मिशन पिंक हेल्थ में मिला प्रथम पुरस्कार

रीवा 14 जनवरी 2020. हमारे देश में महिलाओं में रक्ताल्पता का प्रतिशत 50 से 60 परसेंट तक है। प्रदेश में भी लगभग 55 प्रतिशत महिलाएं अपने जीवन में कभी न कभी खून की कमी से ग्रस्त रहती हैं। महिलाओं में खून की कमी होने पर मातृ मृत्यु और शिशु मृत्यु दोनों की संभावनाएं बढ़ जाती है। साथ ही कम वजन एवं प्रीमेच्योर बच्चे होने पर कुपोषण का भी खतरा बना रहता है। कुपोषित बच्चे जीवन में शारीरिक एवं मानसिक क्षमताओं का पूरी तरह से विकास नहीं कर पाते हैं।
इन सभी समस्याओं को देखते हुए भारतीय चिकित्सा संघ की महिला शाखा ने मिशन पिंक हेल्थ के नाम से कार्यक्रम प्रारंभ किया था। इस कार्यक्रम में महिला चिकित्सकों द्वारा स्कूलों, कॉलेजों में शिक्षारत और ऑफिस में कार्यरत महिलाओं की चिकित्सकीय जांच की जाती है और जिन महिलाओं को रक्त की कमी के लक्षण पाए जाते हैं, उनका हीमोग्लोबिन नॉरमल है उनको सप्ताह में 2 दिन आयरन की गोलियां खाने की सलाह दी जाती है, जिससे उनको खून की कमी ना होने पाए। साथ ही पोषण आहार में परिवर्तन लाने के सुझाव भी दिए जाते हैं। भोजन में हल्दी, गुड, पालक की एवं अन्य भाजी, सेव, केला, मौसमी फलों का समावेश करने पर खून में वृद्धि होती है। साथ ही भोजन में दूध, अंडा, मछली का भी समावेश होना आवश्यक है। इनसे विटामिन बी-12 प्राप्त होता है, जो कि शरीर में रक्त बनाने के लिए आवश्यक होता है। जो व्यक्ति शाकाहारी होते हैं, उन्हें अपने भोजन में बी-12 की कमी पूरी करने के लिए हर महीने में लगभग 15 दिन तक बी-12 की गोलियों का सेवन करना चाहिए। शरीर में हीमोग्लोबिन बनने के लिए पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और विटामिन सी का भी समावेश होना चाहिए। इस लिए दाल, चावल, रोटी के साथ-साथ खट्टे फल जैसे आंवला, आम, इमली, कैथा, का भी पूरी मात्रा में उपयोग किया जाना चाहिए।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत महिलाओं की मासिक धर्म संबंधी समस्याओं का भी निदान किया जाता है। बच्चों को गुड टच बैड टच के साथ, इंटरनेट के अधिक उपयोग के दुष्प्रभाव पर भी जानकारी दी जाती है। श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय रीवा, जिला अस्पताल एवं प्राइवेट सेक्टर में कार्यरत महिला चिकित्सकों द्वारा मिशन पिंक हेल्थ कार्यक्रम गत वर्ष संपन्न किया गया। कार्यक्रम की चेयरमैन डॉक्टर ज्योति सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि रीवा में मिशन पिंक हेल्थ कार्य सघन रूप से सफलतापूर्वक संपन्न किया गया। इसमें श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय, आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय, शासकीय महाविद्यालय गुढ़, शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय, सरोजिनी नर्सिंग महाविद्यालय, शासकीय टीआरएस कालेज सहित लगभग 25 विद्यालयों में स्वास्थ्य परीक्षण, हीमोग्लोबिन जांच एवं स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम संपन्न किया गया।
कार्यक्रम में डॉ. शशि जैन, डॉ. कल्पना यादव, डॉ. सुजाता लखटकिया, डॉ. नीरा मराठे, डॉ. प्रियंका अग्रवाल, डॉ. पद्या शुक्ला, डॉ. ईवा तिर्के, अनामिका द्विवेदी, शैलजा सोनी मीना पटेल, निशा गुप्ता, मोहिता पाण्डे इत्यादि ने विद्यालयों में जाकर स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम संपन्न किया। चिकित्सा महाविद्यालय के पैथोलॉजी एवं बाल एवं शिशु स्वास्थ्य विभाग के सभी डॉक्टर्स का इसमें विशेष सहयोग प्राप्त रहा। डॉ. शैलबाला श्रीवास्तव, डॉ. गीता बनर्जी, डॉ. सत्या खनिजों कार्यक्रम के सलाहकार एवं संरक्षक के मार्गदर्शन में कार्यक्रम ने अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। यह बहुत गर्व का विषय है कि भारतीय चिकित्सा संघ के राष्ट्रीय सम्मेलन में मध्यप्रदेश को मिशन पिंक हेल्थ में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। जिसमें रीवा ग्वालियर तथा छिंदवाड़ा की प्रमुख भूमिका रही। रीवा में आयोजित भारतीय चिकित्सा संघ के सतत शिक्षा कार्यक्रम में मिशन पिंक हेल्थ रीवा के पदाधिकारियों का सम्मान किया गया। इस कार्यक्रम में डॉ. गुलाटी पूर्व अधिष्ठाता, डॉ. मनोज इंदुलकर तथा डॉ. आदित्य तिवारी सहित बड़ी संख्या में चिकित्सक उपस्थित रहे।

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