नेहरू युवा केन्द्र रीवा द्वारा विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित

नेहरू युवा केन्द्र रीवा ( युवा कार्यक्रम खेल मंत्रालय भारत सरकार ) द्वारा विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया  कार्यक्रम में मुख्य अतिथि    महेंद्र कुमार दाहिया ( सरपंच ) अध्यक्षता श्रीमती गुंजा शुक्ला विशिष्ट अतिथि  श्रीमती करुणा देवी  रहीं। कार्यक्रम का संचालन नेहरू युवा केन्द्र के लेखपाल जे आर पांडेय  ने करते हुए कहा कि आज की युवा पीढ़ी नशे में लिप्त हो चुकी हैं जिससे पूरे विश्व के लोगों को तंबाकू मुक्त और स्वस्थ बनाने हेतु तथा सभी स्वास्थ्य खतरों से बचाने के लिये तंबाकू चबाने या धुम्रपान के द्वारा होने वाले सभी परेशानियों से बचाने के लिए विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है । अध्यक्षता कर रही श्रीमती शुक्ला  ने कहा कि तंबाकू में अत्यधिक नशे की आदत वाला निकोटीन नामक पदार्थ होता है  निकोटीन आपको कुछ समय के लिए अच्छा महसूस कराता हैं, लेकिन इसका लंबे समय तक उपयोग, आपके हृदय, फेफड़े और पेट के साथ-साथ आपके तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करता हैं  इसका लंबे समय तक प्रयोग करने से खाँसी और गले में परेशानी होना, धब्बेदार त्वचा, दांतों का रंग ख़राब (दांतों का पीलापन) होना आदि है। जिससे हमें यह प्रण कर सब को प्रेरित करना चाहिए कि कोई भी नशा न करे ।               मुख्य अतिथि महोदय  ने कहा कि जिस वातावरण परिवार घरों में नशा जैसे धूम्रपान आम होता है, उन घरों के बच्चे न चाहते हुए भी जन्म से ही ‘धूम्रपान’ की ज्यादतियों के शिकार हो जाते हैं। पेसिव स्मोकिंग या सेकंड हैंड स्मोकिंग भी उतनी ही समस्याएँ पैदा करती हैं जितनी किसी धूम्रपान करने वाले को हो सकती है। बच्चों में यह समस्या और गंभीर इसलिए हो जाती है, क्योंकि उनका विकास हो रहा होता है। साथ ही उनकी साँस लेने की गति भी वयस्कों से अधिक होती है।
कोई वयस्क एक मिनट में लगभग 16 बार साँस लेता है, जबकि बच्चों में इसकी गति अधिक होती है। पाँच साल का एक सामान्य बच्चा एक मिनट में 20 बार साँस लेता है। किन्हीं विशेष परिस्थितियों में यह गति बढ़कर 60 बार प्रति मिनट तक हो सकती है। जाहिर है कि जिन घरों में सिगरेट या बीड़ी का धुआँ रह-रहकर उठता है उन घरों के बच्चे तंबाकू के धुएँ में ही साँस लेते हुए बड़े होते हैं।
चूँकि वे वयस्कों से अधिक तेज गति से साँस लेते हैं इसलिए उनके फेफड़ों में भी वयस्कों के मुकाबले अधिक धुआँ जाता है। धुएँ के साथ जहरीले पदार्थ भी उसी मात्रा में दाखिल होते हैं। देश के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं में बीड़ी पीना बहुत सामान्य है। इसी तरह शहरी भद्र समाज की आधुनिक महिलाओं में यहाँ तक कि लड़कियों में सिगरेट पीना फैशन बनता जा रहा है।
जिस प्रकार किसी परिवार में कोई सदस्य अगर नशा करता है तो उन्हें देखकर बच्चे भी वैसा ही करते है उनमें धीरे धीरे आदतन पड़ जाती है जिससे हम युवाओं को सपथ लेकर युवाओं के साथ साथ बड़े बुजुर्गों को भी समझाना है कि किस प्रकार से नशा नास की ओर ले जाता हैं अन्ततः सभी को नशा जागरूकता हेतु सपथ दिलाई गई । कार्यक्रम में राजलाल दाहिया  एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक रवी सिंह धर्मपाल जयशवाल पुष्पराज पटेल सोनल दाहिया शैलू सिंह ज्योति शुक्ला स्वाति पांडेय भी उपस्थित रहे।
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