभी अधिकारी इनका पूरी तरह से पालन सुनिश्चित करायें।
कार्यशाला में कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि हमारा देश सदियों से अच्छे संस्कारों और वसुधैव कुटुम्बकम की भावना वाला देश है। यहां हमेशा परोपकार की सीख दी जाती है। समाज में दिव्यांगों के प्रति धीरे-धीरे सकारात्मक वातावरण बन रहा है। दक्षिण कोरिया के ईचियान शहर में 2013 में संकल्प किया गया था कि दिव्यांगों के लिए 2022 तक सभी आवश्यक कल्याणकारी उपाय कर दिये जायेंगे। उसके बाद से केन्द्र तथा राज्य सरकार ने दिव्यांगों के कल्याण के कई उपाय किये हैं। इसी संकल्प को पूरा करने के लिए दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम बनाया गया है। इसमें 21 तरह की दिव्यांगता को शामिल किया गया है जिसमें एसिड हमले के शिकार को भी शामिल किया गया है।
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि इतिहास में अनेक दिव्यांगजनों ने अपने-अपने क्षेत्र में बड़ी सफलतायें पायी हैं। महाकवि सूरदास, जानमिल्टन, वैज्ञानिक टामस अल्वाएडिसन, भरतनाट्यम नृत्यांगना सुधाचन्द्रन, गायक तथा संगीतकार रविंद्र जैन, इंग्लिश चैनल पार करने वाले तैराक तारानाथ सेनाय, अमेरिका के राष्ट्रपति फैÏक्लन रूजबेल्ट, हेलनकीलर, लूईब्रेल महाराजा रणजीत सिंह दिव्यांग थे। दिव्यांगों को शासकीय सेवा में आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जन्मजात दिव्यांगता को रोकने के लिए गर्भवती माताओं तथा शिशुओं का समय पर टीकाकरण एवं उचित उपचार आवश्यक है, यातायात नियमों का पालन करते हुए वाहन चलायें तो दुर्घटना से होने वाली दिव्यांगता रोकी जा सकती है। दिव्यांगों को कौशल प्रशिक्षण, सभी शासकीय भवनों को बाधारहित बनाकर तथा समान अवसर देकर उनका पुनर्वास किया जा सकता है। गत निर्वाचन में रीवा संभाग में दिव्यांगों को प्रेरित करके 95 प्रतिशत दिव्यांगों को मताधिकार का अवसर दिया गया। यह पूरे देश में सर्वाधिक था। दिव्यांगों को जागरूक करने के लगातार प्रयासों से यह संभव हो पाया।
कार्यशाला में नि:शक्तजन आयुक्त श्री संदीप रजक ने कहा कि नये अधिनियम के लिए कार्यशाला का आयोजन सराहनीय पहल है। नया अधिनियम 1995 के अधिनियम के स्थान पर बनाया गया है। यह 15 जून 2017 से लागू हो गया है। इसमें दिव्यांगों के स्वास्थ्य तथा पुनर्वास के अवसरों के साथ-साथ अन्य कई अधिकार दिये गये हैं। दिव्यांगों को संरक्षण, सुरक्षा, सामुदायिक जीवन, प्रजनन, न्याय तक पहुंच मतदान का अधिकार, सम्पत्ति में अधिकार, वैधानिक अधिकार तथा वैधानिक अभिभावक बनाने का अधिकार दिया गया है। दिव्यांगों को नये अधिनियम में शिक्षा कौशल विकास, रोजगार में अवसर का भी अधिकार दिया गया है।
कार्यशाला में डॉ. गणेश अरूण जोशी ने दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नये एक्ट में शामिल 21 तरह की दिव्यांगता के लिए प्रमाण पत्र जिला स्तर से जारी हो रहे हैं। इन प्रमाण पत्रों में दिव्यांगता के प्रतिशत का स्पष्ट उल्लेख करें। दिव्यांगता प्रमाण पत्र 6 वर्ष से कम आयु के बच्चे का भी बन सकता है। प्रमाण पत्र जारी करने के लिए निर्देश तथा प्रारूप 25 जुलाई 2019 को राजपत्र में प्रकाशित कर दिये गये हैं। केवल इसी प्रारूप पर प्रमाण पत्र जारी करें। इसमें अलग से कोई नोट न लगायें। दिव्यांगों के आधार पंजीयन में मध्यप्रदेश में अच्छा कार्य हो रहा है। विदिशा जिले में शत-प्रतिशत दिव्यांगों को यूडीआई प्रमाण पत्र जारी किये जा चुके हैं। डॉ. जोशी ने दिव्यांगता के प्रतिशत निर्धारण तथा प्रमाण पत्र के तकनीकी पक्षों की जानकारी दी। कार्यशाला में मेडिकल कालेज छिन्दवाड़ा के सहायक प्राध्यापक डॉ. संदीप ढ़ोले ने दिव्यांगता के निर्धारण, दिव्यांगता के सभी श्रेणियों में शामिल 21 तरह की दिव्यांगता के निर्धारण, बहुविकलांगता, बौद्धिक दिव्यांगता के निर्धारण के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।
कार्यशाला में कलेक्टर सिंगरौली के.व्ही.एस. चौधरी ने कहा कि सिंगरौली में दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र का निर्माण पूरा हो गया है। इसे शीघ्र शुरू किया जायेगा। दिव्यांगों के यूडीआई कार्ड 2 माह में शत-प्रतिशत बना दिये जायेंगे। कलेक्टर सतना सत्येन्द्र सिंह ने कहा कि सतना जिले में शासकीय भवनों में 7 हजार रैम्प बनाये गये हैं सभी मतदान केन्द्रों में तिपहिया साइकिल उपलब्ध करा दी गयी है। कलेक्टर सीधी रवीन्द्र चौधरी ने कहा कि दिव्यांगों के यूडीआई कार्ड अभियान चलाकर शत-प्रतिशत बनाये जा रहे हैं। सरकारी क्षेत्र के साथ-साथ निजी क्षेत्र की कंपनियों में दिव्यांगों को रोजगार के अवसर दिलाने के प्रयास किये जा रहे हैं। कार्यशाला में दिव्यांगों के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने, दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्रतिदिन जारी करने तथा दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने के लिए डॉक्टरों को जिला स्तर पर प्रशिक्षण देने का भी सुझाव दिया गया। कार्यशाला का समापन संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय अनिल दुबे द्वारा आभार प्रदर्शन से हुआ। कार्यशाला में कलेक्टर रीवा बसंत कुर्रे, पुलिस अधीक्षक आबिद खान, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा अर्पित वर्मा, मुख्य कार्यपालन अधिकारी सतना रिजू वाफना, संयुक्त आयुक्त पी.सी. शर्मा, समाज सेवी डॉ. सज्जन सिंह, रीवा तथा शहडोल संभाग के सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, उप संचालक पंचायत सतीश निगम स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।