खसरा-रूबेला टीकाकरण अभियान 15 जनवरी से – कार्यशाला में दी गई जानकारी
रीवा 28 दिसम्बर 2018. पूरे प्रदेश के साथ रीवा जिले में भी खसरा तथा रूबेला वायरस से बचाव के लिये विशेष टीकाकरण अभियान 15 जनवरी से आरंभ होगा। अभियान के तहत नौ माह से 15 वर्ष तक की आयु के बच्चों को टीके लगाये जायेंगे। इसके लिये विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। सभी स्कूलों तथा आंगनवाड़ी केन्द्रों में दर्ज बच्चों का एमआर वैक्सीन से टीकाकरण किया जायेगा। बच्चों को टीके दाहिनी बाजू में लगाये जायेंगे। अभियान के संबंध में एक दिवसीय कार्यशाला जिला अस्पताल में आयोजित की गई। कार्यशाला में शामिल मेडिकल आफीसरों को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर.एस. पाण्डेय तथा जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. बसंत अग्निहोत्री ने अभियान के संबंध में जानकारी दी।
अभियान के संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरएस पाण्डेय ने बताया कि जिले भर में अभियान के लिये तैयारियाँ की जा रही हैं। स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, अनुसूचित जाति कल्याण विभाग तथा ग्रामीण विकास विभाग को अभियान में शामिल किया गया है। रूबेला वायरस के संबंध में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इसका संक्रमण बच्चों तथा महिलाओं में होता है। रूबेला वायरस का संक्रमण होने से महिलायें बार-बार गर्भपात का शिकार होती हैं। गर्भवती महिलाओं पर इसका प्रकोप होने पर गर्भस्थ शिशु के अविकसित होने अथवा मृत होने की भी आशंका रहती है। इसके प्रकोप से गर्भस्थ शिशु में जन्म के समय विभिन्न तरह की मानसिक बीमारियाँ अथवा शारीरिक अपंगता के शिकार हो सकते हैं। इसलिये रूबेला वायरस से बचाव का टीका लगवाना आवश्यक है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि खसरा भी बच्चों का घातक रोग है। इसका प्रकोप होने पर बच्चे के मस्तिष्क में सूजन, निमोनिया, डायरिया तथा कुपोषण का शिकार हो सकता है। इसके प्रकोप से शिशु की मौत भी हो जाती है। इससे बचाव के लिये प्रत्येक शिशु को खसरे तथा रूबेला के टीके अवश्य लगवायें। सभी मेडिकल आफीसर 15 जनवरी से आरंभ हो रहे विशेष टीकाकरण अभियान के संबंध में विभाग के निर्देशों के अनुसार सभी तैयारियां सुनिश्चित करें। अभियान को सफल बनाने के लिए अन्य विभागों तथा स्वयंसेवी संस्थाओं का भी सहयोग प्राप्त करें। कार्यशाला में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. विनय कौशिक, डॉ. आर.के. ओझा, डॉ. ए.के. पंत तथा डॉ. कुंदर ने भी अपने विचार व्यक्त किये।