विशाल व्यक्तित्व के कद्दावर नेता थे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष

रीवा 18 सितंबर 2019. प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री कमलेश्वर पटेल ने कृष्णा राजकपूर आडिटोरियम में स्वर्गीय श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी के चित्र में माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि व्यक्त की। मंत्री श्री पटेल ने श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी और संघर्ष के 9 दशक विचार संगोष्ठी में उद्बोधन देते हुये कहा कि दादा ने अपना जीवन गरीबों, शोषितों एवं पीड़ितों की सेवा में लगा दिया। उनके पास जो भी व्यक्ति काम लेकर पहुंचा कभी निराश होकर वापस नहीं लौटा। दादा विशाल व्यक्तित्व के कद्दावर नेता थे उनकी विशालता का परिणाम था कि वे विंध्य प्रदेश में सफेद शेर के नाम से प्रसिद्ध हो गये थे।
कार्यक्रम में श्रीमती कविता पाण्डेय, विवेक तिवारी बाबला, सिद्धार्थ तिवारी राज, प्रहलाद सिंह, इंजीनियर राजेन्द्र शर्मा, पूर्व संसदीय सचिव राजेन्द्र मिश्रा, लखनलाल खण्डेलवाल, ब्रजेन्द्र शुक्ला, चन्द्रमणि शुक्ला, गोविन्ददास तिवारी, कौशलेश द्विवेदी, सुभाष श्रीवास्तव, रामसुमन पाण्डेय, शीवेन्द्र उपाध्याय, सुशील तिवारी, राकेश तिवारी सहित जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
मंत्री श्री पटेल ने कहा कि दादा सबसे कम उम्र के विधायक बनने वालों में एक थे। वे विधानसभा अध्यक्ष बनने वाले पहले व्यक्ति थे जिन्होंने विधानसभा अध्यक्ष की असीमित शक्तियों की जानकारी दी। वे विधानसभा में जीरो आवर्स में बोलने वाले पहले व्यक्ति थे। दादा अच्छे मार्गदर्शक, विधि विशेषज्ञ थे। उन्होंने विंध्य क्षेत्र के विकास में योगदान दिया और विकास को नई ऊचाईयां दी। उन्होंने हरवर्ग की लड़ाई लड़ी। उनके विचार से प्रेरणा लेकर हम विकास की नई ऊचाईयों को छू सकते हैं। वे पार्टी के आधार स्तम्भ थे। उन्होंने हमेशा न्याय की लड़ाई लड़ी। हम भी दादा के बताये मार्ग पर चलने का संकल्प लें। दादा की दिनचर्या गरीबों पीड़ितों, दुखियों के काम करने से प्रारंभ हो जाती थी। अपने यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति से दादा सहज रूप से मिलते थे और यथसंभव उसकी परेशानियों एवं दुख: दर्द को दूर करते थे। इसके लिये उन्हें कितनी भी मेहनत करनी पड़े, कितना संघर्ष करना पड़े इसका उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था।
मंत्री श्री पटेल ने कहा कि दादा का जीवन समाजवाद से प्रारंभ हुआ। फिर वे गांधीवादी बने तथा इसके बाद यथार्थवादी बन गये। वे जमींदारी प्रथा के विरोध के कारण जेल भी गये। विंध्य क्षेत्र में तिवारी जी की सबसे बड़ी देन संजय गांधी अस्पताल है जहां दूर दराज के क्षेत्र से लोग अपना उपचार कराने आते हैं। दादा अपने आप में एक संस्था थे। वे राजनीतिक इतिहास थे। नेता के रूप में उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं की सेवा की उनके कष्टों एवं दर्द को दूर किया।
सिद्धार्थ तिवारी राज ने अपने संस्मरण सुनाते हुये कहा कि दादा एक नई सोच एवं विचारधारा के रूप में उभरे हैं। उनका जन्मदिवस सभी को मनाने का हक है। उन्होंने अपनी सोच को विंध्य की माटी में संजोया है। इसका सृजन पिछले 70 वर्षो के दौरान हुआ। श्रीनिवास तिवारी जी ने अपनी लड़ाई गरीबों के अधिकारों के लिये लड़ी। शीवेन्द्र उपाध्याय ने अपने संस्मरण व्यक्त करते हुये कहा कि दादा राजनीतिक इतिहास थे। वे पहले नेता थे जो अपने कार्यकर्ताओं के लिये जिये। वे श्रेष्ठ कानून विद थे। दादा अपने आप में एक संस्था थे। वे कानूनी पहलुओं को अपने पक्ष में कर लेते थे। वे उद्भट विद्वान थे।
रामसुमन पाण्डेय ने कहा कि उनकी दादा के साथ अनेक यादें जुड़ी हैं। श्रीनिवास तिवारी प्रभावशाली व्यक्तित्व के नेता थे, जो भी व्यक्ति उनसे मिला उनसे प्रभावित हुये बिना नहीं रह सका। वे समाजवादी, गांधीवादी एवं यथार्थवादी, जननेता थे। इससे पूर्व कार्यक्रम की प्रणेता श्रीमती कविता पाण्डेय ने मंत्री श्री पटेल सहित ओजस्वी वक्ताओं को शाल, श्रीफल देकर सम्मानित किया। इसी कड़ी में जसमिता शुक्ला, श्रीमती लता टंडन, हरीश धवन, नित्यानंद मिश्रा, अविनाश शर्मा, सिद्धार्थ श्रीवास्तव, भारती शर्मा, को शाल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

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