स्तनपान के प्रति सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ जागरूकता फैलाना जरूरी – कमिश्नर डॉ. भार्गव
रीवा 01 अगस्त 2019. विश्व स्तनपान सप्ताह एक से सात अगस्त 2019 के परिप्रेक्ष्य में कमिश्नर रीवा संभाग डॉ. अशोक कुमार भार्गव के मुख्य आतिथ्य में कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए कमिश्नर रीवा संभाग डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने बच्चों को स्तनपान कराने का महत्व समझाते हुए कहा कि स्तनपान बच्चों का मूलभूत अधिकार है जो उन्हें मिलना चाहिए। बच्चों को जन्म से 6 माह तक सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए। माँ के दूध में 80 प्रतिशत तक पानी होता है इसलिए 6 माह तक बच्चे को माँ के दूध के अलावा पानी अथवा कोई अन्य खाद्य पदार्थ नहीं देना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चे के जन्म के तुरंत बाद माँ का गाढ़ा पीला दूध पिलाना चाहिए। बच्चे को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराने से शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। बच्चों को दो साल तक स्तनपान जरूर कराना चाहिए। संस्थागत प्रसव के प्रतिशत में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है लेकिन एक घंटे के अंदर स्तनपान का कम प्रतिशत होना बहुत ही चिंताजनक है।
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सामाजिक बिन्दुओं को जन-जन तक पहुंचाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मीडिया से अपेक्षा है कि स्तनपान को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए इसके बारे में जागरूकता फैलायें। माँ का दूध अमृत के समान है। माँ के दूध से बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है एवं उसके अन्दर आनन्द की अनुभूति होती है। माँ के दूध से बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता निर्मित होती है। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहें इसलिए स्तनपान नितांत आवश्यक है। कामकाजी महिलाओं में इसके प्रति जागरूकता फैलाने में अपना योगदान दें। स्तनपान के संबंध में गलत भ्रांतियों को समाप्त करने की जरूरत है। बच्चे में मानसिक, शारीरिक, बौद्धिक एवं सामाजिक विकास माँ के दूध से ही संभव है। स्तनपान का प्रतिशत शत-प्रतिशत होना आवश्यक है। बच्चे को स्तनपान कराने से उसे कुपोषण, डायरिया, डायबिटीज आदि रोगों से बचाया जा सकता है। बच्चे के कुपोषित हो जाने पर गरीब परिवारों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कमिश्नर डॉ. भार्गव ने स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा मीडिया से स्तनपान कराने के संदेश का गांव-गांव तक दूरस्थ अंचलों में प्रचार-प्रसार कराने की अपील की।
कार्यशाला में अपर कलेक्टर इला तिवारी, संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास ऊषा सिंह सोलंकी, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्योति सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास प्रतिभा पाण्डेय, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरएस पाण्डेय, उप संचालक स्वास्थ्य डॉ. एनपी पाठक, परियोजना अधिकारी जीवेन्द्र सिंह सहित स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग के अन्य अधिकारी-कर्मचारी, नर्सिंग कॉलेज की छात्राएं, Ïक्लटन फाउंडेशन के सदस्य तथा पिं्रट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारगण उपस्थित थे।