महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक उन्नति से ही समाज का विकास संभव है- कमिश्नर डॉ. भार्गव
ऊषा किरण योजनान्तर्गत संभाग स्तरीय कार्यशाला संपन्न
रीवा 31 जुलाई 2019. ऊषा किरण योजना घरेलू हिंसा अधिनियम अंतर्गत कमिश्नर रीवा संभाग डॉ. अशोक कुमार भार्गव के मुख्य आतिथ्य में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा होटल समदड़िया में एक दिवसीय संभाग स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि आज की यह कार्यशाला सामाजिक सरोकार का महत्वपूर्ण आयोजन है। एक दिन ऐसा आना चाहिए जब महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा को लेकर किसी भी प्रकार के आयोजन की जरूरत नहीं रहे। भारतीय परंपरा में दोहरी मानसिकता है। नकारात्मक मानसिकता महिलाओं के प्रति हमारी निर्दयता को व्यक्त करती है। प्रारंभ से हमारा समाज पितृ और पुरूष प्रधान समाज रहा है। आजादी के बाद महिलाओं की उन्नति के लिए अनेक कानून बने। महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक उन्नति से ही समाज का सम्पूर्ण विकास संभव है। हम सब मानते हैं कि शक्ति, विद्या एवं लक्ष्मी जीवन में कामयाबी के लिए जरूरी हैं। एक ओर हम नारियों के प्रति सम्मान का इतना भाव रखते हैं वहीं दूसरी ओर अखबार में बुरी खबरें पढ़ते हैं जिससे शर्म से हमारा सिर झुक जाता है। समाज में जागरूकता लाना नितांत आवश्यक है। घरेलू हिंसा कानून अपने आप में प्रभावी है। महिलांए अत्याचार को सहन करती रहती थीं लेकिन अब परिस्थितियां बदली हैं। आजादी हमने प्राप्त कर ली है। लेकिन महिलाओं की आजादी बगैर यह अधूरी है। हमारी जिम्मेदारी है कि महिलाओं के प्रति सकारात्मक सोच रखकर उनकी मदद करें और घरेलू हिंसा से प्रताड़ित नहीं करें। बेटियों के प्रति सकारात्मक वातावरण बनायें। बेटियां उँची उड़ान भरें ऐसा वातावरण उपलब्ध कराना हमारी जिम्मेदारी है। बेटियां हमारे विचारों की अभिव्यक्ति एवं शक्ति हैं। बेटा-बेटी में भेद न करें। जब कोई महिला कन्या को जन्म देती है उस दौर में नकारात्मक वातावरण बन जाता है लेकिन अब परिस्थितियां बदली हैं। कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए संकल्प लें। राष्ट्र की असली दौलत हमारे बच्चे हैं। इनके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग अनेक योजनाएं क्रियान्वित कर रहा है।
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को बधाई दी जो कठिन परिस्थितियों में काम करती हैं। उन्होंने कहा कि संभाग में अब बेटियों की संख्या बढ़ रही है। यह सकारात्मक सोच से ही संभव हुआ है। उन्होंने सभी को अच्छा काम करने की समझाइश दी।
कार्यशाला में संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग ऊषा सिंह सोलंकी ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 का क्रियान्वयन महिला एवं बाल विकास विभाग निरतंर कर रहा है। उन्होंने कहा कि घर पर महिलाएं अपने प्रति हिंसा को सहन करती हैं और वे तभी बाहर आती हैं जब हिंसा बर्दाश्त से बाहर हो जाती है। उन्होंने संबंधितों से अपेक्षा की कि इस अधिनियम को अच्छे से समझकर और क्रियान्वित कर महिलाओं की मदद करें। समाज सेविका कविता पाण्डेय ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम के पूर्व महिलाओं को प्रताड़ित करने के मामले बहुत बढ़ रहे थे लेकिन अधिनियम के लागू होने के बाद इसमें काफी कमी आई है। उन्होंने अधिनियम की सराहना की। उन्होंने बालिका भ्रूण हत्या रोकने में भी अधिनियम की भूमिका बताई। समाज सेवा का भाव रखकर महिलाओं की मदद करने की समझाइश दी। उन्होंने कहा कि समाज के प्रति अपने दायित्व को समझें और आगे आकर मदद करें। कार्यशाला में संभाग के समस्त जिलों के जिला कार्यक्रम अधिकारी, परियोजना अधिकारी, स्वास्थ्य, पुलिस, विधिक सहायता, स्वयं सेवी संगठन, आदि के लोग उपस्थित थे।