बाल दिवस बच्चों के अधिकार एवं समग्र विकास का राष्ट्रीय त्यौहार है – कमिश्नर डॉ. भार्गव

शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय निपनिया में मनाया गया बाल दिवस

रीवा 14 नवम्बर 2019. कमिश्नर रीवा संभाग डॉ. अशोक कुमार भार्गव के मुख्य आतिथ्य में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय निपनिया में बाल दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कलेक्टर ओमप्रकाश श्रीवास्तव द्वारा की गई। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत अर्पित वर्मा, संयुक्त संचालक लोक शिक्षण अंजनी कुमार त्रिपाठी, समाजसेवी रमाशंकर सिंह एवं डीपी सिंह मंचासीन थे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कमिश्नर रीवा संभाग डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने छात्र-छात्राओं, अभिभावकों एवं शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि बाल दिवस बच्चों के अधिकारों एवं उनके समग्र विकास का राष्ट्रीय त्यौहार है। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। बच्चे आजादी के साथ अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकें एवं उनके सपनों को साकार करने में अभिभावकों, शिक्षकों और हम सबको भागीदार बनना चाहिए। बच्चों के अधिकारों को क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी संपूर्ण समाज की है। बच्चे हमारे राष्ट्र की बहुमूल्य संपदा हैं जो मानवता के भविष्य को उज्ज्वल बनाने का काम करते हैं। बच्चे राष्ट्र के कर्णधार हैं इसलिए बच्चों को उनके अधिकार मिलना चाहिए।
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने बच्चों से संवाद स्थापित करते हुए उनके अधिकारों के विषय में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बच्चों का सबसे पहला अधिकार आजादी के साथ जीने का अधिकार है जो उन्हें मिलना चाहिए। बच्चों को बिना किसी भेदभाव के भरपेट भोजन, पढ़ने, लिखने का मौका, स्वास्थ्य की देखभाल, खेलने-कूदने और मनोरंजन का अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों की कल्पना शक्ति बढ़ाने के लिए उन्हें परंपरागत खेलों से भी जोड़ने की जरूरत है। बच्चों के अधिकारों का संरक्षण हो ताकि उन्हें उनके अधिकार सुविधाजनक ढंग से प्राप्त हो सकें। बच्चों को अपनी बात कहने और उनकी बात सुने जाने का भी अधिकार है ताकि किसी तरह की मारपीट, हिंसा, शोषण, दुव्र्यापार, लैंगिक अपराध, बाल श्रम जैसी घटनाएं उनके ऊपर घटित न हो सकें।
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि बाल दिवस समाज में चेतना जागृत करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। बच्चे खुशबुओं के गुलाब हैं, उन्हें गुलाब की तरह खिलने का मौका मिलना चाहिए। अभिभावक बच्चों की क्षमता का आकलन किए बगैर जबरदस्ती अपने सपने बच्चों पर न थोपें। उन्होंने कहा कि परीक्षा में प्राप्त किए गए अंक हमारी समग्र योग्यता का मूल्यांकन नहीं कर सकते हैं। इसलिए निराश न होकर कठिन परिस्थितियों में भी अपना हौसला बुलंद रखकर कामयाबी प्राप्त करने की कोशिश करें। जिस तरह गुलाब कांटों के बीच खिलता है उसी तरह कठिनाइयों से जूझते हुए अपने आप को कामयाब बनाने की कोशिश करें। कामयाबी संयोग से नहीं बल्कि पूरी लगन मेहनत और कर्मठता से ही मिलती है। अपना लक्ष्य तय करके आगे बढ़ने की कोशिश करें। उन्होंने अभिभावकों से कहा कि अभिभावकों की भूमिका माली की तरह होना चाहिए, वे बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनकी अच्छी आदतों और व्यक्तित्व के विकास के लिए हमेशा तत्पर रहें। उन्होंने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों के भविष्य को निर्मित करना सबसे कठिन काम है यदि शिक्षक द्वारा कोई गलती होती है तो राष्ट्र के विकास में वह बाधा बनती है। आप शिक्षक रहते हुए बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बना सकते हैं। कमिश्नर डॉ. भार्गव एवं अन्य अतिथियों ने अभिभावकों को प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभु राम चौधरी का संदेश वितरित किया। इस संदेश को कार्यक्रम में पढ़कर भी सुनाया गया। अतिथियों ने छात्र-छात्राओं को परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पुरस्कार स्वरूप शील्ड भी प्रदान की।
कलेक्टर ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि बच्चों पर ध्यान देने से ही देश आगे बढ़ सकेगा। बच्चों के मनोविज्ञान को समझते हुए हमें उनके विकास में सहयोग करना चाहिए। सरकार ने इस बार सबसे ज्यादा ध्यान शिक्षा का स्तर सुधारने पर दिया है। इसके फलस्वरूप रीवा जिले में भी शिक्षा की गुणवत्ता में पहले से अधिक सुधार आया है। उन्होंने शिक्षकों एवं पालकों को बच्चों के प्रति अपने उत्तर दायित्व का निर्वहन ठीक ढंग से करने की समझाइश दी।
कलेक्टर श्री श्रीवास्तव ने बाल दिवस के शुभ अवसर पर बच्चों से संवाद स्थापित करते हुए पूछा कि आपने कभी नंदन, चंपक और चंदा मामा जैसी अन्य पत्रिकाओं में कहानियां पढ़ी हैं तो बच्चों ने अनभिज्ञता जाहिर की। इस पर कलेक्टर श्री श्रीवास्तव ने अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए विद्यालय के शिक्षकों एवं प्राचार्य से कहा कि यहां लाइब्रोरी है तो बच्चों को कहानियों की किताबें पढ़ने के लिए क्यों नहीं दी जाती हैं। लाइब्रोरी के लिए शासन द्वारा स्कूलों में 10 हजार रूपए भी प्रदान किए जाते हैं जिसका समुचित उपयोग करें। उन्होंने कहा कि बच्चों को कहानियों की पत्रिकाएं एवं अन्य ज्ञानवर्धक पुस्तकें पढ़ने के लिए दें जिससे उनकी कल्पना शक्ति का विकास हो सके। बच्चों को हमेशा प्रोत्साहित करने की कोशिश करें। कार्यक्रम में डीपीसी, प्राचार्य डाइट, विद्यालय के प्राचार्य, शिक्षकगण, अभिभावक एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थीं।

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *