उज्जैन-सिंहस्थ-2016 में तीन शाही स्नान होंगे

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अखाड़ा परिषद एवं प्रशासन की बैठक में हुआ महत्वपूर्ण निर्णय

सिंहस्थ-2016 में तीन शाही स्नान होंगे। प्रशासन एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की उज्जैन में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। प्रथम शाही स्नान चैत्र शुक्ल 15 शुक्रवार 22 अप्रैल, द्वितीय शाही स्नान अक्षय तृतीया वैशाख शुक्ल 3 सोमवार 9 मई तथा प्रमुख शाही स्नान वैशाख शुक्ल 15 शनिवार 21 मई को होगा। बैठक में प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह, केन्द्रीय सिंहस्थ समिति के अध्यक्ष श्री माखन सिंह, सिंहस्थ मेला प्राधिकरण अध्यक्ष श्री दिवाकर नातू, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री नरेन्द्र गिरि, महामंत्री श्री हरि गिरि एवं सभी तेरह अखाड़े के प्रतिनिधि मौजूद थे।

प्रभारी मंत्री श्री सिंह ने कहा कि साधु-संतों के आशीर्वाद से उज्जैन का सिंहस्थ सफलता से सम्पन्न होगा। चार वर्ष पूर्व से ही प्रदेश सरकार ने सिंहस्थ की तैयारियाँ प्रारंभ कर दी थीं। रुपये 3,500 करोड़ की धनराशि सिंहस्थ के लिये स्वीकृत की गयी है। उज्जैन शहर में न केवल अधोसंरचना का निर्माण किया गया, बल्कि सभी ऐतिहासिक मंदिरों का जीर्णोद्धार एवं सौंदर्यीकरण भी किया गया है। मेला क्षेत्र में सरकार की ओर से बेहतर से बेहतर व्यवस्था की जायेगी।

प्रभारी मंत्री ने विभिन्न अखाड़ों के प्रतिनिधियों द्वारा रखे गये मुद्दों पर कहा कि प्रदेश सरकार के आग्रह पर सिंहस्थ में होने वाले वैचारिक कुंभ में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी शिरकत करेंगे। इस दौरान वे अखाड़ों के प्रतिनिधियों से भेंट भी करेंगे। प्रभारी मंत्री ने कहा कि सिंहस्थ के कार्य तेजी से करवाये जा रहे हैं। शौचालय, बिजली आदि की व्यवस्था एक सप्ताह में पूरी हो जायेगी। उन्होंने कहा कि सभी अखाड़ों को नि:शुल्क बिजली दी जायेगी। प्रत्येक अखाड़े में एम्बुलेंस की व्यवस्था के साथ लायजनिंग अधिकारी नियुक्त होंगे।

10 अखाड़ों की प्रवेशाई (पेशवाई) तिथि घोषित

बैठक में अखाड़ा परिसर की ओर से 10 प्रमुख अखाड़ों की प्रवेशाई (पेशवाई) की तिथि घोषित की गयी। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा 27 मार्च, श्री पंचायती आव्हान अखाड़ा की 10 अप्रैल, श्री तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा की 11 अप्रैल, श्री पंचायती अग्नि अखाड़ा की 14 अप्रैल, श्री पंचायती आनंद अखाड़ा की 15 अप्रैल, श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा की 17 अप्रैल, श्री पंचायत महानिर्वाणी अखाड़ा की 18 अप्रैल, श्री पंच अटल अखाड़ा तथा श्री निर्मल अखाड़ा की 19 अप्रैल को तथा श्री पंचायत बड़ा उदासीन अखाड़ा की 20 अप्रैल को प्रवेशाई निकलेगी। शेष तीन अखाड़े श्री निर्वाणी अणि अखाड़ा, श्री दिगम्बर अणि अखाड़ा तथा श्री निर्मोही अणि अखाड़ा की प्रवेशाई की तिथियाँ बाद में घोषित होंगी।

वैदिक मंत्रोच्चार से हुआ स्वागत

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों का मेला कार्यालय पहुँचने पर प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह एवं केन्द्रीय सिंहस्थ समिति के अध्यक्ष श्री माखन सिंह ने पुष्पहार से सभी साधु-संतों का स्वागत किया। श्री महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण संस्था के बटुकों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार और प्रतिभा संगीत अकादमी की बालिकाओं द्वारा तिलक कर स्वागत किया गया।

सिंहस्थ के कार्य से प्रसन्न हुए महंत सप्तगिरि महाराज

आव्हान अखाड़े के महंत सप्तगिरि महाराज ने कहा कि सिंहस्थ के कार्यों से वे अत्यंत प्रसन्न हैं। निर्मल अखाड़े के श्री गोपालसिंहजी ने कहा कि सिंहस्थ के अच्छे कार्य हो रहे हैं। निर्मोही अणि अखाड़े के श्री राजेन्द्रदासजी महाराज ने कहा कि सिंहस्थ मेले की बहुत अच्छी शुरूआत हुई है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री नरेन्द्र गिरि महाराज ने कहा किसिंहस्थ के कार्य निश्चित रूप से अच्छे हुए हैं। कई अखाड़ों में कार्य पूर्ण हो चुके हैं। उन्होंने अखाड़ों के शेष रहे कार्यों को तेज गति से करवाने का आग्रह किया।

बैठक में पंचदशनाम जूना अखाड़ा के श्रीमहन्त उमाशंकर भारती, श्रीमहन्त अभयपुरी, श्री पंचायती आव्हान अखाड़े के श्रीमहन्त सत्यगिरि, श्रीमहन्त जयविजय भारती, पंचायती अग्नि अखाड़ा के श्रीमहन्त गोविंदानंद, श्रीमहन्त सुदामानंद, पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के श्रीमहन्त कैलाश भारती, श्रीमहन्त दयापुरी, पंच अटल अखाड़ा के श्रीमहन्त प्रेमगिरि, श्री तपोनिधि निरंजी अखाड़ा के श्रीमहन्त रवीन्द्रपुरी, श्रीमहन्त आशीषगिरि, श्री पंचायती आनंद अखाड़ा के श्रीमहन्त जगदीशगिरि, श्रीमहन्त धनराजगिरि, श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा के श्रीमहन्त मोहनदास, श्रीमहन्त श्यामदासजी, श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा के श्रीमहन्त भगतराम, श्रीमहन्त त्रिवेणीदास, श्री निर्मल अखाड़ा के श्रीमहन्त गोपालसिंह, श्रीमहन्त अमनदीपसिंह, निर्मोही अणि अखाड़ा के श्रीमहन्त अयोध्यादास, श्रीमहन्त राजेन्द्रदास, श्री दिगंबर अणि अखाड़ा के श्रीमहन्त कृष्णदास, श्रीमहन्त रामकिशोरदास तथा श्री निर्वाणी अणि अखाड़ा के श्रीमहन्त दिग्विजयदास एवं श्रीमहन्त प्रेमदास खाकी मौजूद थे।

 

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